भोपाल। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी की पीएफआई की
मंशा सरकार में भी ताकतवर बनने की थी। यही वजह है कि उसके रणनीतिकारों ने अपने साथ एससी और एसटी वर्ग को भी साथ लेने की योजना तैयार की थी। यह प्रयोग करने के लिए इस संगठन ने पहले प्रदेश के रुप में मप्र का चयन किया था। यही वजह है कि प्रदेश में इस संगठन द्वारा बहुत तेजी से अपनी सक्रियता बढ़ाई जा रही थी। दरअसल पीएफआई के रणनीतिकार जानते हैं कि अकेले मुस्लिम वर्ग के साहरे उनका संगठन सरकार में ताकतवर नहीं बन सकता है, जिसकी वजह से ही पीएफआई ने संगठन का विस्तार करने और मजबूत राजनैतिक ताकत बनने के लिए गरीबों अजा और आदिवासियों पर फोकस करना शुरू कर दिया था। सदस्यों की मंशा समाज के सभी तबके तक पहुंचने की थी।
पीएफआई सरकार में आने के बाद प्रदेश देश में इस्लामिक सरिया कानून लागू करना चाहता था। यह खुलासा खुद पीएफआई के सदस्यों ने मध्यप्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ता यानी एटीएस द्वारा की जाने वाली पूछताछ में किया है। दरअसल एटीएस ने इंदौर और उज्जैन से पीएफआई के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इनमें पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला, संगठन के महासचिव अब्दुल खालिद ,प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहम्मद जावेद और प्रदेश सचिव जमील शेख शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रदेश में तेजी से संगठन का विस्तार कर तेजी से अपनी विचारधारा के लिए जमीन तैयार करना शुरू कर दिया गया था। इसके तहत दो हजार सक्रिय सदस्य तैयार कर लिए गए थे। इस मामले में इंदौर में अधिक सफलता तेजी से मिल रही थी। रणनीति के तहत नए सदस्यों में मुस्लिम युवाओं के साथ ही एसटी एससी वर्ग के युवाओं को भी शामिल किया जा रहा था। उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि सक्रिय सदस्यों में अन्य गरीब तबके के लोग भी शामिल हैं। आरोपियों ने बताया कि पीएफआई उन सदस्यों पर पूरा फोकस करती थी, जो तकनीकी तौर पर कुशल होते थे। इसकी वजह है उन्हें कंप्यूटर और मोबाइल के तमाम फीचर की तकनीक की अच्छी खासी जानकारी होती है। नए सदस्यों को हथियार चलाने से लेकर तमाम तरह के प्रशिक्षण भी पीएफआई की ओर से दिए जा रहे थे। युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्हें प्रतिमाह की दर से राशि का भुगतान किया जाता था। लिहाजा खराब माली हालत वाले युवा संगठन से आसानी से जुड़ जाते थे। उनकी गरीबी की मजबूरी का फायदा ही पीएफआई के पदाधिकारी उठाते थे। पीएफआई के पदाधिकारी नए सदस्यों को 7 से 12 हजार रुपए प्रतिमाह देते थे। पुराने होने पर उन्हें 40 स 45 हजार रुपए तक प्रतिमाह देते थे। गिरफ्तार चार सदस्यों में वेकरीवाला को छोड़ दिया जाए, तो तीन पदाधिकारी भी सामान्य परिवार से ही वास्ता रखते हैं। नए सदस्यों को जोड़ने के बाद पहले मप्र में रखा जाता था। जब उन्हें लगता था कि नए सदस्य उनके पैमाने पर फिट बैठ गए हैं, तब उन्हें प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजा जाता था।
‘इंडिया विजन 2047’ नामक खाका बरामद
पटना के फुलवारी शरीफ में इसके ट्रेनिंग सेंटर पर छापेमारी में भारत को इस्लामी मुल्क बनाने के लिए इंडिया विजन 2047 नाम से तैयार किया गया खाका भी बरामद हुआ है। आठ पृष्ठों वाले इस खतरनाक रोडमैप में संगठन की कार्यशैली, उसके इरादों और उसके बाद के कामों का विस्तार से वर्णन किया गया है। भारत को इस्लामी मुल्क बनाने के लिए सत्ता पर सबसे पहले कब्जा जरूरी है और इसके लिए ‘जय भीम, जय मीम के तहत एससी-एसटी को जोड़ने की मुहिम की भी इसमें जानकारी दी गई है। बरामद दस्तावेजों के अनुसार, हर मुस्लिम के परिवार का हर सदस्य पीएफआई का मेंबर होना चाहिए और यदि हर सदस्य नहीं बन पाया तो कम से कम एक सदस्य तो होना ही चाहिए। उनका मानना था कि अगर मुस्लिमों की सिर्फ 10 प्रतिशत आबादी का साथ मिल गया तो वह हिंदुओं को उनके घुटने पर ला देगा और भारत में शरिया लागू कर इस्लाम के गौरव को स्थापित कर देगा।
इस तरह से जोड़ने की कवायद
दस्तावेज में कहा गया है, पीएफआई कैडरों और मुस्लिम युवाओं को बार-बार बताया जाना चाहिए कि वे सभी दीन के लिए काम कर रहे हैं। अल्लाह ने दुनिया कायनात की रचना की थी और मुस्लिम दो वजहों से बने थे। पहला, अल्लाह का कानून स्थापित करने के लिए और दूसरा, मुस्लिम धरती पर दाई है। यह हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए कि इस्लाम का शासन स्थापित करना है। दस्तावेज में कहा गया है, इसके लिए मुस्लिम समुदाय के लिए जहां कोई शिकायत निवारण तंत्र नहीं है, वहां उसे स्थापित करने की जरूरत है।