विन्ध्य की उड़ान को लगे पंख

15 फरवरी रीवा हवाई अड्डे की आधारशिला पर विशेष

राजेन्द्र शुक्ल.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जब कहते थे कि वह दिन भी अब दूर नहीं जब हमारे देश के हवाई चप्पल वाले लोग भी हवाई जहाज में उड़ान भरेंगे तब विरोधी इसे महज जुमला कहकर बात हवा में उड़ा देते थे। ऐसे लोगों को आज रीवा आकर देखना चाहिए कि सपना किस तरह यथार्थ के धरातल पर उतरकर चरितार्थ होता है।
15 फरवरी 2023 की तारीख विन्ध्य क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनने जा रही है। हमारे नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनप्रिय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान रीवा में एक ऐसे हवाई अड्डे की आधारशिला रखने जा रहे हैं जो ,भविष्य में उत्तर-मध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयर ट्रैफिक डेस्टिनेशन बनकर तो उभरेगा ही साथ ही इस क्षेत्र को विकास के उच पायदान पर स्थापित करेगा।
पिछले महीने इंदौर में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में विश्वभर के उद्यमियों के बीच माननीय ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने सगर्व यह घोषणा की थी कि वह मध्यप्रदेश के छठवें हवाईअड्डे को निर्मित और विकसित करने जा रहे हैं। उनकी इस घोषणा ने दुनियाभर के उन उद्योगपतियों का ध्यान आकृष्ट किया है, जो यहां पावर व माइनिंग सेक्टर, वाइल्ड लाइफ टूरिम, फूड प्रोसेसिंग इन्डस्ट्रीज की संभावनाओं को देखते हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने वालों के लिए यह अवसरों का दरवाजा खोलने वाला है। मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि रीवा का हवाईअड्डा तीन चरणों में विकसित होने की प्रक्रिया में है। प्रथम चरण में छह महीने बाद अगस्त महीने से रीवा हवाई यातायात प्रारंभ हो जाएगा। पांच साल में रीवा का हवाईअड्डा बोइंग की लैंडिंग और अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए बनकर तैय्यार रहेगा। फिलहाल शुरूआत 19 सीटर विमान से होगी, एक साल के भीतर ही 72 सीटर विमान उड़ान भरने लगेंगे।
15 फरवरी को हमारे मुख्यमंत्री एवं देश के उड्डयन मंत्री वर्तमान में उपलब्ध 65 एकड़ क्षेत्र में विकसित होने वाले हवाई अड्डे का शिलान्यास करेंगे। राज्य सरकार ने इसे 99 वर्षों की लीज पर भारतीय विमान प्राधिकरण को सौंप दिया है। दूसरे चरण के विकास के लिए 258 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए 209 करोड़ रूपये मंजूर किए हैं। दो महीने के भीतर यह जमीन भी अधिग्रहित करके भारतीय विमान प्राधिकरण को सौंप दी जाएगी। तब महानगरों की भाँति एयर टर्मिनल और लाउंज तथा पब्लिक एमिनिटीज विकसित होंगी। यह स्थिति लगभग वैसे ही बनेगी जैसे कि आज इंदौर या भोपाल का हवाईअड्डा है।
देश में मोदी जी और प्रदेश में शिवराज जी के कुशल और फलदायी नेतृत्व के अनुभव को देखते हुए मैं यह विश्वास पूर्वक कह सकता हूं कि अगले पांच वर्षों के भीतर यह सब पूर्णरूपेण यथार्थ के धरातल पर उतर जाएगा। यह विंध्य की आशाओं के केन्द्र रीवा के विकास का श्रेष्ठ व उन्नत दौर है जो स्वतंत्रता के अमृतकाल में प्रारंभ हो रहा है। मैं जब कहता हूं कि अब रीवा मध्यप्रदेश के ही नहीं देश के समुन्नत और श्रेष्ठ महानगरों की श्रेणी में कदमताल मिलाकर चल पड़ा है तो इसके पीछे ठोस आधार है। 1956 तक रीवा विन्ध्य प्रदेश की राजधानी रहा है और तब इसकी हैसियत भोपाल, लखनऊ, पटना और भुवनेश्वर जैसे शहरों के समकक्ष थी। कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक द्वेषवश रीवा से एक प्रदेश की राजधानी का गौरव छीन लिया। 1956 से 2004 तक यह उपेक्षित और अभिशप्त पड़ा रहा। विन्ध्य में आज जो प्राकृतिक संसाधन हैं वो कल भी थे। आम नागरिकों में विकास की ललक और अपेक्षाएं कल भी वैसी ही थीं। केन्द्र में अटल जी और उसके बाद मोदी जी की नेतृत्व की व प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आहत और उपेक्षित विंध्यवासियों की पीड़ा और भावनाओं को समझा। आज यह क्षेत्र कई मामलों देश में अग्रगण्य है।
