अगले तीन माह में सभी प्रत्याशी तय करने के दिए संकेत
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में वैसे तो अभी दस माह का समय है, लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर प्रत्याशी चयन में भाजपा को पीछे छोड़ते हुए बाजी मार ली है। पार्टी सूत्रों की माने तो कमलनाथ ने करीब दो दर्जन नाम तय कर लिए हैं, जिन्हें अब अपने क्षेत्र में जाने को कह दिया गया है। यह वे नेता हैं जो बीता चुनाव कम मतों से हार गए थे और उनके मुकाबले में पार्टी में कोई अन्य मजबूत नाम अब तक सामने नहीं आया है। इसके अलावा बीते रोज कांग्रेस के जिला प्रभारियों की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने यह संकेत भी दे दिए हैं की प्रदेश में अगले तीन माह के अंदर सभी सीटों के नाम तय कर लिए जाएंगे। नाम तय होते ही उन्हें अपने-अपने इलाकों में अभी से पूरी तरह से चुनावी तैयारियों की सक्रियता के लिए कह दिया जाएगा। यह बात अलग है कि इनके नामों की अधिकृत घोषणा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही किया जाएगा। बताया जा रहा है कि पार्टी इस माह के अंत तक करीब दो दर्जन और नामों को तय कर लेगी। दरअसल कमलनाथ इस बार पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव के लिए पर्याप्त समय देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
बीते रोज बुलाई गई पार्टी के जिला प्रभारियों की बैठक में साफ कर दिया गया है कि पिछले चुनाव में जिन मौजूदा विधायकों को टिकट दिए थे, उनमें से आधे हार गए। इसलिए विधायक भी अति आत्म विश्वास में न रहें। एक-एक मतदाता अहम है। इसलिए सर्वे होगा और नाम आने पर ही टिकट दिया जाएगा। नाथ के संकेतों से साफ है कि टिकट का सिंगल फार्मूला सिर्फ जीतने की क्षमता ही होगी। बैठक में मतदाता सूची पर काम करने की बात कही गई। बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल भी उपस्थित थे। जिस तरह के संकेत कमलनाथ द्वारा दिए गए हैं , उससे यह भी माना जा रहा है कि जो प्रत्याशी पांच हजार से भी कम मतों से हार गए थे, उन्हें भी इस बार टिकट देने में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन उन्हें भी सर्वे रिपोर्ट में खरा उतरना होगा। बताया जा रहा है कि अगले तीन माह में करीब डेढ़ सौ टिकट तय कर लिए जाएंगे। कांग्रेस का फोकस पिछले चुनाव में 3-5 हजार वोटों से हारी 33 सीटों पर है। यह वे सीटें हैं जहां पर अभी से मेहनत करने पर पार्टी की जीत की संभावनाएं बन सकती हैं। इसके अलावा पार्टी उन सीटों पर भी फोकस कर रही है , जहां पर बीता चुनाव कम मतों से हारने के बाद वह नेता दल छोड़कर भाजपा में चले गए हैं। ऐसी सीटों पर नए मजबूत चेहरों की भी तेजी से तलाश की जा रही है। इनमें मैहर जावरा और कोलारस की सीट शामिल है। दरअसल मैहर में 2018 में श्रीकांत चतुर्वेदी भाजपा के नारायण त्रिपाठी से 2984 वोटों से हारे थे, लेकिन वे श्रीमंत के साथ अब भाजपा में हैं। इसी तरह से कोलारस से 720 वोटों से चुनाव हारे महेंद्र यादव भी अब भाजपाई हो गए हैं। इसके साथ ही ग्वालियर-चंबल संभाग की प्रत्येक सीट पर विशेष रुप से फोकस किया जा रहा है। नाथ द्वारा जिन सीटों पर प्रत्याशी लगभग तय कर लिए गए हैं ,उनमें विजयपुर, अटेर, ग्वालियर ग्रामीण, दतिया, बीना, टीकमगढ़, चंदला, जबेरा, नागोद, अमरपाटन, त्योंथर, सिंगरौली, धोहनी, जैतपुर, बांधवगढ़, टिमरनी, सारंगपुर, शुजालपुर, धार, इंदौर-3, इंदौर-5, जावरा, गरोठ, जावद के नाम शामिल हैं। इन सीटों पर बीते चुनाव के ही प्रत्याशियों को अभी से सक्रिय होने को कह दिया गया है।
