150 करोड़ से बनेगा भाजपा का नया भवन

रघुनंदन शर्मा ने जताई आपत्ति, कहा हो रहा अनर्थ

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। तीन दशक पहले बना भोपाल में भाजपा का प्रदेश कार्यालय जमींदोज होना शुरू हो गया है। इसकी जगह डेढ़ सौ करोड़ की लागत से नया आलीशन और हाईटेक नया भवन बनाया जाएगा। यह भवन दस मंजिला होगा , जिसकी छत पर हैलीकाफ्टर भी उतर सकेगा। उधर, इस भवन को तोड़े जाने पर पार्टी के बरिष्ठ नेता और इस भवन निर्माण से जुड़े रहे पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे अनर्थ बताया है। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए नए भवन के बेसमेंट में 500 से अधिक वाहनों की पार्किंग और मुख्य कार्यालय को वार-रूम की तर्ज पर बनाया जाएगा। भाजपा संगठन ने इस महत्वाकांक्षी मेगा प्रोजेक्ट को विधानसभा चुनाव 2023 के पहले पूरा करने का टारगेट रखा है।
भवन के कुछ हिस्से के कॉमर्शियल उपयोग की प्लानिंग भी है। सत्ता-संगठन के दिग्गज नेताओं और पार्टी हाईकमान के बीच नए प्रोजेक्ट को लेकर निर्णायक चर्चा के बाद इसकी डिजाइन को अंतिम रुप दिया गया है। मौजूदा बिल्डिंग को जमींदोज कर बेसमेंट में पार्किंग बनाने के लिए खुदाई का काम किया जाना है। पार्टी सूत्रों का कहना है निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो सके, इसलिए दिन-रात काम शुरू कराया जा रहा है। मिशन 2023 के पहले धूमधाम के साथ भाजपा नए कार्यालय भवन में प्रवेश की तैयारी कर चुकी है। नए भवन पर कितना खर्च होगा । इसका अधिकृत रुप से अब तक कोई खुलासा नही किया गया है , लेकिन माना जा रहा है कि नई बिल्डिंग जी प्लस 8 बनाई जा रही है, जिसमें करीब 5 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन होने का अनुमान है। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र से जुड़े लोगों का प्रारंभिक अनुमान है कि पूरा प्रोजेक्ट 150 करोड़ रुपए के बीच पहुंचेगा।
पार्किंग की भी कमी
राजधानी के बीचों-बीच करीब दो एकड़ के विशाल भूखंड पर स्थित मौजूदा कार्यालय भवन तीन दशक पहले बना था। हालांकि भवन बेहद मजबूत और व्यवस्थित है, लेकिन संगठन की जरूरतों व पार्किंग के लिहाज से भवन छोटा पड़ने लगा था। संगठन के पदाधिकारियों को बैठने के लिए कक्षों की कमी के अलावा आईटी और सोशल मीडिया की भावी जरूरतों के हिसाब से जगह नहीं थी। बड़े कार्यक्रम अथवा बैठकों के दौरान प्रदेश के सभी जिलों से जब पदाधिकारी आते हैं तो मुख्यालय के बाहर लिंक रोड पर जाम लग जाता है।
इस तरह से पड़ी थी नींव
स्व. कुशाभाऊ ठाकरे चाहते थे, भाजपा का अपना कार्यालय हो । इसके लिए जमीनें देखी गई । तब तक स्व. सुंदरलाल पटवा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को आवेदन दे दिया। स्व. सिंह ने पीएनटी चौराहे पर भाजपा कार्यालय के लिए जमीन दे दी। चुनाव आए और भाजपा की सरकार बन गई। सुंदरलाल पटवा सीएम बने। तब मौजूदा कार्यालय वाली जगह मिली। यह हाउसिंग बोर्ड की थी। भाजपा की पहली राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक इसमें हुई। तब अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी भी आए थे। इस भवन का निर्माण 1995-96 में किया गया था। उस समय भवन ढाई करोड़ में बनना था। प्रदेशभर के कार्यकतार्ओं से दो करोड़ एकत्रित हुए। 50 लाख कम पड़े तो दुकानें देकर राशि जुटाई। उस समय शैलेंद्र प्रधान पर इंजीनियरिंग, उमाशंकर गुप्ता पर हिसाब-किताब और जयंत ठाकरे पर गुणवत्ता का जिम्मा था। समन्वय का काम भंवर सिंह शेखावत ने किया था।
माणिकचंद चौबे और नानूराम दादा ने पहले प्रारंभिक भूमिपूजन किया था, क्योंकि जनसंघ के सबसे पुराने कार्यकर्ता यही थे। बाद में राजमाता ने विधिवत इसका भूमिपूजन किया था। दरअसल उस समय भाजपा के पास दफ्तर नहीं था , जिसकी वजह से कुशाभाऊ ठाकरे मानसिक रूप से परेशान रहते थे। कुशाभाऊ ठाकरे, लखीराम कांवरे और सुंदरलाल पटवा ने ही यह जगह चुनी थी। इस मामले में रघुनंदन शर्मा का कहना है कि इतना मजबूत और पुराना कार्यालय टूटना नहीं चाहिए था।
पुराने नेताओं का विरोध दरकिनार
इस भवन को तोड़ जाने का भाजपा के पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने कड़ा विरोध किया था और उन्होंने इसे न तोड़े जाने को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से लेकर अन्य वरिष्ठ नेताओं को पत्र भी लिखा था। इसके, अलावा परिसर के बाहर तरफ के दुकानदारों ने भी इसका विरोध किया था पर पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
पार्टी के अन्य कार्यालय भी संवारे
भाजपा ने पिछले कुछ सालों में अपने पार्टी दफ्तरों पर फोकस किया है। राजधानी दिल्ली में 8000 वर्ग मीटर में हाईटेक ऑफिस फरवरी 2018 में शुरू किया गया । इसी तरह मध्य प्रदेश के जबलपुर ऑफिस को भी नई रंगत दी गई। इसके साथ ही भोपाल स्थित जिला कार्यालय को भी संवारा जा चुका है।
रह चुका है एशिया का सबसे बड़ा पार्टी दफ्तर
एक समय यह प्रदेश कार्यालय एशिया में किसी भी राजनीतिक दल का सबसे बड़ा कार्यालय माना जाता था, लेकिन दिल्ली में बने पार्टी कार्यालय और अन्य पार्टियों के दफ्तरों के बाद इसका यह दर्जा जाता रहा था। गौरतलब है कि भाजपा के वर्तमान भवन की नींव तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल में 1991 रखी गई थी। इस भवन को बनने में करीब दो साल का वक्त लगा था। तब करीब तीन करोड़ रूपए की लागत से 74 हजार वर्गफीट में परिसर का निर्माण हुआ था। इसमें बीस हजार वर्ग फीट पर कार्यालय और 19 हजार वर्गफीट पर आवास और करीब 27 हजार वर्गफीट पर कुछ दुकानों समेत अन्य निर्माण किया गया था। समय के साथ यह दफ्तर पुराना हो गया था और संगठन की अन्य जरूरतों के हिसाब से यह छोटा पड़ने लगा था।