अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर जगा रहे हैं अलख…
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी एक बार फिर से भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी करने वाले हैं। इसकी वजह है उनके द्वारा चुनावी साल में निकाली जाने वाली रथ यात्रा। इस रथ यात्रा के माध्यम से उनके द्वारा अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर अलख जगाई जाएगी। दरअसल त्रिपाठी पूर्व में एक अलग पार्टी बनाने की बात भी कर चुके हैं। उनके द्वारा बनाए जा रहे इस मुद्दे से इस बार अंचल में राजनैतिक गणित बिगड़ने के आसार अभी से बनते दिख रहे हैं। कांग्रेस से भाजपाई बने त्रिपाठी अब विंध्य के सात जिलों को अलग करके विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर लगातार सक्रिय बने हुए हैं। चार बार के विधायक त्रिपाठी बीजेपी में रहने के बाद भी लगातार पार्टी लाइन से हटकर बयान देने की वजह से भी चर्चा में बने रहते है। दरअसल बीते छह दशक से मप्र में पृथक विंध्य राज्य की मांग उठ रही है। दो साल पहले भोपाल में हुए विंध्योत्सव कार्यक्रम में भी इस संबंध में उनके द्वारा मांग उठाई गई थी। नवंबर 1956 में जब मप्र का गठन हुआ, तब यह मांग आई थी। मप्र विधानसभा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व. श्रीनिवास तिवारी भी इसके समर्थक रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर विधानसभा में राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा था। जिसमें उनके द्वारा बघेलखंड व बुंदेलखंड को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग उठाई थी। मार्च 2000 में मप्र विधानसभा ने पृथक विंध्य प्रदेश बनाने का संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने जुलाई 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल के गठन को हरी झंडी दे दी, लेकिन विंध्य का प्रस्ताव छूट गया था। इस मामले में त्रिपाठी आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। उनके विरोधी तेवरों को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार शायद ही भाजपा उन्हें अपना प्रत्याशी बनाए। इस संभावना की वजह से अब उनके द्वारा विंध्य प्रदेश की मांग वाला राजनैतिक दल बनाने की भी पूरी तैयारी कर ली है। इस कड़ी में उनके द्वारा नए झंडे का लोकार्पण तक किया जा चुका है। भाजपा विधायक त्रिपाठी लगातार सतना रीवा और सीधी में जगह जगह बैठ कर जनसमूह से विंध्य प्रदेश की मांग की बात करते रहते हैं। गौरतलब है कि 1956 में मध्य प्रदेश का गठन हुआ था। तभी से अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग उठी थी लेकिन छह दशकों में उठे मांग को किसी न किसी वजह से दबा दिया जाता है। अब ऐसे में नारायण त्रिपाठी द्वारा लगातार विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर कवायत तेज कर दी गई है।
यह है राजनैतिक परिदृश्य
विंध्य अंचल राज्य का पांचवां सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस अंचल में 31 विधानसभा सीटें और 4 लोकसभा सीटें आती हैं। मध्य प्रदेश बनने के बाद से यह अंचल राजनीति का केंद्र रहा है। बीते कुछ विधानसभा चुनावों की बात करें तो इसमें बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए विंध्य बीजेपी का मजबूत किला है। यहां तक कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भी पार्टी यहां ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी। यह वो अंचल है जहां पर जातिगत समीकरण हावी रहते हैं। अंचल में ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ा वर्ग से कुर्मी का भी दबदबा रहा है। अगर बीते चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। इसी तरह से बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर थी। वहीं 1-1 सीटों पर समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे।
रैगांव में हार की बन चुके हैं वजह
भाजपा का तीन दशकों से गढ़ रही रैगांव विस सीट पर त्रिपाठी के आंदोलन ने भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ दिया था। भाजपा संगठन व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पूरी ताकत लगाए जाने के बाद भी भाजपा की प्रतिमा बागरी को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव प्रचार के समय त्रिपाठी इस क्षेत्र में अपनी जागरूकता यात्रा लेकर गए थे।