भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भाजपा में संगठन की दृष्टि
से मप्र को बेहद आर्दश राज्य माना जाता है। यही वजह है कि इसका उदाहरण पार्टी में अन्य राज्यों को दिया जाता है। इसी तरह से अब गुजरात के अलावा मप्र पार्टी के लिए ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर सर्वाधिक बार भाजपा की सरकार बनी है। भाजपा अपने इस रिकार्ड को आगे ले जाना चाहती है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा आगे रखकर पार्टी इस बार प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सामूहिकता से उतरने की तैयारी कर चुकी है। इस सामूहिकता से न केवल पार्टी को चुनाव के समय क्षेत्रीय बल्कि जातिगत समीकरण साधने में भी मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश भाजपा के लिए ऐसा राज्य है, जिसमें गुजरात के बाद लगातार पार्टी की सरकार बनती है। इस क्रम को बनाए रखने के लिए इस बार भाजपा संगठन ने अभी से सामूहिकता से चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति तैयार कर ली है। इसके तहत पार्टी प्रदेश के सभी बड़े चेहरों के साथ मैदान में उतरेगी। इनमें वे चेहरे भी शामिल हैं, जो क्षेत्रीयता के साथ ही जातिगत समीकरणों पर भी पूरी तरह से फिट बैठते हैं। इस सामूहिकता में वे नेता भी नजर आएंगे जो इन दिनों केन्द्र में बड़ी भूमिका में हैं। इनमें केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर संगठन तक के लोग शामिल हैं। यह फैसला पार्टी अलाकमान ने गुजरात में मिली ऐतिहासिक जीत और हिमाचल प्रदेश में मिली हार के बाद लिया है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में सामूहिकता के अभाव में पार्टी को सरकार गंवानी पड़ी है। यही वजह है कि इस बार चुनाव में पूरी तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल , फग्गन सिंह कुलस्ते, बीरेन्द्र खटीक , राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय मैदानी स्तर पर एक साथ मोर्चा सम्हाले नजर आएंगे। प्रदेश में पहले से ही शिव व वीडी की जोड़ी सामूहिकता से सरकार व संगठन का काम कर रही है। दरअसल यह वे भाजपा नेता हैं जिनका अपना प्रभाव है। वे पार्टी के क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण पर भी पूरी तरह से फिट बैठते हैं। यह सभी पार्टी के बड़े चेहरे माने जाते हैं, और इनकी अच्छी खासी फैन फालोइंग भी है। जिसका फायदा पार्टी और उसके प्रत्याशियों को मिलना पहले से ही तय है। इनमें अगर बात की जाए तो शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। उनकी पकड़ हर समाज, तबके, कार्यकर्ता के साथ ही आम जनता पर भी है। वे ऐसे नेता हैं , जिनसे जनता का जुड़ाव दिल से है। उन्हें प्रदेश की राजनीति में करिश्माई नेता के रुप में जाना जाता है। उनकी कायैशैली ऐसी है कि लगातार प्रदेश में सरकार होने के बाद भी वैसी इनकंमवैसी कभी नहीं दिखी जैसी अन्य राज्यों में एक बार सरकार बनने के बाद दिखती है। इस मामले में गुजरात के बाद मप्र ही ऐसा राज्य है, जहां पर पार्टी की दो दशक में चौथी बार सरकार है। पार्टी के दूसरे चेहरे हैं वीडी शर्मा। प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते उन पर चुनावी जिम्मेदारियां अधिक रहने वाली हैं। वे प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद से लगातार प्रदेश में प्रवास कर कार्यकर्ताओं से रुबरु हो रहे हैं। इसकी वजह से वे एक-एक कार्यकर्ता को जानते और पहचानते हैं। उन्हें हर विधानसभा क्षेत्र की तासीर का भी पता है। उनके द्वारा प्रदेश संगठन के साथ मैदानी स्तर पर जिस तरह से युवाओं को आगे लाया गया है, उससे पार्टी मेंं ऊर्जावान फौज के साथ उत्साह का भरपूर समन्वय नजर आता है। इसकी वजह से पार्टी के लिए मैदानी स्तर पर अनुकूलता दिखना तय है।
