मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। मप्र विधानसभा का बजट सत्र 27
फरवरी से 27 मार्च तक चलेगा। इस दौरान सरकार वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी। इस बार का बजट आम और खास की उम्मीदों पर खरा उतर सकता है। क्योंकि ये चुनावी तैयारी का बजट होगा। इसमें विधानसभा चुनाव की झलक दिख सकती है। बजट में स्थानीय विकास के साथ हर वर्ग यहां तक कि बच्चों के मुद्दे भी शामिल करने की तैयारी है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के बजट में स्थानीय विकास के मुद्दों पर सबसे ज्यादा फोकस होगा। इसके साथ उद्योग, कर्मचारी, शिक्षा और युवाओं के साथ पहली बार बच्चों के लिए अलग बजट होगा। हर वर्ग के लिए कुछ ना कुछ नया करने की तैयारी है। इसके लिए राज्य के बजट में सरकार का सर्वाधिक ध्यान सामाजिक क्षेत्र पर रहेगा।
चुनावी वर्ष होने के कारण इस बार सरकार करीब सवा तीन लाख करोड़ रुपए का बजट पेश करेगी। सरकार 28 फरवरी को विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट प्रस्तुत कर सकती है। इसमें सरकार का सर्वाधिक ध्यान सामाजिक क्षेत्र पर रहेगा। मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए विभिन्न स्वरोजगार की योजनाओं को लागू कर चुके हैं। इनके लिए बजट में वित्तीय प्रावधान किए जाएंगे। वहीं, अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए वर्तमान बजट में 23 प्रतिशत की वृद्धि करके 26,941 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। यह तीस हजार करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री बजट को अंतिम रूप केंद्रीय बजट को देखने के बाद देंगे। इसमें केंद्रीय करों में से हिस्सा 75 हजार करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह राशि 64,107 करोड़ रुपये अनुमानित है। वहीं, राज्य ने केंद्रीय सहायता में भी वृद्धि की मांग केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से की है। यह वित्त वर्ष 2022-23 में 44,595 करोड़ रुपये अनुमानित है।
इस वर्ष विकास कार्यों की भरमार
सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ही अन्य पार्टियां चुनावी मोड में आ गई हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि विकास कार्यों के माध्यम से जनता को अपनी ओर आकृष्ट करें। इसके लिए इस वर्ष विकास कार्यों की भरमार रहेगी। विधायक, मंत्रियों की स्थानीय घोषणाएं, भूमिपूजन और क्षेत्र में विकास कार्यों पर अधिक व्यय होना है। मुख्यमंत्री ने भी विभाग प्रमुखों को स्पष्ट कहा है कि जनप्रतिनिधियों, विधायक, मंत्रियों द्वारा क्षेत्र में बताए गए विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। जिसके चलते विभागों ने अधिक बजट उपलब्ध कराने की मांग की है। चुनावी वर्ष को देखते हुए इस वर्ष राज्य सरकार तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक बजट का प्रावधान कर रही है। सरकार की चुनावी रणनीति को देखते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास, सहकारिता, श्रम, स्वास्थ्य, ऊर्जा, वन, नगरीय विकास एवं आवास, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण, पंचायत, जनसंपर्क, जनजातीय कार्य, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, संस्कृति, जल संसाधन, पीएचई, पशुपालन, मछुआ कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास, महिला एवं बाल विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, उद्यानिकी, आयुष, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, विमुक्त घुमक्कड़ जनजाति कल्याण और उच्च शिक्षा विभाग ने इस वर्ष अधिक बजट मांगा है।
बजट में आम लोगों को… अच्छे दिनों का एहसास
मतलब विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार का यह बजट आम लोगों को अच्छे दिनों का एहसास रहने वाला होगा। पिछली बार बजट में सरकार ने कोई टैक्स नहीं लगाया था उम्मीद इसी को लेकर सरकार इस बार भी सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी। मतलब साफ है कि इस बार राज्य के बजट में आम लोगों को कई सौगातें मिल सकेंगी। वहीं आपका राशन-आपके द्वार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री आपका राशन-आपके द्वार योजना की तर्ज पर लागू की जा रही। अन्नदूत योजना के लिए प्रावधान करना प्रस्तावित है। इसमें युवाओं को सरकार अपनी गारंटी पर बैंकों से वाहन खरीदने के लिए न केवल ऋण दिलाएगी बल्कि मर्जिन मनी के साथ ब्याज अनुदान भी देगी। इसी तरह अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए 19,020 करोड़ रुपये के प्रावधान को बढ़ाकर 25 हजार करोड़ रुपये तक किया जा सकता है। इस वृद्धि से अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लिए संचालित स्वरोजगार योजना के लिए वित्तीय प्रबंध होगा। इसके साथ ही लाड़ली लक्ष्मी योजना के भाग दो, लाडली बहना, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन, संबल, छात्रवृत्ति सहित अन्य योजनाओं के लिए पर्याप्त प्रावधान रखे जाएंगे। सामान्य क्षेत्र की योजनाओं के लिए भी राशि में वृद्धि करने की मांग विभागों की ओर से की गई है।
महिलाएं और युवा को प्राथमिकता…
इस बार के बजट में सरकार की प्राथमिकता में महिलाएं और युवा रहेंगे। लाड़ली बहना योजना की घोषणा करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता में महिलाएं हैं और आगे भी रहेंगी। इसके साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए उपयोजनाओं के साथ ही स्वरोजगार संबंधी योजनाओं में वित्तीय प्रावधान किए जाएंगे। आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा सकता है। वहीं प्रदेश में बेरोजगारों को राज्य सरकार के बजट से काफी उम्मीदें हैं। सरकार ने एक लाख रोजगार हर महीने देने का वायदा किया है। इस साल के बजट में सरकार स्थानीय मुद्दों के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस करने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने मौजूदा विधायकों से 15 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों का प्रस्ताव मांगा था। उन विकास कार्यों के लिए बजट में खास राशि का प्रावधान होगा।
राज्य की आय बढ़ाने पर रहेगा जोर
सूत्रों का कहना है कि सरकार का जोर इस बात पर रहेगा कि राज्य कर से आय में वृद्धि की जाए ताकि विकास योजनाओं के साथ सामाजिक क्षेत्र पर अधिक राशि व्यय की जा सके। इस वर्ष सरकार ने 72, 860 करोड़ रुपये राज्य कर से प्राप्त होने का अनुमान लगाया है। दिसंबर तक देखा जाए तो सरकार को वैट से 12, 600 करोड़ रुपये, जीएसटी से 20,300 रुपये, आबकारी से 9200 और पंजीयन से 6200 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। अगले वित्तीय वर्ष में जीएसटी से 31,900, वैट से 19000, आबकारी से 14,400 और पंजीयन एवं मुद्रांक से 10, 300 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है। हालांकि, अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।