भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश अब ऐसा राज्य
बनने को तैयार है जहां पर शहरी विकास की सबसे महत्वपूर्ण संस्था नगर सरकार में अब सामान्य सीटों पर भी ओबीसी वर्ग का कब्जा होगा। इसकी वजह बन रहे हैं दोनों प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस व भाजपा। दरअसल इन दोनों ही दलों ने मिलकर ऐसा खेल खेला है कि सामान्य वर्ग की सीटों पर अपने -अपने राजनैतिक लाभ की लालसा में ओबीसी वर्ग के कार्यकर्ताओं को टिकट थमा दिए हैं।
यह सब किया गया है ओबीसी वर्ग के पचास फीसदी वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए । दरअसल राजनैतिक दल और उनके नेता समाज का भला करने की जगह अपने भले के लिए उन्हें वर्ग व जातियों में बांटने की चाल चलते रहते हैं। इसका खामियाजा स्वर्ण समाज को सबसे अधिक उठाना पड़ रहा है। निकाय चुनावो ंमें भी भाजपा व कांग्रेस ने मिलकर अनारक्षित सीटों पर पिछड़ा वर्ग का चेहरा देकर बड़ा कार्ड खेला है। यह कार्ड वार्ड पार्षद प्रत्याशी के रुप में खेला गया है। अब तक जो तस्वीर बन रही है उससे तो यही लग रहा है। अगर बात ग्वालियर-चंबल अंचल की करें तो भिंड, मुरैना, श्योपुर और दतिया में तो नगर निगम, पालिका और परिषद में 29 फीसदी सामान्य सीटों पर ओबीसी प्रत्याशी ही बनाए गए हैं। इसी तरह से भोपाल नगर निगम में भी भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर 48 सामान्य वार्ड में आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार पिछड़ा वर्ग के उतारे हैं। अगर रीवा नगर निगम की बात करें तो सामान्य महिला की 14 सीटों पर भी भाजपा ने ओबीसी के 4 व कांग्रेस ने 7 उम्मीदवार खड़े किए हैं। दोनों दलों का यह प्रयास कितना कारगर साबित होता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इससे स्वर्ण समाज में जरुर नाराजगी उभरती दिखनी शुरू हो गई है।
कोर्ट की टिप्पणी की राह पर…
ओबीसी आरक्षण की सुनवाई के दौरान एक माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि वे चाहें तो अनारक्षित सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारें, किसने रोका है। जहां इनकी आबादी ज्यादा है, वहां सामान्य सीटों पर इस वर्ग के लोगों को मैदान में उतारें।
यह है वजह
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है। इसमें ओबीसी वर्ग के लिए जो आरक्षण का पैमाना तय किया गया है उसके अनुसार अलग -अलग जगहों पर उनकी आबादी के मान से 0 से 35 फीसदी तक ओबीसी आरक्षण लागू किया गया है , जो कुल आरक्षण के 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा। मप्र ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट कह रही है कि अजा-अजजा के वोटर हटा दें तो औसतन 79 फीसदी तक ओबीसी वोटर हैं। इसीलिए दोनों दलों ने सामान्य की सीटों पर 20 से लेकर 65 फीसदी तक टिकट ओबीसी को दे दिए हैं। बुरहानपुर में तो कांग्रेस ने सामान्य की 28 में से 18 सीटें ओबीसी को ही प्रदान कर दी हैं। इसी तरह से भाजपा ने छिंदवाड़ा में सामान्य की 25 में 13 सीटों पर ओबीसी चेहरा उतारा है। दरअसल कोर्ट के निर्देश के बाद ओबीसी हितैषी साबित करने के लिए भाजपा व कांग्रेस के नेताओं में पार्टी स्तर पर अधिकतम इस वर्ग को टिकट देने की घोषणा करने की होड़ मच गई थी।
नगर निगमों के वार्डों में सामान्य सीटों पर ओबीसी चेहरे
निगम अनारक्षित भाजपा कांग्रेस
बुरहानपुर 28 06 18
रीवा 28 10 15
उज्जैन 27 09 15
ग्वालियर — 07 11
देवास 24 05 11
इंदौर 48 08 10
छिंदवाड़ा 25 13 10
सागर 24 14 09
सिंगरौली 22 07 08
सतना 28 04 07
मुरैना 24 08 06
कटनी — 03 04
रतलाम 27 01 04
खंडवा 25 06 03