मप्र में यात्रा पॉलिटिक्स
मप्र अब पूरी तरह चुनावी मोड और मूड में नजर आने लगा है। भाजपा और कांग्रेस ने पूरी तरह मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। दोनों पार्टियों का फोकस अधिक से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने पर है। इसके लिए प्रदेश में यात्रा पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। कांग्रेस 26 जनवरी से हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चला रही है, वहीं भाजपा ने 5 फरवरी से विकास यात्रा निकाल रही है। दोनों पार्टियां प्रदेश की सभी 230 सीटों की स्केंनिंग में जुटी हुई है। ताकि उस हिसाब से चुनावी रणनीति बनाई जा सके।
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी.
भोपाल (डीएनएन)। मप्र में नवंबर में विधानसभा का चुनाव संभावित है। भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं कांग्रेस 150 सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। अपनी-अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में अब तक जातिगत पॉलिटिक्स करने वाली भाजपा और कांग्रेस ने यात्रा पॉलिटिक्स शुरु कर दिया। कांग्रेस प्रदेश में जहां हाथ से हाथ जोड़ों यात्रा के सहारे प्रदेशवासियों के बीच पहुंचने का प्रयास कर रही है तो वहीं भाजपा भी कांग्रेस की ही तर्ज पर विकास यात्रा निकाल रही है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि भाजपा और कांग्रेस में से किसकी यात्रा सफल होती है और किसे प्रदेश की सत्ता चॉबी मिलती है। इन यात्राओं को दोनों ही प्रमुख दलों का चुनावी शंखनाद भी माना जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 2018 की तरह 2023 के विधानसभा चुनाव में भी सफलता हासिल करना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा की तर्ज पर हाथ से हाथ जोड़ों यात्रा निकाली जा रही है। हाथ से जोड़ों हाथ अभियान के तहत कांग्रेसी जिले, ब्लॉक, मंडल और फिर गांव-गांव के बाद हर घर तक पहुंचेगी। कांग्रेस की यह यात्रा एक महीने तक चलेगी, जिसका मकसद पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है। प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के अंतर्गत पार्टी मतदान केंद्र स्तर पर पदयात्रा निकाल रही है। इसमें गांव-गांव में घर-घर संपर्क किया जा रहा है और भारत जोड़ो यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की असफलताएं बताई जा रही हैं। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ों अभियान का जवाब प्रदेश में निकाली जाने वाली विकास यात्रा के माध्यम से दे रही है। इस यात्रा में हर जिले, गांव में भाजपा के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। यात्रा के दौरान आमजनों को प्रदेश सरकार की जनहितैषी योजनाओं से अवगत कराया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्रा में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक भी शामिल हो रहे हैं। विकास यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधियों की आमसभाओं का भी आयोजन किया जा रहा है। आमसभा के माध्यम से भाजपा के जनप्रतिनिधि सरकार की योजनाओं से आमजनों को अवगत कराएंगे।
विकास यात्रा में पकड़ी रफ्तार
5 फरवरी से शुरु हुई भाजपा की विकास यात्रा ने रफ्तार पकड़ ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद विकास यात्रा निकाल रहे हैं। वहीं मंत्री, विधायक और पदाधिकारी भी विकास यात्राएं निकाल रहे हैं। विकास यात्रा के बी-प्लान पर भी भाजपा ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। विकास यात्रा में जहां भाजपा कमजोर हैं या जहां भाजपा के विधायक नहीं है, उन क्षेत्रों में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब खुद पहुंचेंगे और सरकार के विकास बताएंगे। