भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म झूम बराबर झूम फिल्म का गाना इन दिनों मप्र में पूरी तरह से फिट बैठ रहा है। इसकी वजह है प्रदेश में शराब की बिक्री में होने वाली बढ़त। शराब की बिक्री से प्रदेश का खजाना भले ही जमकर भर रहा है , लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी बढ़ रहे हैं। दरअसल यह बिक्री ऐसे समय में लगातार बढ़ रही है, जब प्रदेश में सत्तारुढ़ दल की ही एक बड़ी नेत्री इसके विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। प्रदेश में शराबबंदी और नशाबंदी के मुद्दे पर भले ही सियासी वार- पलटवार कितना भी होता रहे , लेकिन मैदानी हकीकत, शराब की खपत और उसका अर्थशास्त्र इससे अलग ही नजर आ रहा है।
हद तो यह है कि सरकार का दावा है कि समाज में शराब और नशे के खिलाफ जागरुकता बढ़ाकर इसके चलन को हतोत्साहित किया जाएगा, लेकिन वास्तविकता में इस साल अब तक शराब की खपत डेढ़ गुना से अधिक बढ़ चुकी है। यह खपत ऐसे समय में बढ़ी है जब प्रदेश में नई दुकानें खोले जाने पर पूरी तरह से पांबदी लगी हुई है। इसके बाद भी देशी शराब से लेकर अंग्रेजी शराब तक की बिक्री में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। यह हकीकत सामने आयी है सरकारी आंकड़ों से। इन आंकड़ों में बताया गया है कि इस साल अब तक बीयर की खपत में 56.22 फीसदी तक की वृद्वि दर्ज हुई है। इस बिक्री से सरकार उत्साहित बनी हुई है। इसकी वजह है सरकार के खजाने में इस साल आबकारी आय के रूप में करीब 12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व आने की संभावना है। दरअसल सरकार बीते कई सालों से अपने खाली खजाने को लेकर परेशान है, जिसमें अब शराब से अच्छी उम्मीदें बनी हुई हैं। शराब की बिक्री में लगातार हो रही वृद्वि की वजह सामाजिक वर्जनाओं के शिथिल होने के अलावा सरकार की कम्पोजिट दुकान नीति को भी श्रेय दिया जा रहा है। इस नीति के चलते एक ही दुकान पर देशी और विदेशी शराब की बिक्री एक साथ होने लगी है। इसके अलावा सरकार ने ठेकेदारों के लिए वेयर हाउस से 65 फीसदी माल उठाने की बाध्यता की जगह 85 फीसदी माल उठाने की अनिवार्यता कर दी है। इसके भी एक अहम वजह माना जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में बीते साल तक देशी- विदेशी मदिरा की अलग-अलग क्रमश: 2,541 और 1,065 दुकानें तय थीं, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में नई नीति के तहत सरकार ने दोनों तरह की शराब एक ही दुकान पर उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। सरकार की नई कम्पोजिट शॉप नीति के बाद इस साल अब तक प्रदेश की कुल 3,605 दुकानों से शराब की बिक्री में भारी उछाल देखा जा रहा है। यही वजह है कि इस साल बीयर में 56.22 फीसदी, देशी मदिरा 21.57 और स्पिरिट में 22.43 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
गांधी जयंती पर लिया था संकल्प
प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराब-नशाबंदी को लेकर आंदोलन चला रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व सीएम उमा भारती और बाबा रामदेव की मौजूदगी में नशे को बढ़ावा न देने वाली आबकारी नीति बनाने का संकल्प भी गांधी जयंती पर लिया था। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2021-22 में सरकार के खजाने में शराब दुकानों से 8 हजार 569.55 करोड़ की आय हुई थी जबकि 2022-23 में 11 हजार 925.13 करोड़ रुपए की आमदनी होगी। यह राशि 39.16 प्रतिशत ज्यादा है।