चक्रव्यूह में कलेक्टर.
बुंदेलखंड क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर अपनी कार्यप्रणाली और नवाचार के कारण हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। लेकिन जिले में पदस्थापना के बाद पहली बार वे ऐसे चक्रव्यूह में फंस गए हैं की, उन्हें उससे निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। दरअसल, 2013 बैच के ये आईएएस अधिकारी अपने जिले के एक पंचायत के दो सीएमओ के बीच पद को लेकर मचे घमासान में घिरे हुए हैं। दरअसल पंचायत में पदस्थ वर्तमान महिला सीएमओ का तबादला किए बिना ही उनकी जगह पर मप्र शासन ने एक और सीएमओ को पदस्थ कर दिया है। जिसके चलते दोनों सीएमओ अपने पद को लेकर आपस में विवाद मचाए हुए हैं। इस संबंध में नगर परिषद के अध्यक्ष ने आयुक्त नगरीय प्रशासन व कलेक्टर को एक पत्र लिखकर मामले को सुलझाने का कहा है। लेकिन कलेक्टर साहब कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि दोनों राजनीतिक रसूख वाले हैं।
अरे, ये तो उनकी टू कापी आ गए
महाकौशल क्षेत्र के एक बड़े जिले के अधिकारी-कर्मचारी बड़े साहब के चक्कर में इस तरह परेशान हैं कि उन्हें पुराने वाले साहब की याद आने लगी है। दरअसल, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी ने जब से कलेक्टरी संभाली है, जिले के अधिकारी सबसे अधिक परेशान है। कर्मचारी चटकारे ले रहे हैं। अरे, ये तो उनकी टू कापी आ गए…। उन्हें अक्सर पुराने बड़े साहब की याद आ जाती है। उनके जाने के बाद हालात पटरी पर आए थे, अब दोबारा पुरानी मुसीबत सामने आने लगी है। असंतोष बढ़ रहा है। डैमेज कंट्रोल करने के लिए उपाय भी नहीं किए जा रहे। इन दिनों अमला विकास यात्रा में जुटा है। कार्यालयीन कर्मचारी कुछ राहत महसूस कर रहे हैं। परंतु जब वीसी होती है तो न सिर्फ कर्मचारियों बल्कि अधिकारियों के हाथ पांव फूल जाते हैं। पांच से बात करनी हो तो 100 लोगों को वीसी में जुडऩा पड़ता है। बाकी 95 बाद में समय बर्बाद होने का रोना रोते हैं।
छोटे साहब की वीआईपी परीक्षा
मालवा क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर के प्रभारी स्टेनो इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। छोटे साहब के उपनाम से ख्यात प्रभारी स्टेनों का रसूख इतना है कि लोग कलेक्टर साहब से भी अधिक उनको महत्व देते हैं। इसका नजारा गत दिनों तब देखने को मिला जब स्टेनो हिंदी की पूरक परीक्षा में कलेक्टर के वर्तमान प्रभारी स्टेनो को वीआईपी ट्रीटमेंट मिला। सूत्रों के अनुसार छोटे साहब की बंद कमरे में परीक्षा हुई। जिससे परीक्षा और जिम्मेदार सवालों के घेरे में आ गए हैं। हैरानी की बात यह है कि बंद कमरे में जब छोटे साहब परीक्षा दे रहे थे तब, कलेक्टर के पुराने स्टेनो परीक्षक के रूप में कमरे में नकल रोकने की जिम्मेदारी निभाते हुए देखे गए। इतना ही नहीं उडऩदस्ते का प्रभारी भी तैनात किया गया था। इन सब परिस्थितियों को अफसर संयोग बता रहे हैं। खास बात तो यह है कि इस परीक्षा में नियमित रूप से सरकारी या निजी आईटीआई में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को शामिल होना था।
साहब बस मेरी जल्दी शादी करवा दो
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में हाल ही में पदस्थ कलेक्टर साहब के सामने अजब सी समस्या खड़ी हो गई है। 2011 बैच के आईएएस अधिकारी कलेक्टर साहब के सामने एक युवक ने अपने शादी की फरियाद रख दी। युवक ने कहा कि मेरे माता-पिता मेरी शादी में देरी कर रहे हैं। अगर कलेक्टर मेरे माता-पिता को बुलाकर जल्द से जल्द मेरी शादी कराने के लिए राजी कर लें, तो मेरी कई समस्याओं से निजात मिल जाएगी। अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। इसलिए अगर मेरी जल्द ही शादी हो जाती है, तो मैं घर से दूर रहकर जीवन में और तरक्की करूंगा। युवक ने अपने आवेदन में लिखा है कि कलेक्टर साहब आप मेरे लिए कलेक्टर नहीं बल्कि आप मेरे पिता हैं। अगर आप मुझे अपना बेटा समझते हो तो आपके पास आकर मैं बात करना चाहता हूं। मैं तुम्हारा पुत्र हूं तुम्हारा बेटा हूं। मुझे आपके पास आने की इजाजत दीजिए। सूत्रों का कहना है की कलेक्टर साहब असमंजस में फंसे हुए हैं कि करें तो क्या करें।
तहसीलदारी सब पर भारी
कुर्सी का ऐसा मोह होता है कि सरकार के आदेश भी धरे रह जाते हैं। ऐसा ही मामला ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े जिले में सामने आया है। यहां के एक तहसीलदार के आगे तबादला आदेश हो या रिलीव करने की प्रक्रिया, सब छोटी है। राजस्व विभाग ने तबादला आदेश तो कई नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के लिए जारी किए, लेकिन सबके पालन करने की गारंटी नहीं होती। जिले के कलेक्टर हों या अपर कलेक्टर, वह तक खुद अमल में पीछे हट जाते हैं। जिले में मौजूदा स्थिति में दो नायब तहसीलदार ऐसे हैं, जो शासन के आदेश के बाद भी कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं हैं। पर्दे के पीछे कहानी तो नेतागीरी की है। सीधी बात इन दो अफसरों की तहसीलदारी सब पर भारी है। यहां यह बता दें कि राजस्व विभाग मप्र शासन ने जुलाई और नवंबर 2022 में नायब तहसीलदारों के तबादले आदेश जारी किए थे। इसमें इनका भी नाम था लेकिन, इनके रसूख के आगे यह आदेश फाइल में ही धरे रह गए और कहीं कोई नहीं गया। ये आज भी जमे हुए हैं।