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश की सभी विधानसभा में विकास यात्राएं निकाली जा रही हैं। संत रविदास जयंती 5 फरवरी से शुरू हुई यात्रा में अब तक 6192 लोकार्पण और 4269 कार्यों का भूमि पूजन हुआ। प्रदेश के नागरिकों को 1327 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात मिली। विकास यात्रा के चौथे दिन प्रदेश में 612 करोड़ 21 लाख रुपए के 6 हजार 192 कार्यों का लोकार्पण हुआ है। इस दौरान 710 करोड़ 4 लाख रुपए के 4269 विकास कार्यों का भूमि पूजन भी किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि विकास यात्रा पूरे मध्य प्रदेश में जारी हैं। मुझे बताते हुए खुशी हैं कि विकास यात्राएं केवल चल नहीं रही हैं। जनता की सेवा का बड़ा काम कर रही हैं। सीएम ने कहा कि यात्रा में हम हितग्राहियों को तो लाभ दे ही रहे हैं। विकास यात्रा के दौरान 4 हजार 284 शासकीय संस्थाओं जैसे स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनवाड़ी, राशन दुकान, ग्राम पंचायत कार्यालय, पशु चिकित्सालय, सहकारी साख समिति इत्यादि का भ्रमण भी किया गया। विकास यात्रा में आम जनता को लाभान्वित करने के लिये मुरैना में नवाचार द्वारा मध्यप्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा स्व-सहायता समूहों की मीटिंग कर सामाजिक, आर्थिक और जातीय जन-गणना (एसईसीसी) परिवारों को पात्रता अनुसार आजीविका गतिविधियों से जोडऩे के प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृत प्रस्तावों के प्रमाण-पत्र वितरित किये जा रहे हैं।
अलग-अलग जिले भी नवाचार से जनता को लाभान्वित कर रहे हैं। विकास यात्रा में गुना में प्रत्येक पंचायत में विकास की दीवार का उद्घाटन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न मदों में किये गये कार्यों का विवरण दर्ज है। मण्डला जिले की ग्राम पंचायतों में विगत 5 वर्ष में हुए निर्माण कार्यों का दीवार लेखन और सभी ग्रामों में विकास उपवन, ग्राम पंचायतों में ई-पुस्तकालय एवं सामान्य पुस्तकालय प्रारंभ किये जा रहे हैं। राजगढ़ जिले में हितग्राहियों को जन अधिकार-पत्र जारी किये जा रहे हैं, जिसमें हितग्राही मूलक योजनाओं की जानकारी अंकित है। सीहोर में सुरक्षित सीहोर अभियान चला कर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएम एसबीवाय) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (पीएम जेजेवाय) के शत-प्रतिशत पात्र खाताधारकों को बीमा योजना से जोड़ा जा रहा है। श्योपुर में सभी ग्रामों में चीता स्वागत रैली और चीतों तथा वनों की रक्षा के लिये कुल्हाड़ी त्यागो अभियान चलाया जा रहा है। झाबुआ में शत-प्रतिशत अति कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर पोषण कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। इंदौर में विभिन्न नवाचार करते हुए विकास यात्रा के दौरान नगरीय क्षेत्र में रूफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग से जुड़े लोगों का सम्मान कर रूफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जन-भागीदारी से आँगनवाडिय़ों को समृद्ध किया जा रहा है। छात्रावासों में छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं विशेष कर बालिकाओं में एनीमिया की जाँच की जा रही है। सफाई मित्रों का सम्मान किया जा रहा है। अमृत सरोवरों से कलश-यात्रा निकाल कर जल-संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। पशु चिकित्सा शिविर भी लगाये जा रहे हैं। विकास यात्रा में प्रत्येक ग्राम पंचायत में सभी विकास कार्य एवं हितग्राहियों के उल्लेख वाली ई-बुक निर्मित की जा रही है।
विकास यात्रा बनेगी रिपोर्ट का आधार
नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा मैदानी आकलन के आधार पर आगे जमावट करेगी। इसके तहत विकास यात्राओं का भी फीडबैक लेना शुरू कर दिया गया है। इससे विधानसभा सीटों पर विधायकों, हारे नेताओं और मौजूदा मंत्रियों तक के फीडबैक को देखा जाएगा। भविष्य में इन्हीं फीडबैक के आधार पर निर्णय होंग। दरअसल, भाजपा सभी 230 सीटों पर विकास यात्राओं के जरिए फीडबैक भी लेगी, जिससे आने वाले दिनों में संगठनात्मक कामों को लेकर जिम्मेदारियां देने में निर्णय किए जाएंगे। इसका दूरगामी असर टिकटों तक भी दिखेगा। भाजपा ने 230 सीटों पर अपने सभी कार्यकर्ताटों को लगा दिया है। इसके तहत बूथ स्तर तक की भी रिपोर्ट बनेगी। इसमें विधायक व अन्य स्थानीय नेताओं को लेकर क्या स्थिति बनी इस पर निगाहें हैं। 25 फरवरी के बाद भाजपा का बूथ सशक्तिकरण अभियान चलना है। इसलिए उसके पूर्व ही इनकी रिपोर्ट भी तैयारी होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने प्रवास व दौरे भी इन यात्राओं के बाद शुरू करेंगे। हर सीट पर भाजपा ने प्रभारी तैनात किए हैं। खास तौर पर हारी हुई 103 सीटों को लेकर सबसे ज्यादा गंभीरता है। भाजपा इन सभी सीटों की जरूरत व स्थानीय नेताओं के समन्वय के हिसाब से आगे टीम तैयार करेगी। गौरतलब है कि अब तक दो सर्वे टिकटों को लेकर हो चुके हैं। अब आगे तीसरा सर्वे भी होना है, लेकिन उसके पूर्व ही यात्राओं का फीडबैक भी रहेगा। पिछली बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद इस बार दावेदारी करने वाले नेताओं पर इस फीडबैक का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। खास बात ये कि जो बड़े चेहरे चुनाव हारे थे, उनमें से तो कुछ को स्थानीय प्रभाव के कारण टिकट मिल सकता है, लेकिन जो जद्दोजहद वाले चेहरे हैं उनके लिए फीडबैक मायने रखेगा। अभी संगठन के पास कई सीटों पर समन्वय में दिक्कत की शिकायतें हैं। इनसे जुड़े फैसलों पर भी फीडबैक असर डालेगा।
गौरतलब है कि मिशन 2023 में 200 सीटों को जीतने का टारगेट लेकर चल रही भाजपा 2018 में हारी 114 विधानसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी के रणनीतिकार एक-एक हारी सीट पर मंथन कर जीत की रणनीति बनाएंगे। इसी सिलसिले में गतदिवस भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश अचानक मालवा अंचल के 3 प्रमुख जिले रतलाम, मंदसौर और नीमच के सभी बड़े नेताओं की बैठक रतलाम में तलब कर ली। तीनों जिलों के कोर ग्रुप की इस बैठक में 5 मंत्री, 3 सांसद और विधायकों के अलावा जिलाध्यक्ष और जिले के प्रभारी शामिल हुए। रतलाम में साढ़े तीन घंटे चली इस मैराथन बैठक में चिंतन-मंथन का मुद्दा मिशन 2023 ही रहा। भाजपा सूत्रों का कहना है की पंचायत और निकाय चुनाव के दौरान बगावत के दृश्य और विधानसभा की हारी हुई सीटों को लेकर भाजपाई दिग्गजों की चिंता बढ़ गई है। इसी के तहत शिवप्रकाश ने तीनों जिलों के सभी नेताओं से पंचायत निकाय चुनाव के अनुभव और कमियों पर चर्चा की। ज्यादातर लोगों ने चुनाव में हुई बगावत और अनुशासन का मुद्दा उठाया। मंत्री-विधायकों ने यह भी कहा कि चुनाव लंबे चलने के कारण भी समन्वय में दिक्कत हुई, अधिकृत उम्मीदार के खिलाफ कई बागी मैदान में कूद गए। अनुशासन की अवहेलना भी हुई। सभी सदस्यों के सुझाव और संस्मरण सुनने के बाद शिवप्रकाश बोले कि विधानसभा चुनाव में इन कमियों को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
कांग्रेसियों ने जोड़ लिए हाथ
भारत जोड़ो यात्रा के पार्ट टू के तौर पर शुरू किये गये हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को कांग्रेस ने चुनावी राज्यों के साथ 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर शुरू किया है। इसमें दस लाख पोलिंग सेंटर से लेकर ढाई लाख ग्राम पंचायत और 6 लाख से ज्यादा गांव तक पहुंचने का टारगेट तय किया गया है। लेकिन, सवाल ये है कि मध्यप्रदेश में जिस रफ्तार से इस अभियान की शुरुआत हुई है क्या तीन महीने में टारगेट पूरा हो सकेगा।