प्रदेश में इसी साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, ऐसे
में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज विंध्य के दौरे पर हैं। चुनावी तैयारियों को लेकर उनका यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसकी वजह भी है। दरअसल बीते आम चुनाव में पूरी तरह से यह अंचल भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा हुआ था, लेकिन अब इस अंचल की सोन नदी का पानी बहुत बह चुका है। यही वजह है कि इस अंचल को अब भाजपा के लिए बेहद कमजोर माना जा रहा है। इसकी कई वजहें है, जिसकी वजह से लोगों में सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण है राजनैतिक रुप से की जाने वाली सरकार में उपेक्षा। अंचल के लोगों की नाराजगी रैगांव उपचुनाव के अलावा नगरीय निकाय चुनावों में भी दिख चुकी है। यही वजह है कि शाह के दौरे के लिए इस इलाके को चुना गया है। कहा जा रहा है कि इस दौरे में शाह द्वारा अंचल के नाराज चल रहे भाजपा नेताओं को साधने के साथ ही अंचल की राजनैतिक बयार का भी आंकलन किया जाएगा। इस दौरान उनके द्वारा पार्टी के बड़े जनप्रतिनिधियों के बीच चल रहे मनमुटाव को दूर करने का भी प्रयास किया जाएगा।
यही वजह है कि उनके दौरे में पार्टी कार्यकर्ताओं और पुराने नेताओं से मुलाकात का भी कार्यक्रम तय किया गया है। उनके दौरे के लिए अंचल के जिलों की कोर कमेटी के सदस्य, विंध्य क्षेत्र के नेताओं के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा मौजूद रहने वाले हैं। शाह की नजर साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। इसको लेकर मतदाताओं का मूड भांपने की भी कोशिश उनके द्वारा की जाएगी। पार्टी सूत्रों की माने तो शाह के पास यह पुख्ता जानकारी है कि विंध्य में पार्टी का कार्यकर्ता नाराज है। पार्टी के लिए काम करने वाले पुराने नेता भी अब पूरी तरह से घर बैठ चुके हैं। इसीलिए शाह का फोकस कोर कमेटी के सदस्यों के अलावा कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात पर है। विंध्य क्षेत्र में भाजपा की पकड़ काफी मजबूत थी, लेकिन कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के चलते धीरे-धीरे नाराजगी के स्वर उभरने लगे हैं। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। विंध्य में भाजपा की मजबूत पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा की चारों सीटों पर सांसद भाजपा के हैं। ऐसा नहीं कि चारों सांसद पहली बार जीतकर गए हैं, बल्कि काफी समय से विंध्य की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। विंध्य क्षेत्र में कुल सात जिले हैं और वहां पर विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस के पास महज छह सीटें हैं और भाजपा के पास 24 सीटें हैं। यानी कांग्रेस की तुलना में भाजपा के पास विधानसभा की सीटें चार गुना ज्यादा हैं। यही नहीं बीते चुनाव में तो विंध्य के मतदाताओं ने कई कांग्रेस के दिग्गज नेताओं तक को विधानसभा नहीं पहुंचने दिया।
इनमें अजय सिंह राहुल भैया के अलावा पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह तक शामिल हैं। पार्टी की सरकार होने और भाजपा की मदद के एवज में इस इलाके को सत्ता में बेहद कम भागीदारी दी गई, फलस्वरुप नाराज लोगों ने नगरीय निकाय चुनाव में सिंगरौली में आम आदमी पार्टी को और रीवा में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी को विजय दिला दी। भाजपा के महापौर प्रत्याशी को सिर्फ सतना में जीत मिल सकी। इससे पहले तीनों महापौर भाजपा के ही जीते थे। इसे कार्यकर्ताओं की नाराजगी के तौर पर देखा गया है। भाजपा के सत्ता और संगठन के सामने बड़ी चुनौती यह भी है कि विंध्य क्षेत्र को राज्य मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसी कारण कार्यकर्ताओं की पूछपरख कम हो रही है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी का बड़ा कारण यह भी है कि उनके निजी काम भी नहीं हो रहे हैं। यही नहीं विधायकों व सांसदों के बीच जारी शीत युद्ध का भी कार्यकर्ता शिकार हो रहे हैं।
इसकी वजह से कार्यकर्ताओं के सामने बड़ा सकंट यह है कि वे विधायक की तरफ जाएं अथवा सांसद के बनकर रहें। जिसके खेमे में देखे जाते हैं, दूसरा खेमा उनसे नाराज हो जाता है। इसलिए शाह का यह दौरा काफी अहम है, क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले शाह कार्यकर्ताओं और पूछपरख नहीं होने से घर बैठ चुके नेताओं की नाराजगी को दूर कर उन्हें सक्रिय करना चाहते हैं। शाह बैठक में विंध्य क्षेत्र के जातिगत समीकरण, सरकार की योजनाओं और सरकार के कामकाज की भी समीक्षा करेंगे।
अंचल की राजनीतिक तासीर…
विंध्य क्षेत्र में जातिगत समीकरण हावी रहते हैं। इस अंचल में ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ा वर्ग से कुर्मी का भी दबदबा रहता है। कभी कांग्रेस का मजबूत किला रहा विंध्य कई विधानसभा चुनावों से बीजेपी का अभेद्य किला बन गया है। बीजेपी यहां बहुत अच्छा प्रदर्शन करती आ रही है। 2003, 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में बीजेपी को यहां कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिली थीं। 2018 में भी जब कांग्रेस पार्टी कई सालों के बाद राज्य में सत्ता में लौटी तो उसे विंध्य में केवल 6 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इस क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का भी अच्छा खासा दबदबा है और कई बार बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगडऩे का काम किया है, वहीं पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भी कुछ सीटों पर जीत मिल चुकी है। 2018 के चुनाव में बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर थी, वहीं 1-1 सीट पर समाजवादी पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे, यानी बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों को भी लोग यहां वोट देते रहे हैं।