मप्र की राजनीति में पूर्व नौकरशाहों की एंट्री

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी । परम्परागत रूप से मप्र की


राजनीति दो ध्रुवीय रही है। अभी तक यहां की राजनीति में कोई तीसरी ताकत उभर नहीं सकी है। हमेशा की तरह आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है लेकिन , ऐसा माना जा रहा है कि 2018 की तरह इस बार भी यह मुकाबला बहुत करीबी हो सकता है। इसे क्षेत्रीय पार्टियां एक अवसर के तौर पर देख रही हैं। प्रदेश की राजनीति में बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे पुराने दल तो पहले से ही सक्रिय हैं लेकिन, इस बार कुछ नए खिलाड़ी भी सामने आए हैं जो आगामी चुनाव के दौरान अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। इनमें कुछ पूर्व नौकरशाह भी हैं जो अपनी पार्टी बनाकर राजनीति के मैदान में उतरे हैं। वहीं आम आदमी पार्टी और जयस भी जमीन तलाश रही हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने चुनावी मैदान में उतर कर अपने लिए जमीन तलाशने की कोशिश की। लेकिन भाजपा और कांग्रेस के गढ़ मप्र में छोटी पार्टियां कमजोर साबित हो रही हैं। फिर भी इस बार के चुनाव में मप्र की राजनीति में तीसरी ताकत बनने की कोशिश में पार्टियां सक्रिय हैं। इनमें पूर्व आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा की पार्टी वास्तविक भारत पार्टी और पूर्व आईएएस डॉ. हीरालाल त्रिवेदी की सपाक्स पार्टी भी शामिल है।
युवाओं और जातीय समीकरण पर फोकस
प्रशासन में लंबी पारी खेलने वाले दो पूर्व नौकरशाह भी अपनी पार्टी को मप्र की राजनीति में तीसरी ताकत बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। मिशन 2023 में पहली बार वास्तविक भारत पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी। इस पार्टी के प्रमुख पूर्व आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा हैं। वहीं पिछले चुनाव में कोई परफॉर्मेस नहीं दिखा पाए पूर्व आईएएस डॉ. हीरालाल त्रिवेदी की सपाक्स पार्टी फिर मैदान में आने को तैयार है। नव गठित पार्टी ने प्रदेश में 42 माह में 25 लाख युवाओं को रोजगार देने का भरोसा दिया है , तो दूसरे दल ने एक बार फिर एट्रोसिटी एक्ट को वापस लेने की मांग दोहराई है। कुछ और पूर्व आईएएस सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। मिशन 2023 के लिए भाजपा सरकार विकास यात्रा निकाल रही है। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ग्वालियर-चंबल के बाद विंध्य की ओर रुख किया है। मालवा-निमाड़ और बुंदेलखंड में एक दौर की सभाएं हो चुकी हैं। आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ आ रही है। बसपा और सपा भी अपना प्रभाव दिखाएगी। सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आईएएस डॉ. हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि जिलों में हमारे दौरे जारी हैं। वर्ष 2018 की अपेक्षा ज्यादा मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेंगे। आज 44 हजार से अधिक कार्यकर्ता और पदाधिकारी हो चुके हैं। आज भी हमारी मांग एट्रोसिटी एक्ट वापस लेने और आरक्षण में क्रीमीलियर को लेकर सरकार गंभीर हो, की है। सपाक्स पार्टी के साथ पूर्व आईएएस वीणा घाड़ेकर कदम से कदम मिला रही हैं।
वाभापा सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
विधानसभा चुनाव में वास्तविक भारत पार्टी पहली बार उतर रही है। पार्टी अध्यक्ष वरदमूर्ति मिश्रा ने आईएएस की नौकरी छोडक़र राजनीति का रास्ता अपनाया है। उन्होंने बताया कि 27 जिलों में कार्यकारिणी गठित कर ली है। चुनाव में सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे। हमारा एक ही उद्देश्य है कि समाज से अच्छे लोगों को निकालकर राजनीति में लाएं। चुनाव में हमारा प्रमुख फोकस किसानों और युवाओं पर रहेगा। उनकी सरकार बनी तो पंचायत स्तर पर ही किसानों की उपज खरीदी जाएगी और 42 माह में 25 लाख युवाओं को रोजगार देंगे। पूर्व आईएएस सभाजीत यादव ने न्याय मंच बनाया है। वे 15 से 20 सीटों पर चुनाव लडऩे की रणनीति बना रहे हैं। उनका कहना है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के लिए हम लड़ाई लड़ेंगे। एमपी में जिलों की भौगोलिक स्थिति ठीक नहीं। एक आदमी को अपने ही जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए दूसरे दो जिले पार करने पड़ते हैं। पूर्व आईएएस आरबी प्रजापति ने पृथक बुंदेलखंड राज्य बनाने का अभियान प्रारंभ किया है। उनका कहना है कि केन-बेतवा योजना के नाम पर केन्द्र सरकार ने अभी तक महज 3,900 करोड़ मंजूर किए हैं,जबकि परियोजना की लागत 46 हजार करोड़ है। छतरपुर का मेडिकल कॉलेज खटाई में है। एनटीपीसी का काम बंद हो गया। खजुराहो को इंटरनेशनल टर्मिनल नहीं बनाया। इस विधानसभा चुनाव में सरकार के कामकाज का विरोध करेंगे। पूर्व आईएएस अजिता वाजपेयी पांडेय और वीके बाथम कांग्रेस संगठन में आकर प्रदेश में परिवर्तन लाने की रणनीति बना रहे हैं। वहीं पूर्व आईएएस बीएस कुलेश कहते हैं कि न ये सरकार सुन रही और ना ही समाज के लोग जागरुक होना चाहते हैं। आज प्रदेश में एक भी आदिवासी आईएएस कलेक्टर नहीं है।
सामाजिक संगठन बनेंगे एमपी की तीसरी ताकत!
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में सामाजिक संगठन दम दिखाएंगे। एमपी में सामाजिक संगठन तीसरी ताकत बनेंगे। दरअसल, भीम आर्मी, जयस और ओबीसी महासभा ने महागठबंधन बनाया है। 25 सूत्रीय मांग को लेकर 12 फरवरी को भोपाल ओबीसी, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक समाज के संगठन मिलकर बड़ा आंदोलन करेंगे। जिसमें भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर भी शामिल होंगे। ये मुख्य रूप से जातिगत जनगणना, 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, आदिवासी समाज का पेसा एक्ट, अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर यह आंदोलन हो रहा है। बता दें कि एमपी में 90 फीसदी के करीब ओबीसी, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग हैं। चुनाव में ये वर्ग प्रभाव डाल सकते हैं। ओबीसी महासभा ने समर्थन पत्र जारी करते हुए 12 फरवरी को होने वाले आंदोलन को समर्थन दिया है। ओबीसी महासभा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू लोधी ने एक समर्थन पत्र जारी किया है, जिसके जरिए ओबीसी महासभा ने भोपाल में 12 फरवरी को होने वाले भीम आर्मी के सामाजिक न्याय आंदोलन को पूरा समर्थन देने की बात कही है। साथ ही यह दावा भी किया गया है कि इस आंदोलन में लाखों की संख्या में आंदोलनकारी इकट्ठे होंगे और ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के सभी जरूरी मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की जाएगी। गौरतलब है कि इस आंदोलन के लिए भीम आर्मी राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें भीम आर्मी प्रमुख के साथ ओबीसी नेता प्रीतम लोधी सहित महासभा के अन्य पदाधिकारी शामिल हुए थे।