तय सीमा समय में होंगे महिलाओं से जुड़े अपराधों के निराकरण.
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्य प्रदेश में हो रहे महिला अपराधों को लेकर पुलिस मुख्यालय सख्त हो गया है। पीएचक्यू ने महिला अपराधों की जांच के लिए टाइम लिमिट बना दी है। यदि समय पर जांच पूरी नहीं हुई, तो अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिरेगी। निर्देशों के साथ महिला अपराधों से जुड़ी नई गाइडलाइन भी जल्द जारी की जाएगी। महिला अपराधों की विवेचना में अनावश्यक देरी करने और लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के साथ नियमानुसार सजा भी दी जाएगी। नई गाइडलाइन में विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्परता से विवेचना पूर्ण कर न्यायालय से निराकरण कराने पर बल दिया गया है। पुलिस मुख्यालय द्वारा तैयार किए गए नए टारगेट में पुलिस को अब महिला अपराधों की विवेचना 2 महीने के अंदर पूरी करनी होगी। पीएचक्यू की मंशा पर काम करने वाले संबंधित अफसर को भी फायदा मिलेगा। ई-विवेचना एप के जरिए रैकिंग रिपोर्ट भी तय होगी। जिसके बाद सीआर में अफसर को ग्रेड भी दिए जाएगा। खास बात है कि एएसपी और सीएसपी भी आईजी को रिपोर्ट देंगे। यदि विवेचना में देरी होती है तो कारण भी बताना होगा।
देरी से आरोपी को मिल जाती है जमानत
दरअसल, महिला अपराधों के मामलों में आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई हो सके। इसके लिए महिला अपराध शाखा ने नई प्लानिंग तैयार की है, जिसके जरिए आरोपी की गिरफ्तारी के बाद जमानत से पहले पुलिस विवेचना पूरी कर डायरी कोर्ट में प्रस्तुत करे। अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में महिला अपराध शाखा ने पाया है कि विवेचना और डायरी पेश करने में देरी की वजह से आरोपी को जमानत मिल जाती है। फिर फरियादी को आरोपी धमकाने की कोशिश भी करता है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए महिला अपराध शाखा ने अफसरों की जिम्मेदारी तय की है।
ये मिलेगी सजा
जांच में देरी और लापरवाही सिद्ध होने पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के अधीन और लंबित विवेचना के तहत कार्रवाई होगी। यह उन प्रकरणों पर भी लागू होगा जिन प्रकरणों में आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी योग्य साक्ष्य होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है और संबंधित न्यायालय से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 299 के तहत आरोपी की गैरहाजिरी में सुनवाई करने के लिए निवेदन के साथ चालान पेश किया गया है। यदि आरोपी से कोई जब्ती होनी है और फिर साक्ष्य बतौर उसका मेडिकल परीक्षण कराया जाना है तो भी विवेचना लंबित ही मानी जाएगी।
अधिकारियों की तय होगी जिम्मेदारी
नई गाइडलाइन में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी। इसके लिए प्रदेश के 4 बड़े शहर भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के अफसरों को महिलाओं से संबंधित अपराधों पर अंकुश लगाने के कर्तव्य बताए गए है। इसके अलावा इन 4 जिलों में महिला अपराध को रोकने के लिए अफसरों को पदस्थ किया गया है। पीएचक्यू के मुताबिक महिला एवं बालिकाओं संबंधित अपराधों की लगातार मॉनिटरिंग करनी होगी। वहीं इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम रैंकिंग की रिपोर्ट से आईजी को अवगत कराना अनिवार्य होगा। वहीं डीएसपी महिला अपराध इन जिलों के महिला थानों के नोडल ऑफिसर होंगे। इसके अलावा एसिड अटैक के मामले अनैतिक देह व्यापार से संबंधित मामलों का पर्यवेक्षण करना अनिवार्य होगा, जिसकी रिपोर्ट और संवेदनशील स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा की कार्य योजना की तैयारी की जानकारी डीएसपी द्वारा एसपी को दी जाएगी। वहीं महिला अपराध संबंधित मामले की विवेचना 2 महीने में पूरा करना अनिवार्य होगा। यदि किसी कारणवश विवेचना 2 महीने की अवधि में पूरी नहीं हो पाई है तो उसकी जानकारी जोनल आईजी के सामने पेश करनी होगी।