लक्ष्य के आधे भी नहीं बन पाए उप स्वास्थ्य केंद्र

  • स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे ग्रामीण

भोपाल. मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। सरकार की तमाम

कोशिशों के बावजूद भी प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं हैं। जबकि प्रदेश सरकार ने 5 साल में 6 हजार उप स्वास्थ्य केंद्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन इस अवधि में 2300 केंद्र ही बन पाए हैं। रायसेन जिले के कोठरी निवासी सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि आजादी के बाद भी  हमारे गांव तक सड़क नहीं बनी है। यदि गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे करीब 16 किमी दूर बरेली लेकर जाना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने के कारण काफी दिक्कतें होती हैं। आसपास के किसी भी गांव में उप स्वास्थ्य तथा सामुदायिक केंद्र नहीं है। जानकारी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने हर साल 800 से 1,000 उप स्वास्थ्य केंद्र भवनों का निर्माण किया जाना है, लेकिन केंद्र सरकार से फंड नहीं मिलने की वजह से स्वास्थ्य भवन नहीं बन पाए हैं। उधर, प्रदेश के सौ से अधिक विधायक अपने क्षेत्र में पीएससी और सीएससी का निर्माण कराने के लिए विभाग और शासन को पत्र लिख चुके हैं। ऐसे में राज्य शासन को अपने बजट पर स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कराना पड़ रहा है। जिससे निर्माण की गति धीमी बनी हुई है।
5 साल में बनाए जाने थे 6 हजार उप स्वास्थ्य केंद्र
मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने पिछले पांच साल में करीब 6 हजार उप स्वास्थ्य केंद्र भवनों का निर्माण किया जाना था, लेकिन केंद्र सरकार से फंड मिलने में देरी की वजह से 2,300 उप स्वास्थ्य केंद्र ही निर्मित हो सके हैं। 2021-22 में मप्र सरकार ने अपने स्वयं के बजट से 150 उप स्वास्थ्य केंद्र भवन निर्मित कराए हैं, जबकि उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 100 फीसदी फंड केंद्र सरकार से मिलना है। फंड नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार ने 2022-23 में 200 उप स्वास्थ्य केंद्र भवन निर्मित कराने का टारगेट तय किया  है। केंद्र सरकार से मप्र को कोविड- 19 का उपचार एवं प्रबंधन के लिए भी बीते दो सालों में पांच नया पैसा नहीं मिला है।
फंड के अभाव में अटका काम: प्रदेश को वर्ष 2021-22 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में 1,821 करोड़ के बदले 2,323 करोड़ और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में 444 करोड़ का फंड देने स्वीकृति दी गई थी। परन्तु अभी तक पूरा फंड केंद्र से नहीं मिला है। वहीं आयुक्त स्वास्थ्य विभाग डॉ. सुदाम खाड़े का कहना है कि प्रदेश में उप स्वास्थ्य केंद्र भवनों के निर्माण के लिए प्लान के हिसाब से केंद्र से फंड मिलता है। पिछले साल करीब 150 उप स्वास्थ्य केंद्र निर्मित कराए गए हैं और इस साल 200 भवनों का लक्ष्य है, लेकिन अभी केंद्र से कई योजनाओं में पैसा नहीं मिला है। इसके लिए प्रयास तेज किए जा रहे हैं। वहीं प्रदेश में इमरजेंसी हेल्थ सिस्टम को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने अपने बजट में जीरो प्रावधान किया था, लेकिन केंद्र सरकार से एनएचएम में 444.56 करोड़ रुपए का फंड मिला है। उधर, एनआरएचएम में राज्य सरकार ने 3,035 करोड़ का प्रावधान किया है, इसमें से केंद्र से 1,821 करोड़ के एवज में 2,323 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे आयुष्मान भारत अभियान में शामिल किया गया है। इस योजना पर मप्र सरकार 298 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही थी, जिसमें से 178.80 करोड़ की राशि केंद्र सरकार से मिलनी थी, लेकिन केंद्र  ने अभी तक मात्र 18.94 करोड़ रुपए ही जारी किए हैं। इससे आयुष्मान योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है।