कम मतों की हार जीत का यह रहा था गणित
बीते आम विधानसभा चुनाव में कुल दा सीटों पर हार जीत का अंतर महज एक हजार मतों से भी कम का रहा था, जिसमें से सात पर कांग्रेस व तीन पर भाजपा को जीत मिली थी। अगर पांच हजार मतों से भी कम से हार-जीत वाली सीटों की बात की जाए तो इनकी संख्या 46 रही थी।
इनमें भी कुल 16 सीटों पर अंतर 1,300 से कम रहा, इनमें 2,000 से कम अंतर वाली सीटें जोड़ दें तो संख्या 18 हो जाती हैं वहीं, मानक 3,000 से कम अंतर करें तो संख्या 30 हो जाती है। इनमें से कांग्रेस को जौरा में 511, बीना में 632 और कोलारस में 720 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह से भाजपा को भी 7 सीटों पर एक हजार से कम मतों से हारना पड़ा था। इनमें ग्वालियर दक्षिण 121 मतों से, सुवासरा 350, जबलपुर उत्तर 578, राजनगर 732, दमोह 798, ब्यावरा 826 और राजपुर 932 मतों से भाजपा हार गई थी। वहीं, इंदौर-5 1,133 मतों से, चांदला 1,177 मतों से और नागौद सीट 1,234 मतों से कांग्रेस ने हारी थी। इस तरह कुल 6 सीटें 1300 से भी कम अंतर से कांग्रेस को गंवानी पड़ी थीं। तो वहीं भाजपा मंधाता 1236, नेपानगर 1264 मतों से हार गई थी। इस तरह भाजपा कुल 9 सीटें 1300 से कम मतों से हारीं। गुन्नौर सीट भी वह 1984 मतों से हारी थी।
इन सीटों पर फोकस
कांग्रेस इस बार सीहोर, शिवपुरी, गुना, रेहली, नरयावली, सागर, बिजावर, पथरिया, हटा, सिरमौर, सेमरिया, रीवा, सीधी, देवसर, जयसिंह नगर, मानपुर, मुड़वारा, जबलपुर केंट, पनागर, सिहोरा, परसवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, आमला, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर आदि सीटों पर अभी से पूरी ताकत लगाने की तैयारी में हैं। इसकी वजह है इन सीटों पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है।
नाथ ने भरा उत्साह , कहा बन रही पार्टी की सरकार
बैठक में कमलनाथ ने नेताओं में उत्साह भरते हुए कहा कि मुझे जिस तरह का फीडबैक पूरे प्रदेश से मिल रहा है, उसे देखते हुए कांग्रेस कार्यकर्ता छाती ठोक कर कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बन रही है। इससे पहले सभी जिला प्रभारियों ने अपने-अपने क्षेत्र की रिपोर्ट नाथ को सौंपी। नाथ ने कहा, हम लोग मंडलम और सेक्टर पर पहले से काम कर रहे हैं और जल्दी बूथ प्रभारियों और पन्ना प्रभारियों की भी नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा, भाजपा सिर्फ चुनावी घोषणाएं कर रही है और अब जनता इसे अच्छी तरह से समझ गई है। आप सब को जनता के बीच जाना है और संगठन को मजबूत कर यह चुनाव जीतना है। नाथ ने जिला प्रभारियों से कहा, आपका दायित्व है कि पार्टी के प्रत्येक पदाधिकारी और कार्यकर्ता को समुचित जिम्मेदारी दें और उनकी क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग करें। प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है। पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता और नेता नाथ की अगुवाई में अगली सरकार बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस का संगठन मजबूत है और चुनाव से पहले हमें आवश्यकता है कि हम सब एकजुटता और उत्साह से चुनाव की तैयारी में जुट जाएं।