अब संघ से जुड़े सरस्वती शिशु मंदिरों में होगी… हाईटेक पढ़ाई

विद्याभारती का आईसीटी बेस्ड लर्निंग को महत्व.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। देशभर में चल रहे सरस्वती शिशु मंदिरों में अब हाईटेक तरीके से पढ़ाई होगी। इसके लिए विद्याभारती इन स्कूलों में इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन एंड टेक्नोलॉजी (आईसीटी) सेंटर खोल रहा है। दरअसल, विद्याभारती का मानना है कि वर्तमान समय के अनुसार पढ़ाई करवाकर ही छात्रों को प्रतियोगी बनाया जा सकता है। इसलिए संस्थान ने अपने यहां के शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू कर दिया है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली और जरूरतों को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब देशभर में संचालित 25 हजार सरस्वती शिशु मंदिरों के आधुनिकीकरण में जुट गया है। विद्याभारती इन स्कूलों में आईसीटी सेंटर खोल रहा है। इसके जिम्मे 1.25 लाख आचार्यों और पहली से 12वीं तक के 32 लाख विद्यार्थियों के शिक्षण-प्रशिक्षण से लेकर ई-लर्निंग के लिए आॅडियो-वीडियो आधारित पाठ्यक्रम विकसित करना है।
80 हजार आचार्यों को किया जा रहा तैयार: जानकारी के अनुसार मध्यभारत, मालवा, महाकौशल और छत्तीसगढ़ प्रांत के 625 सरस्वती शिशु मंदिर अत्याधुनिक शिक्षा की कवायद के तहत संवारे जा रहे हैं। देशभर के 80 हजार आचार्यों को तैयार किया जा रहा है। संघ में योजना पर 2015 से मंथन शुरू हो गया था। कोरोना काल के बाद जैसे ही केंद्र ने देश में एनईपी-2020 को लागू किया, विद्या भारती ने भी तत्परता से इस दिशा में काम शुरू कर दिया। पहले चरण में आईसीटी बेस्ड लर्निंग को महत्व दिया गया। विद्या भारती के पदाधिकारियों ने पाया कि शिशु मंदिरों को अगर सरकारी और निजी सेक्टर के आदर्श स्कूलों से टक्कर लेनी है तो आधुनिकीकरण के साथ आचार्यों और विद्यार्थियों की ट्रेनिंग जरूरी है। इसके लिए संसाधन जुटाए गए तो देश-दुनिया के मास्टर ट्रेनर और विषय विशेषज्ञों का शेड्यूल तय किया गया। अब हर महीने 10 दिन की लाइव क्लास हो रही है। ट्रेनर आचार्यों-शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
शिशु मंदिरों में स्मार्ट क्लासेस
विद्या भारती के परिसर और शिशु मंदिरों को अत्याधुनिक बनाने के प्रयास शुरू हुए। प्रांत कार्यालयों में कम्प्यूटर लैब, डिजिटल स्टूडियो बनाए गए हैं। जिला केंद्रों को आइसीटी सेंटर के रूप में विकसित किया तो शिशु मंदिरों में स्मार्ट क्लासेस बनाई गईं है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की प्रेरणा से वर्ष 1952 में सबसे पहले शिशु मंदिर की शुरुआत गोरखपुर में हुई थी। विद्याभारती ई-पाठशाला कार्यक्रम के राष्ट्रीय निदेशक राकेश शर्मा के अनुसार वर्चुअल क्लासरूम के तहत देशभर में छह वर्षों से ऑनलाइन क्लासेस संचालित कर रही है। 80 हजार से अधिक आचार्य इनका लाभ ले रहे हैं। एनईपी ने शिशु मंदिरों के आधुनिकीकरण की कवायद के इस प्रयास को गति दे दी है। इसमें अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, गणित, वैदिक गणित, संस्कृत, अंग्रेजी संभाषण, कम्प्यूटर शिक्षण और सामान्य जागरुकता के आॅडियो-वीडियो पाठ्यक्रम तैयार करने के साथ पढ़ाए भी जा रहे हैं।