पहला मौका जब भाजपा के बडे नेताओंं को करना पड़ रहा छोटे शहरों में प्रचार.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश भले ही करीब दो दशक से भाजपा का गढ़ माना जाता है , लेकिन उसका यह बेहद मजबूत किला अब उसके लिए चिंता की वजह बन गया है। दरअसल इस बार जिस तरह की राजनैतिक व प्रशासनिक स्थितियां बनी हैं उसकी वजह से भाजपा के लिए पंचायत चुनाव के बाद अब निकाय चुनाव मुश्किल भरे बन गए हैं। इस बार जिस तरह के आसार दिख रहे हैं उस वजह से कांग्रेस कड़ी चुनौति देते दिख रही है। यही वजह है कि पहली बार प्रदेश में भाजपा के बड़े व दिग्गज नेताओं को छोटे-छोटे शहरों तक में भी चुनाव प्रचार के लिए न केवल सभाएं करनी पड़ रही हैं , बल्कि रोड शो भी करना पड़ रहे हैं।
इसके बाद भी भाजपा के अंदरखाने में जीत को लेकर संशय बना हुआ है। दरअसल अब तक पंचायत चुनाव के जो रुझान सामने आए हैं, वे भाजपा के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। ऐसे में निकाय चुनाव के पहले चरण में हुए कम मतदान ने उसे परेशान कर रखा है। इस मामले में संगठन के साथ ही प्रशासनिक लापरवाही भी सामने आ चुकी है। इसको लेकर अब हायतौबा मची हुई है। यही वजह है की अब दूसरे चरण में कोई खामी नही रह जाए और चुनाव परिणाम अनुकूल रहे, इसके लिए पार्टी के सभी बड़े नेता छोटे शहरों की गलियों में घूम रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या फिर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत सभी छोटे शहरों का प्रचार के लिए रुख कर रहे हैं। दरअसल प्रदेश में सोलह नगर निगम हैं और इन सभी पर बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली थी , लेकिन पहले चरण में जिन 11 नगर निगमों में मतदान हो चुका है उनमें कम मतदान की वजह से भाजपा प्रत्याशियों को जीत के लिए कड़ी चुनौति का सामना करने की स्थिति बन चुकी है। इसकी वजह से अनुमान लगाया जा रहा है की भाजपा को कुछ महापौर पद का नुकसान हो सकता है। दरअसल कम मतदान होने की वजह से भाजपा संगठन व सरकार भी सकते मे है। यह चुनाव ऐसे समय हो रहे हैं जबकि प्रदेश में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। ऐसे में अगर भाजपा को निकाय चुनावों में हार मिलती है तो उसका संदेश पूरी तरह से गलत जाएगा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में उत्साह का संचार होगा।
यही वजह है की भाजपा और कांग्रेस ने निकाय चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा की तरफ से जहां मुख्य रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है, वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, श्रीमंत भी अपने -अपने समर्थक प्रत्याशियों को चुनाव जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस की ओर से वन मैन शो के रूप में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ही मुख्य रूप से अपने पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में रोड शो और जनसभाएं कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह टिकट नहीं मिलने से नाराज अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटे हैं।
214 निकायों में आज शाम समाप्त होगा प्रचार
प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में दूसरे और अंतिम चरण के लिए 5 नगर निगमों समेत कुल 214 नगरीय निकायों में 13 जुलाई को वोटिंग होगी। बोटिंग से 48 घंटे पूर्व सोमवार शाम 5 बजे इन नगरीय निकायों में चुनाव प्रचार थम जाएगा। वोटिंग की तारीख नजदीक आते ही भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि दूसरे चरण के लिए वोटिंग 13 जुलाई को सुबह 7 से शाम 5 बजे तक ईवीएम के जरिए होगी। दूसरे चरण में कुल 214 नगरीय निकायों में वोटिंग होगी। इनमें 5 नगर निगम, 40 नगर पालिका और 169 नगर परिषद शामिल हैं। दूसरे चरण में मतदान केंद्रों की संख्या 6,829 है। निकाय चुनाव में मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प भी मिलेगा चुनाव में 48 लाख से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। दूसरे चरण का चुनाव परिणाम 20 जुलाई को आएगा।
नगर पालिकाओं तक में कर रहे प्रचार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा नगर पालिका क्षेत्र, जहां सिर्फ पार्षद पद के लिए चुनाव हो रहे हैं, वहां प्रचार के लिए जा रहे हैं। बीते रोज ही मुख्यमंत्री ने बुदनी में जनसभा को संबोधित कर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। एक दिन पूर्व ही केंद्रीय मंत्री श्रीमंत ने कटनी में भाजपा के महापौर प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो किया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पहले चरण के मतदान से पूर्व ग्वालियर में सक्रिय रहे। इससे निकाय भाजपा के लिए चुनाव के महत्व को समझा जा सका है। निकाय चुनाव में नेता जहां विरोधियों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, वहीं शहरों के विकास के लिए वड़े वादे भी किए जा रहे हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निकाय चुनाव के परिणाम भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं। यदि भाजपा एक बार फिर सभी 16 नगर निगम जीतती है, तो माना जाएगा कि मतदाताओं पर पार्टी का जादू पूर्व की तरह आज भी बरकरार है और यदि दो-चार नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर बनते हैं और निकायों में बड़ी संख्या में कांग्रेस पार्षद चुने जाते हैं, तो इससे कांग्रेस जिसकी कार्यकताओं में उत्साह का संचार होगा, पार्टी को आज सबसे ज्यादा जरूरत है। कम मतदान होने की वजह से अनुमान लगाया जा रहा है की इससे जहां भाजपा को नुकसान होगा वहीं कांग्रेस को फायदा हो सकता है। निकाय चुनाव के परिणाम के आधार पर ही दोनों पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करेंगी। निकाय चुनाव के पहले चरण का परिणाम 17 जुलाई को और दूसरे चरण का परिणाम 20 जुलाई को आएगा।