बोर्ड पैटर्न पर नहीं होंगी पांचवीं, आठवीं की परीक्षाएं

एससीईआरटी सिलेबस से बोर्ड परीक्षा करवाने के निर्देश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक..

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने इस वर्ष एनसीईआरटी सिलेबस वाले स्कूलों को भी एससीईआरटी सिलेबस से पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं करवाने का आदेश जारी कर दिया। जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए इस आदेश के बाद एनसीईआरटी सिलेबस से पढ़ाई करवाने वाले स्कूलों में जब बच्चों के लिए, बीच सत्र में दूसरे सिलेबस से बोर्ड परीक्षा देना मानसिक तनाव का सबब बन रहा था। जिस पर कई स्कूलों द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार की याचिका पर हाईकोर्ट ने राहत भरा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एनसीईआरटी सिलेबस वाले स्कूलों के लिए एससीईआरटी सिलेबस से पांचवीं, आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं करवाने के आदेश पर रोक लगा दी है। मप्र के सरकारी व प्रायवेट स्कूलों के सिलेबस को लेकर एक नीति नहीं है। मप्र के सरकारी स्कूलों में एससीईआरटी यानि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम व अधिकांश प्रायवेट स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होता है। दोनों के सिलेबस में अंतर है। मप्र राज्य पूरी तरह से एक सिलेबस नहीं अपना पा रहा है। इससे प्रायवेट स्कूलों में किताबों की कमीशनखोरी के बाजार पर रोक नहीं लग पा रही है।
हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग नीतियों को गलत माना है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 से सरकारी स्कूलों में पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा शुरू की है। वर्ष 2022-23 से इसमें प्रायवेट स्कूलों को भी शामिल कर लिया गया। प्रायवेट स्कूलों को बोर्ड परीक्षा में शामिल करने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने सत्र शुरू होने के बाद 12 सितंबर 2022 को पत्र जारी किया था। साथ ही कहा कि प्रायवेट स्कूलों के छात्रों को अद्र्धवार्षिक परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा। अद्र्धवार्षिक परीक्षा के बीस फीसदी अंक वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे। अद्र्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा एससीईआरटी यानि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के सिलेबस पर होगी। प्रायवेट स्कूलों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि बोर्ड परीक्षा का आदेश सत्र शुरू होने के बाद आया है। दूसरा मप्र के सरकारी स्कूलों में एससीईआरटी यानि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम व अधिकांश प्रायवेट स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होता है। दोनों सिलेबस में हिंदी, हिंदी स्पेशल व संस्कृत की किताबें अलग-अलग है। इसे लेकर प्रायवेट स्कूल संचालक संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रायवेट स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होता है। इन्हीं किताबों से बच्चे पढ़ाई कर रहे है। अब एससीईआरटी सिलेबस पर परीक्षा होगी, तो इसमें बच्चों में भ्रम पैदा होगा। राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रायवेट स्कूलों की बात नहीं मानी। वह मनमानी कर परीक्षा कराने पर अड़ा रहा। इसे लेकर प्रायवेट स्कूलों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
शिक्षा विभाग के आदेश को ठहराया अवैध
हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की सिंगल पीठ ने सुनवाई करते हुए एक सिलेबस से दूसरे सिलेबस में बोर्ड परीक्षा करवाने के शिक्षा विभाग के आदेश को अवैध ठहरा दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगर बोर्ड परीक्षा लेनी ही है तो याचिकाकर्ता स्कूलों में पढ़ाए जा रहे सिलेबस के आधार पर ही ली जाएं। हालांकि हाईकोर्ट ने यह राहत केवल याचिकाकर्ता यानी मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार के सदस्य स्कूलों को दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले का संस्था के अध्यक्ष ने स्वागत किया है। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग से अपेक्षा जताई है कि प्रदेश के सभी स्कूलों को राहत प्रदान करें। शिक्षा विभाग दूसरे सिलेबस से पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा लेने के आदेश को रद्द करे। मतलब साफ है कि मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार संस्था के सदस्य स्कूलों में अब एससीईआरटी सिलेबस से पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं नहीं करवानी होंगी। कोर्ट ने कहा कि अगर बोर्ड परीक्षा लेनी ही है तो याचिकाकर्ता स्कूलों में पढ़ाए जा रहे सिलेबस के आधार पर ही ली जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने ये राहत सिर्फ याचिकाकर्ता यानि मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार के सदस्य स्कूलों को दी है। संस्था के सचिव जुगल मिश्रा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग से ये अपेक्षा जताई है कि वो प्रदेश के सभी स्कूलों को राहत दें और एनसीईआरटी सिलेबस वाले स्कूलों में दूसरे सिलेबस से बोर्ड परीक्षा लेने के आदेश को रद्द कर दें।