श्रीमंत
कांग्रेस में रहने के दौरान जिस तरह की उनकी लोकप्रियता थी , उसमें भाजपा में आने के बाद और इजाफा हुआ है। उनका ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा मालवा में भी बेहद प्रभाव माना जाता है। यही वजह है कि उनके कई समर्थक इस अंचल से जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं। उनकी साफ सुथरी छवि तो है ही साथ ही युवाओं में भी उनको लेकर अच्छा खासा क्रेज है। केन्द्र में मंत्री बनने के बाद जिस तरह से उनके विभाग का फायदा मप्र को मिला है, उससे उनके काम काज भी अच्छी छाप छोड़ रहा है।
नरेन्द्र सिंह तोमर
वे प्रदेश के ऐसे भाजपा नेता हैं , जिनके साथ यह मिथक जुड़ा हुआ है कि वे जब -जब प्रदेश में सक्रिय भूमिका में रहे हैं पार्टी को जीत मिलती है। फिर चाहे उनका प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल हो या फिर अन्य किसी तरह की जिम्मेदारी। वे प्रदेश में पार्टी के सबसे बड़े क्षत्रिय चेहरा भी माने जाते हैं। दो बार प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका निभाने की वजह से उनकी पूरे प्रदेश में न केवल पहचान है, बल्कि मैदानी समीकरणों की भी उन्हें पूरी जानकारी है।
प्रहलाद पटेल
वे पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा होने के साथ ही केन्द्रीय मंत्री भी हैं। उनके विभाग का भी प्रदेश को अच्छा फायदा हुआ है। उनके द्वारा पर्यटन विभाग में रहते हुए प्रदेश में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बड़ी राशि दी गई है, जिससे पर्यटक स्थलों पर सुविधाओं का विस्तार हुआ। इसकी वजह से पर्यटन स्थल वाले शहरों में उनकी अच्छी छवि बन चुकी है। यही नहीं वे जिस लोधी समुदाय से आते हैं, उस पर भी उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। उनके मैदान में आने से लोधी समाज का तो समर्थन भाजपा के साथ रहेगा ही साथ ही पिछड़ा वर्ग का भी समर्थन बढ़ना तय माना जा रहा है। वे ऐसे नेता हैं , जिन्हें पार्टी ने अलग-अलग क्षेत्रों की सीटों से प्रत्याशी बनाया, इसके बाद भी वे जीत दर्ज कराते रहे।
कैलाश विजयवर्गीय
पार्टी का बड़ा चेहरा होने के साथ ही उनकी मालवा निमाड़ अंचल में बेहद मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि वे पार्टी के लिए मुश्किल मानी जाने वाली सीट महू को भी पार्टी के गढ़ में बदल चुके हैं। मालवा में उनसे बड़ा कोई नेता भाजपा के पास नही है। वे एक अच्छे रणनीतिकार और कुशल संगठक माने जाते हैं। उन्हें चुनावी रणनीति का विशेषज्ञ माना जाता है। उनकी सजातीय मतों के अलावा दूसरे समाज पर भी अच्छी पकड़ है।
विधायकों को सौंपे विकास यात्रा के लक्ष्य
भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ‘मिशन -2023’ की तैयारी में जुट गई है। चार साल के विकास कार्यों को लेकर मंत्री और विधायक जनता के बीच जाएंगे और उन्हें सरकार के विकास कार्यों एवं योजनाओं के बारे में बताएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अधिक से अधिक समय विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच बिताएं। जनता की समस्याओं को सुनें और हल करें। गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए विधानसभा स्थगित होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने अपने आवास में एक-एक कर विधायकों से चर्चा की। उल्लेखनीय है कि एक से 10 फरवरी तक निकाली जाने वाली विकास यात्रा में विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों का भूमि पूजन भी करेंगे। जनता को सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में बताएंगे। लोगों से मिलकर पूछेंगे कि क्या उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। विधायकों ने भी सीएम को अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया।