अविश्वास से… उभरा युवा नेतृत्व

कांग्रेस के नए चेहरों की भाषण शैली ने सभी को चौंकाया

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भले ही विधानसभा में लाया गया कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है और यह अविश्वास प्रस्ताव जैसा विपक्ष का प्रमुख ब्रह्मास्त्र पूरी तरह से नाकाम रहा, लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को युवा नेतृत्व मिलने के रूप में जरूर सामने आया है। पार्टी के करीब आधा दर्जन युवा चेहरों द्वारा रखी गई बातों व अपने भाषणों की तरफ जरूर सभी का ध्यान खींचा है … इन चेहरों को अब पार्टी में युवा नेतृत्व उभरने के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर 12 घंटे से अधिक चली चर्चा में पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं ने जोरदार ढंग से अपनी बात रखते हुए पक्ष व विपक्ष का ढाल बनने का प्रयास किया। मुख्य वक्तव्य सदन के नेता के नाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रहा लेकिन पक्ष-विपक्ष के कई वक्ताओं की संवाद की शैली ने पूरे सदन पर अपनी छाप छोड़ी है। नेता प्रतिपक्ष की प्रस्तुति पर लगे हाथ विपक्ष द्वारा तंज भी कसे गए। सत्ता पक्ष की तरफ से कांग्रेस के 51 आरोपों को खारिज करने की पुख्ता तर्क और तथ्यों के साथ संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मोर्चा खोलते हुए शानदार शुरुआत की। वे पहले से ही अच्छे वक्ता माने जाते हैं। उनका अपना संसदीय अनुभव भी है। उनके बाद सरकार की तरफ से मंत्री विश्वास सारंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, मीना सिंह और कमल पटेल ने भी आरोपों को नकारने के लिए दमदार तर्कों को अपनी बात में रखा। इसके उलट कांग्रेस के युवा तुर्कों में शामिल तरुण भनोत, जीतू पटवारी, हिना कावरे, सचिन यादव और प्रवीण पाठक की प्रभावी संवाद अदायगी ने सदन का ध्यान खींचा। उन्होंने अपने विरोधियों तक की जमकर तारीफ पाई। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि आपको प्रणाम करने का मन कर रहा है.. जबकि गोपाल भार्गव का तंज था कि सुन कर ऐसा लगा कि कोई हर की पौड़ी से कथा कर रहा हो…! पक्ष-विपक्ष सहित पत्रकारों को तुरंत ही कांग्रेस द्वारा 2013 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और युवा विधायक रहे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की आक्रामक शैली याद आ गई।
दिलचस्पी से सुनते रहे
बुधवार को 12 घंटे की चर्चा और गुरुवार को सीएम के जवाब सहित करीब तीन घंटे चले सदन में जीतू पटवारी और तरुण भनोत ने अपने आरोपों को वजनदार तर्कों के साथ बेहतर ढंग से रखा। पूरा सदन उन्हें दिलचस्पी के साथ सुनता रहा। कई मौकों पर गर्मा-गर्मी के बीच हंसी- मजाक के दौर भी सामने आया। उधर जब भनोत की बारी आई तो उन्होंने अपने तथ्यों और तर्कों से सरकार के वित्तीय प्रबंधन की जमकर धज्जियां बिखेरीं। उनके द्वारा टू-द- पॉइंट भाषण की सराहना दबी जुबान से सत्ता पक्ष के सदस्य भी करते देखे गए। इसी दौरान जीतू पटवारी के अलावा प्रियव्रत सिंह, हिना कांवरे, सचिन यादव, प्रवीण पाठक, कुणाल चौधरी ने भी मोर्चा संभाला। इन युवा नेताओं ने भी अपनी बातों को बेहद तर्कों और उदाहरणों के साथ पेश किया। यही नहीं इनके द्वारा सत्ता पक्ष पर हमला बोलते समय न केवन भाषाई मर्यादा का ध्यान रखा गया बल्कि शैली भी ऐसी अपनाई गई, कि सत्ता पक्ष के लोग भी आश्चर्य करते नजर आए। इनमें से सचिन, प्रवीण और कुणाल तो ऐसे विधायक हैं जो पहली बार ही सदन में निर्वाचित होकर आए हैं।
कांग्रेस में हैं भाजपा से अधिक युवा विधायक
युवाओं को तरजीह देने के लिए भले ही बीजेपी नया फॉर्मूला लेकर आई थी, बावजूद वह सियासी बुढ़ापे से बाहर नहीं आ सकी है। प्रदेश विधानसभा में इस वक्त सबसे उम्रदराज दो विधायक बीजेपी के ही हैं, जोकि 75 साल से अधिक उम्र के हैंं, जबकि कांग्रेस को जोश से ज्यादा होश पर भरोसा है, इसलिए युवाओं की बजाय अनुभव बुजुर्गों को तरजीह देती है। इसलिए मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान के साथ-साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी कमलनाथ व डॉ. गोविंद सिंह को दे रखी है। 70 साल से ऊपर वाले 4 कांग्रेसी विधायकों के मुकाबले बीजेपी के 10 विधायक हैं, जबकि 30 से 40 साल वाले 14 कांग्रेसी विधायकों के मुकाबले बीजेपी के सिर्फ 4 ही विधायक हैं। इनमें महाराजपुर से नीरज दीक्षित सबसे युवा विधायक हैं, जिनकी उम्र 31 साल है, जबकि सबसे अधिक उम्र के कांग्रेस विधायक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं, जिनकी उम्र 75 वर्ष है, इन्हीं के हाथ में इस समय मध्य प्रदेश कांग्रेस की बागडोर भी है। कांग्रेस के युवा विधायकों में निलेश पुसाराम उइके और विपिन वानखेड़े भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 32 साल हैं, जबकि सिद्धार्थ कुशवाहा 33 साल के हैं और जयवर्धन सिंह की उम्र 35 वर्ष है। इस तरह 30 से 35 वर्ष की आयु वाले विधायकों की संख्या पांच है, जबकि 35 से 40 साल के विधायकों की संख्या 9 है।