मिडिल क्लास पर महंगाई की मार, आटा के दाम हुए दोगुने , तेल ढाई गुना महंगा.
मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। महंगाई इन दिनों बेलगाम है। सैलरी तो राशन, दूध, सब्जी और सिलेंडर पर ही पूरी खर्च हो रही है। लोअर मिडिल क्लास जो 10 से 20 हजार रुपए महीना सैलरी पर जी रहे हैं, उनके लिए 5 साल में सब कुछ बदल चुका है। इस महंगाई में मकान का किराया, बिजली-पानी बिल या बच्चों की स्कूल फीस तो अलग है। बात सिर्फ रसोई की हो रही है। 2016 में जो रसोई 10 से 20 हजार की सैलरी वालों को दो वक्त की दाल-रोटी दे रही थी। वह अब निवाला छीनने को बेताब है।
वर्तमान में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम स्थिर हैं। फिर भी दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। गेहूं पिछले साल से लेकर अब तक 37 प्रतिशत महंगा हो गया है। इस वजह से आटे का फुटकर भाव 35 रुपए पार गया है। कच्चे माल में तेजी के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुछ कंपनियों ने वस्तुओं का वजन कम कर दिया है, लेकिन सामान महंगा नहीं किया है। इससे जनता को दोहरा नुकसान है। उधर, कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन भी एक से डेढ़ फीसदी कम कर दिया है। ताकि प्रॉफिट मार्जिन के स्तर को बनाया रखा जा सके। राजधानी के कुछ प्रमुख एफएमसीजी, किराना, आटा-मैदा, तेल-शक्कर और डेली नीड्स के सामानों को बेचने वाले डीलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स से बातचीत में पता चला कि कच्चे माल के दाम बढ़े हैं। एक मार्केट एक्सपर्ट एवं कारोबारी का कहना है कि कुछ कंपनियों ने रेट बढ़ाए हैं, कुछ ने वजन घटा दिया है। आर्थिक विश्लेषक आदित्य जैन मनयां बताते हैं कि लंबे समय तक कंपनियां इनपुट लागत का वजन ग्राहकों पर डाल सकती हैं। उनका कहना है कि जनवरी में उपभोक्ता वस्तुओं में 1 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
आटा-चावल हुए महंगे
गेहूं की कीमत में पिछले साल से अब तक इसमें 37 फीसदी से अधिक तेजी आ चुकी है। लेकिन, सरकार मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत खुले बाजार में गेहूं उपलब्ध करा दें तो इसमें कुछ मंदी आ सकती है। माना जा रहा है महंगाई थामने के लिए सरकार बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं और आटा खुले बाजार में बेचने की तैयारी में है। आटा मिलों ने सरकार से गेहूं का स्टॉक बाजार में लाने की मांग की है। वर्तमान में 35 रूपए किलो तो चावल बासमती120 रूपए , चावल कनकी 37 रूपए किलो बिक रहा है। वहीं घी 620, जीरा 400 रुपए प्रति किलो हो गया है। भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आकाश गोयल का कहना है कि रॉ मटेरियल की कीमतों में तेजी है। कंपनियों को कच्चा माल महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। कंपनियां रेट कंट्रोल की कोशिश में हैं। इसी रम में कुछ वस्तुओं के वजन कम हुए हैं। वहीं थोक आटा-मैदा कारोबारी दीपक पंसारी का कहना है कि गेहूं में तेजी के कारण खुदरा बाजार में आटा का भाव 35 रुपए प्रति किलो तक है। सरकार ने खुले बाजार में गेहूं उपलब्ध नहीं कराया तो स्थिति और खराब हो सकती है। मप्र रोलर फ्लोर मिलर्स एसो. के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि मप्र में करीब 75 फ्लोर मिलें की डिमांड करीब 10,000 टन है। गेहूं के कमी के चलते 1000 टन भी नहीं मिल रहा। इससे थोक में आटा 3300 तक और फुटकर में 3400 से 3500 रुपए में मिल रहा है।
मसालों ने भी तीखा कर दिया स्वाद
अगर बीते 5 साल में आपकी आमदनी दोगुना नहीं हुई है तो ये बेहद चिंता की बात है। क्योंकि आपकी रसोई का बजट बीते 5 साल में डबल हो चुका है। रसोई में लगने वाला तडक़ा बहुत महंगा हो चुका है। रसोई में तडक़ा लगाना तक बहुत महंगा हो चुका है। क्योंकि मसालों के दाम भी इन पांच साल में तेजी से भागे हैं। जीरा इस साल अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। मप्र कंज्यूमर डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन सुनील जैन, 501 का कहना है कि क्वालिटी और अपने ब्रांड नेम को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने वस्तुओं का वजन घटाया है। इसलिए दाम स्थिर हैं। डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन कम कर दिया है। सर्वाधिक उपयोग होने वाले साबुन, डिटरजेंट सोडा, वेनजीन, पैकिंग कागज, प्लास्टिक, मिनरल्स, पीपी, शॉप स्टोन पाउडर, अगरबत्ती का बैंबू, ऑयल केमिकल, बिस्किट के सामान (तेल व शक्कर छोडकर), आटा, मैदा और घी के भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।