हरी झंडी तो हो गई, अभियान रफ्तार कब पकड़ेगा : हाथ से हाथ जोड़ो अभियान का लक्ष्य गांव और ब्लॉक स्तर तक पहुंचना है, लिहाजा एमपी में इस अभियान की शुरुआत भी ग्रामीण इलाके से की गई। भोपाल के नजदीक मुगलिया छाप में पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस अभियान की औपचारिक शुरुआत की। लेकिन शुरुआत के साथ ही अभियान की जैसी धार और रफ्तार दिखाई देनी चाहिए वो नजर नहीं आ रही। असल में करीब तीन महीने के इस अभियान में ब्लॉक और ग्राम स्तर तक पार्टी को पहुंचना है, जबकि संगठन स्तर पर इस अभियान की तैयारी का मामला ये है कि ब्लॉक स्तर तक का रूट ही फाइनल नहीं हो पाया जिसकी वजह से अब तक एमपी के 52 जिलों में से कई जिलो में अभियान शुरू नहीं हो पाया। इसी तरह मार्च तक चलने वाले इस कार्यक्रम में बड़े नेताओं के दौरे और कार्यक्रम भी हैं, अभियान शुरु हो जाने के बाद भी जिन्हें अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
असल में भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस में जो जमीनी माहौल बना है, कांग्रेस पार्टी अब अपने बैनर पर उसे हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के साथ आगे बढ़ाना चाहती है। देश व्यापी इस अभियान में पार्टी का लक्ष्य दस लाख मतदान केन्द्र के साथ 6 लाख गांवों तक पहुंचना है। हर घर तक पहुंचने वाले इस अभियान में पार्टी ने मोदी सरकार की नाकामियों के साथ राज्य स्तर पर बीजेपी सरकार की विफलताओं का ड्राफ्ट तैयार किया है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के पंद्रह महीने के कामकाज का ब्यौरा जनता के सामने पेश किया जाएगा और शिवराज सरकार की नाकामियां गिनाई जाएंगी। पहली बार आइडियोलॉजी पर भी फोकस कर रही है कांग्रेस और इस अभियान के जरिए कांग्रेस की विचारधारा से जनता को जोडऩे का काम भी किया जाएगा। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की जिले में जिम्मेदारी संभाले पार्टी के नेता अवनीश भार्गव बताते हैं हाथ से हाथ जोड़ो अभियान अब जनता से पार्टी के सीधे जुड़ाव का कार्यक्रम है। इसके पहले भारत छोड़ो यात्रा कांग्रेस के बैनर पर नहीं हुई थी। ये अभियान पूरी तरह से कांग्रेस का है। इसमें एमपी के 52 जिलों के हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य है। अभी शुरुआत है इसलिए तैयारियां की जा रही हैं। जल्द से जल्द ये अभियान रफ्तार पकड़ लेगा और जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा को आम भारतीय का समर्थन मिला इस कार्यक्रम में भी आम भारतीय बढ़-चढ कर हिस्सा लेगा। कांग्रेस का अभियान पूरी तरह राजनीतिक है। भार्गव बताते हैं इस अभियान के साथ हम घर घर शिवराज सरकार का कच्चा चि_ा उनकी नाकामियां भी लेकर जा रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता हितेष वाजपेयी कहते हैं- कांग्रेस ने जनता से जुड़ाव के लिए हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू किया है, लेकिन अभियान की शुरुआत में जो तस्वीर दिखाई दे रही है उससे तो लग रहा है कि इस अभियान से पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने ही हाथ जोड़ लिये हैं। वो ही अभियान में कोई रुचि नहीं दिखा रहे।
हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन का मूल मंत्र है सुशासन, अनुशासन और जनता का सम्मान। इसके लिए वे चरैवेति…चरैवेति…चरैवेति में विश्वास करते हैं। सदैव जनहित के नए लक्ष्य तय करते है और पूरी दृढ़ता के साथ फिर आगे बढ़ जाते हैं। वे शासन और प्रशासन के अपने साथियों को भी कहते है नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना, यही तो मंत्र है अपना। इसी मंत्र के आधार पर वे मप्र को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं। इसके लिए वे जहां प्रशासन पर नकेल कसे रहते हैं, वहीं मंत्रियों को सक्रिय रखते हैं। वहीं इन सभी से आगे निकलकर वे अपनी जिद्द, जुनून और परिश्रम से औरों के लिए मील का पत्थर बनते हैं। यानी काम और चुनाव छोटा हो या बड़ा शिवराज उसे चुनौती के रूप में लेते हैं। शिवराज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे हमेशा मिशन मोड में रहते हैं। शिवराज जैसा जुनून और परिश्रम करने की क्षमता प्रदेश में किसी अन्य नेता की नहीं हैं। जनता के बीच रहना और कार्यकर्ताओं से संवाद