दोहरी मार झेल रहा चीन, अर्थव्यवस्था संभाले ‘ड्रैगन’ या फिर बचाए लोगों की जान.
चीन में कोरोना ने कोहराम मचा रखा है। महामारी के बीच चीन संकट में फंसा हुआ नजर आ रहा है। चीन आर्थिक सुधार पर ध्यान दे या फिर कोविड नियंत्रण पर जोर दिया जाए इस सवाल को लेकर पशोपेश नजर आ रहा है। अगर चीन आने वाली कोविड लहरों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए ‘जीरो-कोविड’ नीति को फिर से लागू करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे इतर अगर चीन ‘जीरो-कोविड’ नीति लागू करता है तो लोगों की जान को खतरा हो सकता है। अब ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन कोविड संक्रमण और आर्थिक संकट की दोहरी मार झेल रहा है। कोरोना के लगातार बढ़ रहे संक्रमण के चलते चीन में व्यवसायों और उद्योगों को नुकसान झेलना पड़ रहा है, साथ ही आंशिक मंदी का सामना भी करना पड़ रहा है। कुछ रिपोर्ट में तो इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि, आने वाले दिनों में चीन में कोविड संक्रमण की वजह से दस लाख से अधिक मौतें होने की आशंका है। इस बीच चीनी सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभावना पड़े इस वजह से प्रतिबंध लगाने के लिए संघर्ष करती हुई नजर आ रही है।
भारत की बेटी ने साइकिल से फतह किया किलिमंजारो, सिर्फ 3 दिन में नापा 19341 फीट
त्तराखंड की बेटी प्रीति नेगी ने अपने अद्भुत और बहादुरी भरे कारनामे से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट किलिमंजारो को साइकिल से फतह करके नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। प्रीति ने 18 दिसंबर को 5,895 मीटर ऊंचे किलिमंजारो पर तिरंगा फहराया और असंभव काम को संभव बनाकर दिखाया। अपने इस रिकॉर्ड को उन्होंने शहीद माउंटेनियर सविता कंसवा, नोमी रावत और भारतीय सेना के जांबाज सिपाही रहे अपने शहीद पिता को श्रद्धाजंलि स्वरूप समर्पित किया है। प्रीति नेगी से पहले पाकिस्तान की समर खान ने 4 दिन में किलिमंजारो की चोटी को फतह किया था। भारत की बेटी ने यह कारनामा 3 दिन में करके पाकिस्तानी पर्वतारोही का रिकॉर्ड तोड़ दिया। किलिमंजारो अपने 3 ज्वालामुखीय शंकु किबो मवेन्जी और शिरा के साथ पूर्वोत्तर तंजानिया में एक निष्क्रिय स्ट्रैटोज्वालामुखी के लिए जाना जाता है। यह अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 19341 फीट है। किलिमंजारो पर्वत दुनिया का सबसे ऊंचा मुक्त खड़ा पर्वत है।
अस्पताल की बड़ी लापरवाही!भीषण ठंड के बीच प्रसूता ने खुले में दिया बच्चे को जन्म
भले बिहार सरकार और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बिहार में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं देने की बात करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि बिहार के अस्पतालों में लोगों को डिलिवरी तक की सुविधा ठीक से नहीं मिल पा रही है। आलम यह है कि प्रसूता को भीषण ठंड के बीच खुले में बच्चे को जन्म देन पड़ रहा है। दरअसल आरा सदर से एक बार फिर शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां डाक्टरों की लापरवाही से एक प्रसूता ने सदर अस्पताल परिसर में खुले में ही बच्चे को जन्म दे दिया और वो भी भीषण ठंड के बीच। गुरुवार शाम आरा सदर अस्पताल के प्रसव विभाग के बाहर वेटिंग एरिया में घटी इस घटना को मौके पर मौजूद मीडिया के लोगों ने जब कैमरे में कैद करना शुरू किया तो आननफानन में नवजात और प्रसूता को प्रसूति विभाग में शिफ्ट कर दिया गया। लापरवाही की इस तस्वीर के सामने आने के बाद जब आॅन ड्यूटी लेडी डॉक्टर से सवाल किए गए तो उसने कुछ भी बोलने से इंकार करते हुए उल्टा प्रसूता के पति पर ही लापरवाही का आरोप मढ़ दिया। दरअसल जगदीशपुर के असुधन गांव के चिमनी भट्ठे पर मजदूरी करनेवाले नालंदा के नगरनौसा थाना के मखदूमपुर गांव निवासी अनुज मांझी ने अपनी पत्नी कलावती देवी को प्रसव पीड़ा के बाद जगदीशपुर अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया था।
चीन से तनातनी के बीच 85 हजार करोड़ के सैन्य प्रस्तावों को मंजूरी, मिलेंगे लाइट-टैंक
एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने 85 हजार करोड़ के सैन्य प्रस्तावों को हरी झंडी दी। इनमें थल सेना के लिए प्रोजेक्ट जोरावर के तहत देश में ही बनने वाले लाइट-टैंक भी शामिल हैं। भारतीय सेना ये हल्के टैंक खासतौर से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात करना चाहती है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के खिलाफ हल्के-टैंक के लिए भारतीय सेना ने प्रोजेक्ट-जोरावर शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी लाइट टैंक लेने की तैयारी है। खास बात ये है कि लाइट टैंक के प्रोजेक्ट का नाम जम्मू-कश्मीर रियासत के पूर्व कमांडर, जोरावर सिंह के नाम रखा गया है, जिन्होंने 19वीं सदी में चीनी सेना को हराकर तिब्बत में अपना परचम लहराया था।