आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया…

शराब दुकानों के ठेके के लिए ठेकेदार नहीं ले रहे रुचि.

भोपाल।मंगलभारत।मनीष द्विवेदी । सुदर्शन फाखिर द्वारा लिखी गई गजल हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया इन दिनों प्रदेश के शराब ठेकेदारों पर बाखूबी फिट बैठती दिख रही है। इसकी वजह है शराब ठेकेदारों को 150 करोड़ रुपए का फटका लगना। इस घाटे के चलते ही अब शराब ठेकेदार पुरानी दुकानों के ठेके रिन्यूल कराने को तैयार नही दिख रहे हैं। यही नहीं नई शराब नीति में अहाते बंद करने का भी प्रावधान कर दिया गया है, जिसकी वजह से उनकी आमदनी और मुश्किल बन गई है। इसकी वजह से भोपाल सहित तीन जिलों में एक भी ठेकेदार रिन्यूल के लिए अब तक आगे नही आया है। अगर अब तक की स्थिति को देखें तो 10 प्रतिशत ज्यादा दर पर शराब ठेकों के रिन्युअल प्रक्रिया के तहत 6 जिलों में शत प्रतिशत प्रतिशत, तो 22 जिलों में 70 प्रतिशत से ज्यादा 755 कम्पोजिट शराब रिन्यू होने के आवेदन आ चुके हैं। वहीं 24 जिले रिन्यू होने मेें फिसड्डी बने हुए हैं। मप्र प्रदेश में आबकारी विभाग द्वारा आगामी वर्ष 2023-24 के लिए रिन्युअल के चलते 1121 कम्पोजिट शराब समूहों से तय टारगेट 1307 करोड़ के चलते पहले चरण में रिन्युअल प्रक्रिया के बाद 7442 करोड़ का राजस्व मिला चुका है। इसमें 100 प्रतिशत रिन्यूवल से पीछे रहने वाले जिलों में टीकमगढ़, गुना, नरसिंहपुर, भिंड, हरदा, मुरैना, सिवनी, पन्ना, सागर, बालाघाट आदि शामिल हैं। वहीं धार, भोपाल, अनूपपुर जिले के 50 शराब समूहों में से एक भी कम्पोजिट शराब दुकान रिन्यू नहीं हुई है ।
ठेकेदारों ने कहा- दुकानें महंगी, नहीं ले सकते: दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष में भी कुछ ऐसी स्थिति बनी थी। करीब दो दर्जन से अधिक दुकानों को लेकर 31 मार्च 22 तक भी स्थिति साफ नहीं हो सकी थी। इसके बाद शासन को लाइसेंस फीस कम करनी पड़ी थी। इसमें कुछ दुकानों को तो 47 फीसदी तक कम में दे दिया गया था। इस बार भी ठेकेदार कुछ यही स्थिति बना रहे हैं। सूत्रों की माने तो इस बार भी मामला अप्रैल के पहले सप्ताह तक जाएगा। इस दौरान ठेकेदार अपने दर पर दुकानें आसानी से ले सकेंगे। इसमें विभाग के अफसर भी पर्दे के पीछे से इनकी मदद करते हैं। शराब ठेकेदार जानते हैं कि अगर वो दुकान नहीं लेंगे, तो विभाग भी इनका संचालन नहीं कर पाएगा। कारण है कि इनके पास पर्याप्त स्टॉफ ही नहीं है। गत दो सालों में ऐसी स्थिति बनने में विभाग को दुकानों का संचालन करने में पसीना आ गया था। यही कारण है कि मार्च माह के अंतिम या अप्रैल के पहले सप्ताह में दुकानों की कीमत कम कर दी जाती है। उदाहरण के तौर पर राजधानी की सुभाष नगर फाटक शराब दुकान है, जिसे चालू वित्तीय वर्ष में 47 फीसदी माइनस पर दिया गया है।
यह है वजह
राजधानी के अधिकांश शराब ठेकेदारों ने प्रतिस्पर्धा बढऩे और ग्राहकों को लुभाने के लिए शराब की दर में कटौति कर दी , जिसकी वजह से उन्हें फायदे की जगह घाटा हो गया। इसी तरह से अगले साल से अहाते भी बंद करने का निर्णय हो चुका है। इसकी वजह से उनकी आय गिरना तय है। इधर, विभाग का दावा है कि इस बार लॉटरी और टेंडर प्रक्रिया में नए ठेकेदारों की एंट्री होगी और दोनों प्रक्रिया में ठेके के रेट बढ़कर ही आएंगे, जो चौंकाने वाले होंगे। अभी भोपाल में 33 शराब ठेकेदारों के पास 87 शराब दुकानें हैं। हालांकि विभाग के अफसरों का कहना है कि उन्हें लगता है कि यह काम होली के बाद ही शुरू करना चाहिए । हमें उम्मीद है कि इस बार टेंडर और लॉटरी प्रक्रिया में जो रेट आएंगे, वह रिजर्व प्राइस से ज्यादा ही रहेंगे। उधर, ठेकेदारों का कहना है कि इस वित्तीय साल में शराब के कारोबार में मार्जिन कम रहा है। इसके अलावा 85 फीसदी माल उठाने की अनिवार्यता ठेकेदारों के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। ऐसे में कम पैसों में बेचना शराब दुकानदारों की मजबूरी रही है।
तस्करी की शराब की बिक्री
राजधानी में वित्तीय वर्ष 22-23 में छोटे ग्रुप में शराब के ठेके हुए। इसके बाद से ही शराब की दरों को लेकर प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई थी। जिले में एमएसपी से कम कीमत पर तो शराब बेची ही जा रही है। इसके साथ घर पहुंच सेवा भी आसानी से मिल रही है। खास बात तो यह है कि दूसरे जिलों से भी बड़ी मात्रा में माल लाकर खपाया जा रहा है। इसे लेकर शिकायतों का दौर भी चला, लेकिन असले की मिलीभगत से कार्रवाई नाम मात्र की भी नहीं हुई।
16 जिलों में यह हैं हालात
70 फीसदी रिन्यू होने से पिछड़े जिलों में नर्मदापुरम 67.96 , उज्जैन 64.96 फीसदी सिंगरौली 63.31, रतलाम 62.02, रीवा 60.97 और इंदौर 60.03 प्रतिशत पर रहा। वहीं कई जिलों में 50 प्रतिशत से कम रिन्य प्रतिशत रहा। इनमें छतरपुर 48.20 प्रतिशत, मंडला 48. 18, जबलपुर 46.02, राजापुर 44.74, सीधी 44.67, देवास 29.08 शामिल है।
5 जिले बेहद पीछे
जिले के नवीनीकृत होने से पिछडऩे वालों में 16 प्रतिशत से भी पीछे रहने वाले जिलों में उमरिया 15.87, छिंदवाडा 11.20, झाबुआ 6.62, बैतूल 3.30, सतना 2.19 प्रतिशत रिन्यू हो गया है, पांच जिलों के कुल 54 शराब समूह हंै।