करना उनका पैशन है। इसलिए उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। शिवराज सिंह चौहान बतौर मुख्यमंत्री चौथी पारी के लगभग तीन साल पूरे कर चुके हैं। चौहान इस अवधि का बेहतर उपयोग कर जनता के बीच सकारात्मक संदेश देने की कोशिश में तेजी से जुटे गए हैं। सीएम शिवराज सक्रियता के मामले में अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के मुकाबले कहीं आगे नजर आते हैं, तो उनके साथ राज्य का भाजपा संगठन भी सातों दिन 24 घंटे काम करता दिखता है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश करते रहते हैं। इस कारण उनकी सक्रियता लगातार बढ़ रही है और हर वर्ग तक पहुंचने के साथ उसे खुश करने के लिए भी सीएम शिवराज कदम उठाते रहते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ की सत्ता में वापसी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री एक बड़ी चुनौती की तरह हो रहे हैं। खास बात यह है कि शिवराज सिंह चौहान को प्रवास करना, सभाएं कर जनता के बीच जाना और कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद करना खूब रास आता है। जनता के बीच रहकर वे खुद को सहज पाते हैं। यही वजह है कि भाजपा के पास भी मप्र में शिवराज सिंह चौहान का विकल्प नहीं है। कांग्रेस के रणनीतिकार भी मानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान में जितनी परिश्रम करने की क्षमता है उतनी किसी और नेता में नहीं है। परिश्रम करने और जनता से संवाद करने के मामले में शिवराज सिंह चौहान के समक्ष मप्र का कोई नेता नहीं टिकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पूरी कोशिश होती है की कानून-व्यवस्था में चूक न हो। राज्य में कानून व्यवस्था को और सख्त करने के लिए सरकार ने प्रशासनिक मशीनरी में कसावट लाई है, अब तो दुराचार के आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो रही है। वहीं उनके मकानों तक बुलडोजर चलाया जा रहा है ताकि अपराध की फिराक में रहने वालों तक संदेश पहुंचाया जा सके। भाजपा ने मिशन 2023 के तहत सबसे अधिक फोकस आदिवासियों पर ही किया है। भाजपा 2018 में मिली पराजय को भूली नहीं है। इस कारण से पार्टी ने आदिवासी समाज के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
सर्वे से तय होगा विधायकों का भविष्य
मप्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन विधायकों का टेंशन बढ़ गया है, जिन्होंने चार साल तक अपने क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया है। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने विधायकों की परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। जिनका पार्टी सर्वे रिपोर्ट में परफॉर्मेंस खराब निकलेगा, उनका टिकट संकट में पड़ जाएगा। इसलिए दोनों पार्टियों में सर्वे की खबर से खलबली मची हुई है। गौरतलब है कि मप्र में इस साल विधानसभा चुनाव होना हैं। विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने टिकट को लेकर सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इन सर्वे ने विधायकों के दिलों की धडक़नों को बढ़ा दिया है। भाजपा सर्वे के अलावा बूथस्तर तक रायशुमारी भी कराएगी तो कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वे टिकट के लिए विशुद्ध रूप से सर्वे को ही आधार बनाएगी। तीन चरणों में होने वाले सर्वे के बाद टिकट किसे मिलेगा यह तय कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि दोनों पार्टियों पूर्व में आंतरिक सर्वे करा चुकी हैं। कांग्रेस पार्टी के आंतरिक सर्वे में मौजूदा 27 विधायकों की स्थिति खराब बताई गई है. कांग्रेस के आंतरिक सर्वे के बाद अब कांग्रेस के कई मौजूदा विधायक सीट बदलने के मूड में आ गए हैं. सिर्फ कांग्रेस के अंदर ही विधायक सीट बदलने की तैयारी में नहीं हैं बल्कि भाजपा के अंदर भी आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में कई विधायकों को डेंजर जोन में बताया गया है।
सर्वे की परम्परा राजनीतिक दलों में नई नहीं है पर इस बार लड़ाई बेहद कांटे की है। लिहाजा राजनीतिक दल तीन-तीन एजेन्सियों से अलग अलग सर्वे करा रहे हैं। इन सर्वे की रिपोर्ट के बाद ही टिकट के बारे में फैसला लिया जाएगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के आंतरिक सर्वे में कई मंत्रियों के विधानसभा में चुनाव हारने की रिपोर्ट आई थी। कई मंत्रियों की सीट बदल दी गई थी। लेकिन अपनी परंपरागत सीट पर चुनाव लडऩे वाले कई मंत्री विधायकी से हाथ धो बैठे थे। अब यही वजह है कि पार्टी सर्वे के आधार पर विधानसभा में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश में विधायक हैं। जहां स्थिति नहीं सुधरेगी वहां विधायक दूसरी विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस के अंदर मौजूदा विधायकों के साथ और भी कई दावेदार सक्रिय हैं। इनमें तो कई नये चेहरे भी हैं। मतलब साफ है कि नए चेहरों की दावेदारी और पुराने चेहरों की स्थिति को लेकर भाजपा के अंदर भी अब विधायक दूसरी सीट की तलाश में जुटे हुए हैं। जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे वैसे ही विधायक अपनी विधानसभा सीट पर अपनी स्थिति को भांपते हुए व पाला बदल दूसरी सीट पर किस्मत आजमाने की कोशिश कर सकते हैं।
भाजपा की नजर कांग्रेस की सीटों पर
मिशन 2023 को लेकर इन दिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां मिशन मोड में काम कर रही हैं। भाजपा की कोर कमेटी और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ ही आला नेताओं के बीच हुए मंथन के बाद यह साफ हो गया है की अब पार्टी ने उन 114 सीटों पर विशेष फोकस करने का फैसला किया है, जिन पर पार्टी प्रत्याशियों को 2018 में हार का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा में भाजपा को 109 सीटों पर ही विजय मिली थी। कांग्रेस के खाते में 114 सीटें गई थीं, हालांकि उपचुनाव के बाद तस्वीर बदल गई और भाजपा ने 28 में से 19 सीटें जीत ली थीं। इसके बाद भी पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव को आधार बनाकर इन विधानसभा क्षेत्रों में हार के कारण, कमियों को तलाशने के लिए प्रभारी बनाए हैं।
मध्य प्रदेश में मिशन-2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा ने कांग्रेस के कब्जे वाली 96 विधानसभा सीटों को छीनने के लिए पुख्ता तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी का इन सीटों पर विशेष फोकस रहेगा। सभी सीटों पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। उनकी निगरानी में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को घेरने की तैयारी की जाएगी। इसके अलावा उन सात सीटों पर भी भाजपा फोकस कर रही है, जिन पर सपा-बसपा और निर्दलीय विधायक चुनाव जीते थे। 230 सीटों वाली मप्र विधानसभा में भाजपा के पास 127 सीटें हैं। वहीं, कांग्रेस के कब्जे में 96 और अन्य के पास सात सीटें हैं। भाजपा इस तैयारी में है कि कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के प्रति नाराजगी का वह फायदा उठा ले। इसी उद्देश्य से भाजपा ने कुल 103 सीटों पर चुनाव तैयारी प्रारंभ कर दी है। इनमें सभी सीटों पर कद्दावर नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। इनमें प्रदेश के मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के प्रभारी सबसे पहले पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारण जानेंगे। पार्टी ने सभी प्रभारियों से कहा है कि संबंधित विधानसभा में भाजपा की कमजोरी का अध्ययन करें। कमजोरी को कैसे दूर कर सकते हैं, उस पर सभी मोर्चा-प्रकोष्ठ और संगठन के नेताओं के साथ समन्वय बनाना है। सामाजिक और जातिगत समीकरणों का अध्ययन कर उनके हिसाब से चुनावी जमावट करना। भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं की 2023 के चुनाव से पहले घेराबंदी करना चाहती है ताकि उन्हें बाहर प्रचार का मौका न मिल पाए।