जब मैं कहता हूं कि रीवा एयरपोर्ट उत्तरमध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयरपोर्ट होगा तो मेरी दृष्टि के सामने सिंगरौली का पावर काम्प्लेक्स उभरकर सामने आता है। सिंगरौली में थर्मल प्लांटस में 20,000 मेगावाट से यादा विद्युत उत्पादन होता है। देश का यह सबसे बड़ा पावर काम्प्लेक्स है। रीवा से सिंगरौली तक विश्वस्तरीय सडक़ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित होकर पूर्णता के करीब है। जो यात्री पाँच घंटे में बनारस पहुंचते थे वे दो घंटे में रीवा एयरपोर्ट के लाउंज में होंगे। विन्ध्य की 29 बड़ी औद्योगिक इकाईयां 225 किमी की परिधि में फैली हैं और प्राय: सभी नेशनल हाइवेज से जुड़ी हैं। अपने रीवा का हाइवेज जंक्शन पहले ही विकसित हो चुका है। इन औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों के लिए रीवा एयरपोर्ट कितनी बड़ी सहूलियत बनने जा रहा है यह अब उनसे ही पूछ सकते हैं। विंध्य की वाइल्ड लाइफ टूरिज्म का विश्व में स्थान है। यहां का सफेद बाघ दुनियाभर के चिडिय़ाघरों में दहाड़ रहा है। टीवी में दिखने वाला हर दूसरा बाघ या तो बांधवगढ़ का है या कि पन्ना का। पर्यटकों के लिए यहां आना आसान हो जाएगा। रीवा में 750 मेगावाट का सोलर पावर काम्प्लेक्स एशिया के बड़े पावर प्रोडक्शन यूनिट में शामिल है। रीवा में खूबसूरत प्रपातों की श्रृंखला है। भगवान राम का तपोवन चित्रकूट और माँ शारदा के धाम मैहर कौन नहीं आना चाहेगा। बाणसागर का वृस्तित जल प्रक्षेत्र और उसके द्वीप विकसित होने पर हनुवंतिया के आकर्षण से आगे का प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करेंगे। अपना विंध्य पावर हब की तरह सीमेंट का भी प्रोडक्शन काम्प्लेक्स है। प्राय: सभी बड़े औद्योगिक घरानों का निवेश यहां आया है। रीवा में नागपुर की तरह मेडिकल फैसिलटी और कोटा की तरह एकडमीज का विस्तार हो रहा है।
अभी तीन लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है, बाणसागर का पानी जब 9 लाख हेक्टेयर तक पहुंचेगा ,तब यहां के किसानों की स्थिति क्या बनेगी कल्पना की जा सकती है। विंध्यवासियों की क्रयशक्ति बढ़ी है और यही सब क्षमता मिलकर रीवा को उत्तरमध्य भारत के सबसे विकसित महानगर बनाने का काम करेगी।
रीवा इंदौर की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। शहरी विकास की रेटिंग एजेंसियां रीवा को संभावनाओं का महानगर बता रहे हैं। इन्हीं सबके आधार पर मैं यह कहता हूं कि रीवा एयरपोर्ट विंध्य के उन्नत उड़ान के लिए स्वर्णिम पंख लगाने जा रहा है। रीवा एयरपोर्ट के फलितार्थ होने में भी परिश्रम की पराकाष्ठा शामिल है। मैं आभारी हूं मुख्यमंत्री शिवराज जी का, मुझे वह तारीख 13 जनवरी 2015 आज भी याद है जब उन्होंने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को रीवा में एयरपोर्ट की संभावनाओं के अध्ययन के लिए पत्र लिखा। इसके बाद वह सिलसिला चल निकला। प्रधानमंत्री जी ने किफायती दरों वाली उडान योजना लांच की तो उन्हीं की कृपा से रीवा उडान में शामिल हो गया। सिंधिया जी ने जब से उड्डयन विभाग की कमान संभाली रीवा एयरपोर्ट उनकी प्राथमिकता में सर्वोपरि रहा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने प्रदेश सरकार से कहा कि हमें रीवा के लिए 258 एकड़ भूमि और चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने बिना वक्त गंवाए इसके लिए 209 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए।
जब जनसेवा का भाव और संकल्प प्रबल होता है तब दैवयोग से सभी कार्य ऐसे ही सधते जाते हैं जैसे कि रीवा एयरपोर्ट की कल्पना और उसे अब यथार्थ के धरातल पर उतरते हुए देखना। मैं विन्ध्यजनों की ओर से, रीवा के नागरिकों की ओर विनयवत हूं, आभारी और कृतग्य हूं।
(लेखक-मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक हैं)