एमपी एजुकेशन पोर्टल 2.0 की रिपोर्ट में खुलासा
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में सरकार हर बच्चे को शिक्षित करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन एमपी एजुकेशन पोर्टल 2.0 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है की प्रदेश में आठवीं के बाद बच्चे स्कूल छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 13 लाख 78 हजार 520 बच्चे शाला त्यागी हैं। इनमें सर्वाधिक बच्चे कक्षा आठवीं के बाद स्कूल छोड़ चुके हैं।
प्रदेश में नया सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग 13.78 लाख बच्चों को वापस स्कूल में प्रवेश दिलाने की कवायद में जुटा हुआ है। विभाग का दावा है कि उसने अभी तक 9.40 लाख बच्चों का सर्वे कर लिया है। इनमें से एक लाख से अधिक बच्चों को प्रवेश के लिए चिह्नित भी किया है। सर्वे के मुताबिक प्रदेश के 3.35 लाख बच्चे अपने परिवार के साथ कहीं और शिफ्ट हो गए हैं, जबकि 15 हजार 185 बच्चों की मौत हो चुकी हैं। इसके अलावा 1 लाख 55 हजार 35 बच्चे बालिग यानी 18 साल से अधिक उम्र के हो चुके हैं। सर्वे में 11,377 परिवार गैर मौजूद मिले हैं। 2 लाख 4 हजार 870 बच्चे पहले से शाला में प्रवेशित होना बताए गए हैं। शाला त्यागी बच्चों में सबसे ज्यादा बेटियां पढ़ाई छोड़कर घर बैठी हुई हैं।
लड़कियों ने किया सबसे अधिक शाला त्याग
देश में बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ अभियान चल रहा है, लेकिन हैरानी की बात है की मप्र में सबसे अधिक लड़कियों ने ही शाला त्याग किया है। बच्चों के शाला त्याग की कई वजहें हैं उनमें शिफ्टिंग भी बड़ी वजह है। इसके अलावा गांव में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई के बजाय रोजी-रोटी जुटाने में लगे हैं। कई गांवों में स्कूल घरों से दूर, इसलिए स्कूल नहीं जा पाते, खासकर बालिकाएं। सरकारी स्कूलों में 8 वीं तक के बच्चों को पास किया जाता है, जिससे नौवीं में पहुंचते ही वे अपेक्षाकृत जटिल कोर्स पढ़ नहीं पाते और स्कूल छोड़ देते हैं। ये आंकड़े एमपी एजुकेशन पोर्टल 2.0 पर शाला त्यागी बच्चों के लिए प्रवेश गृह संपर्क अभियान वर्ष 2021-22 की प्रगति स्थिति के तहत सर्वेक्षक द्वारा दर्ज किए गए हैं।
चलाया जा रहा विशेष अभियान
विदिशा जिले के लटेरी ब्लाक में कई ग्रामीण इलाकों से स्कूलों की दूरी अपेक्षाकृत अधिक है। यहां सुनसान और जंगलभरे रास्ते होने की वजह से पालक गांव से बाहर बालिकाओं को स्कूल भेजने से कतराते हैं। बेटियों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए यहां विशेष अभियान चलाया गया। शिक्षा विभाग ने बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए लटेरी ब्लॉक के करीब 500 पालकों को हर महीने पेट्रोल खर्च के लिए 600 रुपए तक का भुगतान किया, ताकि वे बाइक या अन्य माध्यम से स्कूल आना-जाना कर सकें। विदिशा जिले में 28,737 शाला त्यागी बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।