नाथ विरोधियों की मंशा पर फेरा पानी
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर जारी घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र और पूर्व मंत्री जयवर्धन ने साफ कर दिया है कि पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा कमलनाथ ही हैं। जयवर्धन ने यह कहकर नाथ विरोधियों की मंशा पर पानी फेरने का प्रयास किया है। यह बात अलग है कि प्रदेश में यह पहले से ही माना जा रहा है कि कांग्रेस को अगर बहुमत मिलता है तो नाथ ही एक बार फिर कांग्रेस सरकार में सीएम होंगे। उधर, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव सहित कई अन्य नेताओं के बयानों के बाद से कांग्रेस के भीतर और बाहर की राजनीति गर्मा रही है। इसकी वजह है पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का भी अरुण यादव के समर्थन में उतर जाना। यादव के बाद उन्होंने भी कहा कि सीएम का फेस तय करने की एक प्रक्रिया है। जिसका चयन विधायक दल करता है। हालांकि इस मामले को शांत करने के लिए खुद कमलनाथ का कहना है कि वो किसी पद की खोज में नहीं हैं, बल्कि वह तो मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं। साल 2023 के आगाज के साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस ने नया साल-नई सरकार का नारा दिया। कांग्रेस के कई नेताओं ने सडक़ों पर बैनर-पोस्टर्स और होर्डिंग लगाकर कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताया। कुछ पोस्टर्स पर छंटेगा अब अंधकार, आ रही है कमलनाथ सरकार जैसे नारे लिखे गए थे। चुनावी साल में कांग्रेस में अब इसी बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कमलनाथ को भावी सीएम बताने के मामले में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का साफ कहना है कि यह निर्णय तो दिल्ली से होता है। इसकी एक प्रक्रिया है। अरुण यादव को समर्थन में आए अजय सिंह ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि वे अपने आपको भावी विधायक देखते हैं। कांग्रेस में सीएम के चेहरे को लेकर अरुण यादव के तेवर और उन्हें अजय सिंह का साथ मिलने के बाद एक बार फिर कांग्रेस में गुटबाजी को हवा मिली है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या अरुण यादव की कमलनाथ के साथ पटरी नहीं बैठ रही है? क्या अजय सिंह जैसे नेता कमलनाथ से नाराज हैं?
पटवारी को भी मिल चुका झटका
इंदौर जिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष की नियक्ति भी रोकी जा चुकी है। विनय बाकलीवाल को हटाकर अरविंद बागड़ी को अध्यक्ष बनाया गया था। बताया जाता है कि नियुक्ति विधायक जीतू पटवारी की अनुशंसा पर हुई थी। रोक को पटवारी की बयानबाजी से जोड़ा जा रहा है। अब यह मामला दिल्ली पहुंच चुका है। अब इस मामले को नाथ व पटवारी ने प्रतिष्ठा का प्रश्र बना लिया है। इधर, विनय बाकलीवाल के प्रदेश महासचिव बनने और उनके फिर से अध्यक्ष का पद संभालने को लेकर सवाल अलग उठ रहे हैं। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रभारी ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक एआइसीसी से कोई नया निर्णय नहीं होता, तब तक विनयय बाकलीवाल ही अध्यक्ष बने रहेंगे।
कई जिलों में भी हो रहा विरोध
इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए अरविंद बागड़ी के नाम पर विवाद उठने के बाद उनकी नियुक्ति पर रोक लगाई गई थी। उसके बाद अब खंडवा में भी रोक लगा दी गई है। इस बीच कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पन्ना, सागर, कटनी, रीवा में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का भी स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है। जिलों से नियुक्तियों के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास शिकायतें आई हैं।
किसने क्या कहा था
मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताने पर कहा कि इसका फैसला मध्यप्रदेश से नहीं, बल्कि दिल्ली से होता है। इसकी बाकायदा एक प्रक्रिया है। मध्यप्रदेश में कोई चेहरा नहीं है। कमलनाथ जी हमारे अध्यक्ष हैं। सर्वमान्य अध्यक्ष हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। हम सब उनके नेतृत्व में काम करते हैं। मुख्यमंत्री कौन बनेगा, कब बनेगा, कैसे बनेगा, ये चुनाव के बाद तय होता है। नंबर्स आएंगे, विधानसभा मेंबर्स की मीटिंग होती है। एक सिस्टम है, विधायक दल की बैठक होती है। उसमें चयन होता है। हाईकमान, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष खडग़े जी हैं। सोनिया जी हैं, राहुल जी हैं, प्रियंका जी हैं, वरिष्ठ नेता और भी हैं जो दिल्ली में बैठे हैं। राय-मशविरा करेंगे, जिसे मेंडेट मिलेगा वो मुख्यमंत्री होगा। मुख्यमंत्री चयन करने की प्रक्रिया दिल्ली से होती है। मध्यप्रदेश में तो नहीं होती। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी अरुण यादव के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने कहा- ये कोई नई बात नहीं है। जब भी चुनाव हुए हैं, कांग्रेस की परंपरा रही है कि विधायक दल ही नेता चुनता है। अब कोई अपने आप को, इस तरह से कहता भी नहीं है कि मैं भावी मुख्यमंत्री हूं। मैं तो यही कह सकता हूं अपने लिए कि मैं भावी विधायक बनना चाहता हूं, बाकी और कुछ नहीं।
यादव की नाराजगी की वजह
कमलनाथ को भावी सीएम बताने पर अरुण यादव का दिया बयान क्या इस बात की टीस है कि वो खंडवा लोकसभा उपचुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला? क्या ये अरुण यादव की इस बात की नाराजगी है कि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। क्या अरुण यादव इसलिए रूठे हैं कि जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की उनके क्षेत्र से प्रदेश में एंट्री हुई थी, तो राहुल गांधी और यात्रा के स्वागत सत्कार की जिम्मेदारी अरुण यादव से लेकर निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा को दे दी गई थी।
जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों पर बढ़ रही रार
चुनावी साल में पार्टी के अंदर शुरू हुई रार कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है। हालात यह है कि एक मामला सुलझता नहीं है, दूसरा सामने आ जाता है। इंदौर शहर अध्यक्ष का मामले के विवाद के बाद अब खंडवा को लेकर भी विवाद की स्थिति बन गई है। इसे अब कमलनाथ और उनके विरोधियों के बीच पार्टी में जारी जंग के नतीजे के रुप में देखा जा रहा है। कहा तो यह जा रहा है कि प्रदेश के कई जिलों में नाथ की पसंद व ना पसंद को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। अगर इस पर जल्द की काबू नहीं पाया गया तो आने वाले जिलों में कई जिलों इंदौर जैसी स्थिति बन सकती है, जिससे पार्टी की किरकिरी होना तय है। उधर, पार्टी में जारी गुटबाजी की वजह से राजधानी भोपाल में पार्टी की कमान किसके हाथों में होगी इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। अब नया मामला खंडवा जिले का है। खंडवा शहर व ग्रामीण अध्यक्ष पद पर हाल ही में हुई नियुक्ति को बीते रोज अचानक से होल्ड कर दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने नियुक्ति पर बीते रोज रोक लगा दी। इसकी वजह लगातार मिल रही शिकायतों को बताया गया है। दरअसल इन दोनों ही पदों पर नियुक्तियां प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव की अनुशंसा पर की गई थीं। खंडवा यादव का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि नियुक्तियां होल्ड किए जाने के पीछे की वजह यादव द्वारा कमलनाथ को लेकर दिया गया बयान है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने खंडवा शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहन दाकसे और ग्रामीण इकाई का अध्यक्ष मनोज भारत्कर को नियुक्त किया था। इसको लेकर स्थानीय स्तर पर कोई खास विरोध भी सामने नहीं आया था, इसके बाद भी अब एआईसीसी ने दोनों नियुक्तियों पर रोक लगा दी। पार्टी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल ने इसकी सूचना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखकर दी। इसे अब बयानबाजी करने वाले नाथ विरोधी नेताओं पर नकेल डालने के रुप में देखा जा रहा है।