सर्वे की खबर मिलने के बाद से सत्ता व संगठन में हड़कंप की स्थिति
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में भले ही
विधानसभा चुनाव होने में अभी डेढ़ साल का समय है , लेकिन भाजपा हाईकमान अभी से मप्र को लेकर सक्रिय हो चुके हैं। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान द्वारा मप्र में संगठन के कामकाज व सरकार की योजनाओं की वास्तविकता का पता लगाने के लिए हाल ही में एक गोपनीय सर्वे कराया गया है। यह सर्वे इस तरह से कराया गया है कि उसकी भनक प्रदेश की सत्ता व संगठन को तब लगी जब रिपोर्ट पार्टी हाईकमान तक पहुंच गई। इसके बाद से सत्ता-संगठन में कौतूहल और हड़कंप की स्थिति है। इस सर्वे के माध्यम से यह भी पता किया गया है कि मध्यप्रदेश की सत्ता और संगठन के कामकाज से जनता के बीच कैसी छबि है।
इसके लिए सर्वे टीम ने भोपाल सहित प्रदेश के सभी जिलों में पहुंचकर अलग- अलग समाज व वर्ग के लोगों से बात कर तय किए गए कई बिन्दुओं पर जानकारी हासिल की। इसमें सरकार की योजनाओं की मैदानी हकीकत का ब्यौरा भी जुटाया गया है। सर्वे की इस पूरी प्रक्रिया से संगठन और सरकार के लोगों को पूरी तरह से दूर रखा गया। दरअसल दूध की जली भाजपा अब मिशन 2023 को फतह करने छांछ भी फूंक-फूंक कर पीने की कवायद कर रही है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में मामूली अंतर से भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल गई थी। उस समय सरकार बनाने के लिए महज आधा दर्जन सीटें कम रह गई थीं। इसके बाद पार्टी हाईकमान द्वारा कराई गई प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनावी नतीजों की समीक्षा में कई तरह की खामियां मिली थीं। यही वजह है कि अब इससे सबक लेते हुए इस बार मिशन 2023 के पहले सत्ता-संगठन के कामकाज और पब्लिक इमेज को लेकर भाजपा बेहद सतर्कता बरत रही है। इसी के चलते सत्ता-संगठन के सभी दिग्गज और जनप्रतिनिधियों को अब चुनावी दृष्टि से अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ाने को तो कहा ही गया है साथ ही उन्हें जनता से सतत संपर्क और संवाद के भी निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं पार्टी द्वारा चुनावी रोडमैप के हिसाब से ही मंत्री- विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कराया जा चुका है। उसके आधार पर ही कामकाज करने को भी कहा जा रहा है।
सर्वे के आधार पर ही होंगे फैसले
माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान द्वारा कराए गए इस गोपनीय सर्वे रिपोर्ट्स के विश्लेषण और चुनावी रणनीति के मद्देनजर कई चौंकाने वाले निर्णय लिए जा सकते हैं। इसका असर सत्ता- संगठन में भी जल्द ही दिख सकता है। यही नहीं इस बार विधानसभा की कई सीटों पर पार्टी नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतार सकती है। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव के समय भाजपा अति आत्म विश्वास का शिकार हो गई थी। उस समय हुए 75 फीसदी मतदान और कांग्रेस से करीब एक प्रतिशत ज्यादा वोट पाने के बाद भी भाजपा को सरकार से बाहर होना पड़ा था। उस समय भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
अजा -जजा को जोड़ने की कवायद
मध्य प्रदेश में 21.5 प्रतिशत आदिवासी मतदाता और 15.6 प्रतिशत दलित मतदाता हैं लेकिन इन समूहों के एक बड़े वर्ग ने 2018 में भाजपा को वोट देने में कोई खास उत्साह नहीं दिखाया था, राज्य की 47 सुरक्षित एसटी सीटें और 35 सामान्य सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी आबादी कम से कम 50,000 है। यहां 35 सुरक्षित दलित सीटें भी हैं। यही वजह है कि भाजपा द्वारा लगातार इन दोनों वर्गों में पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पछले साल, मुख्यमंत्री चौहान ने बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह आदिवासी संग्रहालयों की स्थापना की घोषणा की, जिसमें एक मध्य प्रदेश में खोला जाएगा। चौहान ने आदिवासी समुदाय को खुश करने के लिए ही 18वीं सदी की गोंड रानी, रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदला है और समुदाय को वन प्रबंधन के अधिकार देने और घरों के निर्माण के लिए पट्टा भूमि आवंटित करने जैसे उपायों की घोषणा भी की है।
रोडमैप तैयार, अमल की तैयारी
भाजपा हाईकमान ने मिशन 2023 की पूर्व तैयारी बतौर प्रदेश इकाई को हर बूथ पर 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने का टारगेट सौंपा हुआ है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की सीटों पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी रोडमैप पर काम शुरू करने को कहा गया है। अजजा सीटों पर 2013 की तुलना में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। हार-जीत वाली सीटों पर क्षेत्रीय नेताओं को अभी से चुनावी तैयारियां शुरू करने की नसीहत दी गई है। उल्लेखनीय है कि 2018 में भाजपा को ट्राइबल की 47 रिजर्व सीट में से 16 ही मिली थीं ,जबकि 2013 में उसने 31 सीटों पर कमल खिलाया था। 2008 में भी भाजपा को 29 सीटें मिली थीं।
लगातार बने हुए हैं सक्रिय
यही वजह है कि प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, सीएम शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद बीते लंबे समय से सक्रिय बने हुए हैं। संगठन अपने विधायकों से अलग-अलग बैठकें करने के बाद संयुक्त रुप से भी बैठकें कर चुका है ,तो वहीं सत्ता व संगठन के बीच पूरी तरह से समन्वय पर जोर लगाए हुए है, जबकि हाल ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन तक पचमढ़ी में अपने गणों के साथ चिंतन मनन बैठक कर चुके हैं। सरकार का पूरा जोर इन दिनों तय समय में महत्वपूर्ण विकास कामों को करने पर लगा हुआ है। इसके लिए सरकार ने अलग-अलग विभागों की कार्ययोजना भी तैयार की हुई है।