मलैया के अमृत महोत्सव में दिखेगा असंतुष्टों का दम!
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मिशन 2023 में जीत का सपना देख रही भाजपा की राह में पार्टी के असंतुष्ट नेता रोड़ा बन सकते हैं। हालांकि पार्टी असंतुष्ट नेताओं को मनाने में जुटी हुई है। लेकिन पार्टी के लिए एक चिंताजनक खबर यह है की 11 दिसंबर को दमोह में भाजपा के असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा होने जा रहा है। यह जमावड़ा पूर्व मंत्री जयंत मलैया के अमृत महोत्सव पर हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि यह आयोजन अघोषित रूप से असंतुष्टों का शक्ति प्रदर्शन है। हालांकि पूर्व मंत्री जयंत मलैया कहना है कि यह कार्यक्रम किसी तरह का शक्ति प्रदर्शन नहीं है। सामाजिक जीवन में पचास साल काम किया है तो सभी का मानना था कि कार्यक्रम करना चाहिए। इस बहाने सभी लोगों से मिलना-जुलना हो जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा के मिशन 2023 की राह में असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी भी एक चुनौती है। भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के अमृत महोत्सव में पार्टी के कई ऐसे दिग्गज जुटने वाले हैं, जो हाशिए पर हैं। इसमें पूर्व मंत्री अजय विश्नोई महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। आमंत्रण पत्र में भी विश्नोई का नाम दर्ज है और उनकी मलैया से दोस्ती बहुत पुरानी है। विश्नोई मंत्री पद के दावेदार भी हैं और इसी नाराजगी के चलते गाहे-बगाहे सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा में 75 वर्ष आयु वाले और कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के कारण वे सभी नेता इस कार्यक्रम में एक मंच पर आएंगे, जो कहीं न कहीं किसी कारण से पार्टी में उपेक्षित हैं। मलैया की दमोह सीट से भी भाजपा ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए राहुल लोधी को उपचुनाव लड़ाया था, जिसके कारण मलैया के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
असंतुष्ट नेताओं को साधना बड़ी चुनौती
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व कांग्रेस की बजाय अपनी ही पार्टी के असंतुष्टों से ज्यादा डरा हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें साधना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस के बागियों की मदद से सरकार बनने के बाद नाराज उमा भारती, जयभान सिंह पवैया एवं दीपक जोशी जैसे नेता संतुष्ट कर लिए गए हैं। पर ऐसा नहीं है। इनके अब भी असंतुष्ट होने की खबर है। मलेहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को भाजपा में लाकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाने के बाद माना गया था कि साध्वी उमा भारती की नाराजगी दूर हो गई है। लेकिन शराब बंदी की आड़ में वे अपना असंतोष दिखाती रहती हैं। वहीं बदनावर के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, अनूप मिश्रा सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, रुस्तम सिंह सहित तमाम ऐसे नेता हैं, जिनके रुख और बयानों से भाजपा संकट में है। वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा और अनूप मिश्रा के साथ असंतुष्टों का एक वर्ग लामबंद हो रहा है। विधानसभा चुनाव में ऐसे नेता बागियों के लिए खतरा बन सकते हैं।
असंतुष्ट नेता दिखाएंगे एकजुटता
2020 से अब तक की गतिविधियों पर सरसरी नजर डालें तो स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भाजपा के मिशन-2023 की राह में पार्टी के ही कई दिग्गज और पूर्व मंत्री कांटे बिछा सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया की सीट हो या डॉ. गौरीशंकर शेजवार अथवा दीपक जोशी, ऐसे कई दिग्गज हैं, जिनकी परंपरागत सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए विधायक काबिज हो गए हैं। ऐसी सीटों पर मौजूदा विधायक होने के कारण जाहिर है कि भाजपा के पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को 2023 में टिकट नहीं मिल पाएगा। ऐसे में मलैया के अमृत महोत्सव के बहाने ये सारे नेता अपनी एकजुटता दिखा सकते हैं। नगरीय निकाय चुनाव में ऐसे नेताओं के क्षेत्र में भाजपा को अनुकूल परिणाम नहीं मिले, यदि ऐसा हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इधर, एक संभावना यह भी है कि कांग्रेस इन नेताओं पर डोरे डालकर चुनावी माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है। मध्य प्रदेश में दो दलीय सियासत के चलते कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के असंतुष्ट दिग्गजों का आ जाना चौंकाने जैसा नहीं होगा।
असंतुष्ट जता चुके हैं नाराजगी
भाजपा के नाराज और असंतुष्ट नेता फौरी तौर पर मान गए हैं। सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद तवज्जो न मिलने से ये नाराज और आहत चल रहे हैं। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ये अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं। कभी होटल तो कभी किसी नेता के घर पर बैठक कर असंतुष्ट नेता नाराजगी जता चुके हैं। रघुनंदन शर्मा, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, पूर्व मंत्री दीपक जोशी कई बार असंतोष दिखा चुके हैं। मलैया सुंदरलाल पटवा, उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे हैं। उनका 75वां जन्मदिवस 15 नवंबर को था लेकिन अमृत महोत्सव 11 दिसंबर को मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के आयोजक अजय विश्नोई, राजेंद्र सिंघई, सिद्धार्थ मलैया और निशांत मलैया हैं। आमंत्रण पत्र भेजने के साथ ही मलैया से जुड़े संस्मरण और छाया चित्र भी एकत्र किए जा रहे हैं, ताकि उसकी एक स्मारिका प्रकाशित की जाए। वैसे तो मलैया के अमृत महोत्सव का कार्यक्रम अब तक गैर राजनीतिक कार्यक्रम है लेकिन इसमें भाजपा के वे सभी नेता जुटने वाले हैं, जो किन्ही कारणों से पार्टी में हाशिए पर हैं। मलैया खुद लंबे समय से पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं। उनके पुत्र को पार्टी ने दमोह उपचुनाव में पराजय के कारण पार्टी से निकाल दिया है। ऐसे हालात में मलैया भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं।