अब मप्र में भाजपा के दिग्गज नेता संभालेंगे मोर्चा

भाजपा ने बनाई चुनाव के लिए नई रणनीति.
प्रदेश में चुनाव होने में अब महज आठ माह का समय ही रह गया है, ऐसे में पार्टी को लेकर मिल रहे फीडबैक से चिंतित भाजपा अलाकमान ने प्रदेश में अपने शीर्ष दिग्गज नेताओं को मोर्चाे पर उतारने की रणनीति बनाई है। इसके तहत हर माह तीन बड़े नेता प्रदेश के प्रवास पर आकर जनसभा कर मतदाताओं को लुभाने का काम करेंगे। इसकी वजह है प्रदेश में सरकार के खिलाफ लगातार बढ़ रही एंटीइनकमबैंसी। यही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को लेकर भ्ी संगठन व संघ को अच्छा फीडबैक नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि अब राष्ट्रीय स्तर पर मप्र में बड़े पैमाने पर राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने की योजना तैयार की गई है। इसके तहत भाजपा के शीर्ष नेता हर महीने 3-3 जनसभाएं तो करेंगे ही साथ ही संगठनात्मक तैयारियों की भी समीक्षा भी करेंगे। इसके लिए फिलहाल जो नाम तय किए गए हैं उनमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हैं। खास बात यह है कि इस दौरान केंद्रीय नेताओं के साथ ही राज्य के वरिष्ठ, ताकि एकजुटता का संदेश कार्यकर्ताओं को दिया जा सके। दरअसल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार व संगठन अपने -अपने स्तर पर सर्वे करा चुका है, जिसमें पार्टी के अनुकूल फीडबैक नहीं मिला है। इसकी वजह से पार्टी की सत्ता में वापसी को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई हैं। इन सर्वे में इसकी वजह जो सामने आयी है उन वजहों पर भी प्रदेश स्तर पर काम शुरु कर दिया गया है। उधर, भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी अपनी प्रदेश में सक्रियता बढ़ा रही है।
निकाय चुनाव दे चुके हैं संकेत
दरअसल प्रदेश में निकाय चुनाव के समय जिस तरह से भाजपा को अपने बेहद मजबूत गढ़ माने जाने वाले बड़े शहरों में महापौर के सात पदों पर हार का समाना करना पड़ा है, उसे विस चुनाव के लिए संकेत के रुप में देखा जा रहा है। दरअसल भाजपा को ढाई दशक बाद जहां ग्वालियर, मुरैना, जबलपुर, सिंगरौली, रीवा, जैसे ेबड़े शहरों में हार का सामना करना पड़ा था, यही नहीं मालवा-निमाड़ के उज्जैन, बुरहानपुर जैसे शहरों में जैसे-तैसे जीत दर्ज कर सकी थी। 16 नगर निगमों में से बीजेपी को सात सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। सबसे चौंकाने वाला नतीजा सिंगरौली और कटनी का रहा। सिंगरौली में आम आदमी पार्टी की मेयर तो कटनी में जनता ने बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ीं प्रत्याशी को जीत दिला दी थी। इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को हुआ था। पिछली बार की तुलना में भाजपा को इस बार 7 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।
चार अंचलों ने बढ़ा रखी है चिंता
दरअसल प्रदेश जिन छह अंचलों को लेकर बना है उनमें से आधे से अधिक यानि की चार अंचलों में चुनाव को लेकर पार्टी में मंथन किया जा रहा है। यह वे चार अंचल हैं, जिनमें पार्टी को लेकर अच्छा फीडबैक सामने नहीं आ रहा है। इनमें ग्वालियर-चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड सहित मालवा-निमाड़ का इलाका शामिल है। यही वजह है कि इन अंचलों को लेकर भाजपा के चुनावी प्रबंधकों की चिंता बढ़ा रखी है। पार्टी ने जो सर्वे कराए हैं, उसमें भी इन सीटों पर जातीय और राजनीतिक समीकरण को देखते हुए अतिरिक्त मेहनत करने का सुझाव दिया गया है। यही नहीं हारी हुई सीटों के प्रभारियों से भी संगठन फीडबैक जुटा रहा है, जिससे की कमजोर कडिय़ों को मजबूत किया जा सके। यही नहीं इसके साथ ही बूथ स्तर पर वोट शेयर बढ़ाने, शक्ति केंद्र व पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने के लिए अतिरिक्त कार्यकर्ताओं को तैनात किए जाने जैसे कदम भी उठाए जाएंगे।