तमाम मठाधीशों के मुगालते दूर…
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में नेतृत्व परिवर्तन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि खराब करने के लिए अभी तक कथित तौर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के द्वारा जितने भी अभियान चलाए गए हैं, उन पर से अब कुहासा छट गया है। आलाकमान ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को संकेत दे दिया है कि मप्र में मिशन 2023 का संग्राम भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इससे यह बात तो साफ हो गई है कि मप्र ही नहीं देशभर में शिव-वीडी की जोड़ी के मुकाबिल कोई नहीं है। गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान ने जब से चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं, उनके स्थायित्व को लेकर लगातार अफवाहों का बाजार गर्म रहा है। जब भी कोई दो-तीन भाजपा नेता आपस में मिलते थे तो अफवाह उड़ा दी जाती थी कि मप्र में नेतृत्व परिवर्तन होगा। कई बार दिल्ली और भोपाल में भाजपा नेताओं की मुलाकात के बाद उठी अफवाहें जब थमीं तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की शिकायत पर व्यापमं मामले में दर्ज हुई श्किायत को मुद्दा बनाया। लेकिन सारी अफवाहों पर से कुहासा छट गया है।
मॉडल बनी शिव-वीडी की जोड़ी
आरएसएस और भाजपा की प्रयोग भूमि मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के रूप में एक ऐसी जोड़ी मिली है जिसने देश के सामने मिसाल पेश की है। इस जोड़ी के कारण प्रदेश में सत्ता और संगठन का ऐसा अद्भूत समन्वय देखने को मिल रहा है, जिसके कारण किसी भी योजना का क्रियान्वयन करने में मप्र देश में अव्वल बना हुआ है। आज भाजपा के लिए शिव-वीडी की जोड़ी मॉडल बनी हुई है। यही नहीं इन्होंने मप्र को एक ऐसा मॉडल राज्य बना दिया है जिसका अनुसरण अन्य राज्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां केंद्र के साथ ही राज्य की योजनाओं के क्रियान्वयन में शासन-प्रशासन को पूरी तरह सक्रिय किया हुआ है , वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा नित्य नए नवाचारों से संगठन को मजबूत बना रहे हैं। मुख्यमंत्री लगातार विभागों की समीक्षा कर रहे हैं। वहीं वीडी शर्मा और उनकी टीम संगठन में नवाचार ला रही है और अनेक अनूठे प्रयोग कर रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश सरकार और संगठन के कामकाज से संतुष्ट हैं। प्रदेश में सत्ता और संगठन के समन्वय का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि यहां विकास और विस्तार के प्रयोग पूरी तरह सफल रहे हैं। वहीं प्रदेश की सत्ता और संगठन हर कसौटी पर खरे उतरे हैं। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने हाल की अपनी भोपाल यात्रा के दौरान प्रदेश सरकार और संगठन के कामकाज का फीडबैक लिया था। संघ के स्वयंसेवकों ने सत्ता और संगठन दोनों के कामकाज पर अनुकूल रिपोर्टिंग की है। संगठन की दृष्टि से मप्र भाजपा के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। संघ और भाजपा का नेतृत्व चाहता था कि मप्र का संगठन दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा का काम करें। इस दृष्टि से इसे सर्वस्पर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में पहल की जा रही है।
शिवराज लीडर, वीडी शर्मा शुभंकर
भाजपा के एक नेता का कहना है की शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के अब तक के सबसे लोकप्रिय नेता साबित हुए हैं। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। इससे भाजपा के भी कुछ नेता खार खाए होंगे, लेकिन हर भाजपाई को शिवराज का नेतृत्व स्वीकार है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा पार्टी के लिए शुभंकर बन गए हैं। वे जब से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने है पार्टी न केवल सत्ता में लौटी बल्कि, उपचुनाव, निकाय और पंचायत चुनाव में भी जीत हासिल की। अब नया साल 2023 यह मौका विधानसभा चुनाव के रूप में लेकर आया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिल सका था। कांग्रेस 114 और भाजपा 109 सीटें जीत सकी थी। दोनों का वोट शेयर क्रमश: 41.5 और 41.6 प्रतिशत रहा। चुनाव में कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। इन परिणामों में सुधार करते हुए विस चुनाव में सत्ता के जादुई आंकड़े 116 को पार करने की चुनौती दोनों दलों के सामने है। हालांकि, मार्च 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद अब तक भाजपा की सीटें बढ़कर 127 हो चुकी है, जबकि कांग्रेस की 96 रह गई है। पार्टी को उम्मीद है की दोनों नेताओं की अगुवाई में भाजपा इस बार रिकॉर्ड जीत दर्ज करेगी।
51% का टारगेट जोड़ी ही पा सकती है
संघ सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने मिशन 2023 के लिए 51 फीसदी वोट के साथ 200 सीटें जीतने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसको मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की जोड़ी ही पा सकती है। दरअसल, संघ ने इस संदर्भ में मैदानी सर्वे के बाद भाजपा के केंद्रीय संगठन को यह फीडबैक दिया है। शिव-वीडी की जोड़ी ने राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा अभियान बूथ विस्तारक अभियान चलाकर इस पर फुल प्रूफ मुहर लगा दी है। इस अभियान के तहत 20 हजार विस्तारकों ने 65 हजार बूथों तक पहुंचकर 20 लाख घंटे का समय दान कर पार्टी का वोट बैंक 10 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य साधा है। गौरतलब है कि भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में 41 फीसदी वोट मिले थे। यानी 2013 के मुकाबले करीब 4 फीसदी वोट का नुकसान हुआ था। ऐसे में शिवराज और वीडी शर्मा ने 2022 की शुरूआत में ही विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी वोट का लक्ष्य निर्धारित कर, इस लक्ष्य को पाने के लिए लगातार कार्यक्रम चलाए हैं। इससे सत्ता और संगठन का उम्मीद है कि आगामी चुनाव में पार्टी 200 पार का टारगेट भी पूरा कर लेगी।