मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में विधानसभा चुनाव का
काउंटडाउन शुरू हो गया है। अब विधानसभा चुनाव को 10 महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में कांग्रेस ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। कांग्रेस उन सीटों पर फोकस कर रही है, जहां पर भाजपा की मजबूत स्थिति है। इसके लिए पीसीसी चीफ ने प्रकोष्ठों की बैठकें करके रणनीति बना ली है। अब जल्द ही उन्हें नए टारगेट देकर मैदान में सक्रिय किया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में हारी हुई 100 से ज्यादा सीट और उपचुनाव में हारी हुई सीटों को जीतने लिए अभी जुट गई है। कांग्रेसी ऐसी सभी सीटों पर फोकस कर रही है इसके चलते इस सभी सीटों पर विशेष प्लान बनाया जा रहा है। कमलनाथ ऐसी सभी सीटों पर जाएंगे और पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे।
इसके अलावा कांग्रेस अभी से ऐसा माहौल तैयार करने में लगी हुई है जिससे जनता के बीच संदेश जाए कि प्रदेश में नई सरकार आने वाली है। पीसीसी चीफ कमलनाथ की एक ही कोशिश है की इस बार बड़ी जीत के साथ सत्ता में आया जाए। इस कारण प्रदेश कांग्रेस कमेटी एक्शन मोड में है। कमलनाथ ने बीते छह महीने में संगठनात्मक कार्यों पर फोकस करने के बाद उन इलाकों की ओर रुख किया जहां बीते चुनाव में पार्टी का परफॉर्मेंस कमजोर रहा। जनवरी के पहले पखवाड़े में नाथ ने हारी हुई सीटों पर जाकर मंडलम बैठकें और सभाएं कीं तो दूसरे पखवाड़े में नई कार्यकारिणी घोषित होने पर जिम्मेदारों को बता दिया कि अब फील्ड में ही रहना है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी कार्यक्रम हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत हर विधानसभा क्षेत्र में बूथवार कार्यक्रम के अलावा प्रदेश प्रभारी जय प्रकाश अग्रवाल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी दौरे कर रहे हैं। सिंह का फोकस ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्र पर है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अब्बास हफीज का कहना है कि पूरा कांग्रेस संगठन हमारे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में मप्र में एक लक्ष्य सरकार बनाने के लिए काम कर रहा है। जिस तरह से कमलनाथ के दौरे में जनता ने प्रतिसाद दिया है उससे पता चलता है कि जनता भी प्रदेश में परिवर्तन के लिए पूरी तरह तैयार है। जनता देख रही है कि कांग्रेस का नेतृत्व, संगठन ही उनका विकल्प है।
संगठन में बदलाव की कवायद…
कमलनाथ की कोशिश है कि चुनावी साल में संगठन में सक्रिय नेताओं को अधिक से अधिक जिम्मेदारी दी जाए। इसके लिए संगठन में नए चेहरों को आगे लाने पर काम चल रहा है।प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जंबो कार्यकारिणी घोषित होने के बाद पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारियां देने पर काम किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो फरवरी के पहले सप्ताह से ही सभी पदाधिकारी अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारियों के साथ नजर आएंगे। संगठन में नियुक्तियों को लेकर भी अब कमलनाथ निश्चिंत हैं। प्रदेश कार्यकारिणी में लगभग हर अंचल के नेता को एडजस्ट किया गया है। प्रदेश प्रभारी ने यह अंतिम सूची नहीं बोलकर असंतुष्टों को भरोसा • दिलाया है कि जो भी कमी रह गई है उसे संतुलित कर लिया जाएगा। अग्रवाल के बात में यह संदेश भी छुपा है कि निष्क्रिय रहने वाले पदाधिकारियों की छुट्टी भी की जा सकती है। इस तरह संगठन की खींचतान को लेकर नाथ की चिंता दूर हो गई है। प्रमुख प्रकोष्ठ और विभागों की बात करें तो महिला कांग्रेस और अल्पसंख्यक विभाग में कुछ महीनों पहले ही नियुक्तियां की गई हैं। कांग्रेस आगामी चुनावों में संगठन के अनुभवी नेताओं के साथ ही युवा चेहरों को आगे कर जनता के बीच जाएगी। इंदौर महिला कांग्रेस अध्यक्ष पर साक्षी शुक्ला जैसी युवा अधिवक्ता की नियुक्ती से यही संदेश दिया गया है। इससे पहले मीडिया के संभागीय प्रभारियों की नियुक्ति में भी इसी लाइन पर काम किया गया था। इसके अलावा चुनाव से पहले भी हर जिले में कुछ युवा नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
अब एक्शन मोड में कांग्रेस और कमलनाथ
कमलनाथ अब तक 12 प्रकोष्ठों की अलग-अलग बैठकें कर चुके हैं। सभी 44 प्रकोष्ठ और विभागों की एक संयुक्त बैठक भी आयोजित की जा चुकी है। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हारी हुई सीटों पर एक-एक दौरा कर लिया। वे बुंदेलखंड में टीकमगढ़ और निमाड़ में बैठक और सभाएं करके आए। इससे पहले सतना में अन्य पिछड़ा वर्ग के सम्मेलन में शामिल हुए। हालांकि सतना में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन महापौर चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को भी फिर से जुटने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद नाथ ने बैतूल के आमला में दौरा किया। वे हरदा जिले के सिराली भी पहुंचे। बैतूल जिला छिंदवाड़ा से करीब होने के कारण वहां के ज्यादातर नेताओं का संपर्क कमलनाथ से रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पहले दौरे में कमलनाथ ने सभी कांग्रेसजनों को दो टूक कहा है कि हमारी पहली प्राथमिकता पार्टी को जिताना है। टिकट किसी को भी मिले उनका विकल्प है। हर नेता और कार्यकर्ता के काम कराना मेरी जवाबदारी है। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले विंध्य क्षेत्र में अब कांग्रेस की स्थिति कई सालों से ठीक नहीं है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के निधन के बाद से कांग्रेसी यहां पर लगातार कमजोर होती गई। इसलिए कमलनाथ सबसे ज्यादा विंध्य क्षेत्र में दौरे कर सकते हैं। इस क्षेत्र में 24 सीटें जिनमें से केवल चार कांग्रेस के पास है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का यही क्षेत्र सबसे कमजोर रहा था यहां पर पहले सिर्फ 3 सीटें आई थी। बाद में रैगांव में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने चुनाव जीत दर्ज कर यहां पर अपने विधायकों की संख्या चार कर ली थी। पिछले चुनाव में क्षेत्र से कम सीट मिलने के कारण ही कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ था।