ठेकेदारों को मुनाफा देने का प्रयास
भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भले ही नई आबकारी नीति लागू होते ही राजधानी में चलने वाले अहाते बंद हो जाएंगे , लेकिन इसके एवज में सरकार अहातों की जगह बार चलाने की अनुमति दे सकती है। इसके लिए शराब ठेकदारों से लेकर विभाग तक में जोर -शोर से कवायद की जा रही है। इसकी वजह से लोगों को होने वाली परेशानी जस की तस रहने वाली है। दरअसल अकेले भोपाल में ही नए वित्त वर्ष से वैध रूप से संचालित होने वाले पांच दर्जन अहाते एक अप्रैल से बंद हो जाएंगे। यही वजह है कि इन अहातों की जगह सरकार वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में योजना तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि इन अहातों को एफएल-2 का बार लाइसेंस देने पर वरिष्ठ स्तर पर मंथन का दौर जारी है। दरअसल भोपल में कई ऐसे अहाते हैं जो दो हजार वर्गफिट से अधिक जगह में संचालित हो रहे हैं। यह सभी वाताकूलित हैं। इनमें एमपी नगर जोन वन, आईएसबीटी, खजूरी कलां, गेहूं खेड़ा, नीलबड़, रातीबड़ के अहातों की जगह पर बार खोलने पर गंभीरता से विचार मंथन किया जा रहा है। दरअसल बार के एफएल- 2 लाइसेंस के लिए 16 लाख से अधिक राशि फीस के तौर पर जमा कराई जाती है। इसके लिए जो शर्त है उसके मुताबिक दो हजार वर्ग फीट का हॉल होना चाहिए। साथ ही किचन सुविधा के साथ वाहन पार्किंग के लिए जगह भी जरुरी है। जबकि अहातों के लिए शराब दुकान की वार्षिक लाइसेंस फीस का दो फीसदी शुल्क ही जमा कराया जाता है। दरअसल शराब दुकानों के आस पास बार खोलने पर कोई प्रतिबंध नही है। लाइसेंस के लिए शर्तों का पालन करना होता है। इधर, सूत्रों का कहना है कि सरकार भी ऐसी योजना बनाने में जुटी है, जिसमें अहातों से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। इसके लिए बार नीति में संशोधन किया जा सकता है , जिससे की अहातों को बार में बदलने के मामले में कोई कानूनी अड़ंगा न आ सके।
कुछ में होटल खोलने की भी तैयारी
अहाते शराब ठेकेदारों के लिए आय का अच्छा दूसरा साधन हंै, लेकिन अब उसके बंद होने पर जहां कुछ ठेकेदार बार खोलने जा रहे हैं , तो कुछ ने उसमें होटल संचालित करने की योजना बनाना शुरु कर दिया है। दरअसल अधिकांश अहाते किराए के भवनों में चल रहे हैं। जिनमें बार व होटल नहीं खुलेंगे , उनके बंद किए जाने से शराब ठेकेदारों का नुकसान होगा, क्योंकि कुछ ठेकेदार इन अहातों को किराए पर चला रहे हैं। कुछ अहातों में होटल खोलने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि अधिकतर ठेकेदारों का कहना है कि वे अहाते वाली दुकानें बंद रखेंगे। ये ठेकदार अहाते की दुकान के लिए हर माह किराया चुका रहे हैं। पुराने शहर के एक ठेकेदार का कहना है कि हम तो अहाते वाली दुकान ऑनर को वापस कर देंगे। वहीं, बस स्टैंड इलाके के एक अन्य ठेकेदार का कहना है कि हम इसमें होटल खुलवा देंगे।
घनी आबादी में लाइसेंस मिलना मुश्किल
एक ठेकेदार का कहना है कि ऐसा नहीं है कि सभी अहातों को एफएल-2 मिल जाएगा। क्योंकि घनी आबादी में इतना बड़ा स्थान मिलना मुश्किल है। भोपाल की बात करें तो दो दर्जन से अधिक दुकानों के अहाते बंद हो जाएंगे। यहां छोटे-छोटे स्थान पर अहाते चल रहे हैं। इन अहातों से 30 फीसदी लाइसेंस फीस निकलती है। वैसे हम शराब की टेंडर प्रक्रिया में शामिल होंगे और यदि ठेका मिलता है तो हमारी जिन दुकानों में अहाते चल रहे हैं, उसे बंद रखेंगे या जिनसे दुकानें ली हैं, उन्हें लौटा देंगे।
अहाते बंद के विरोध में हैं ठेकेदार
नई शराब नीति में अहाते बंद करने को लेकर राजधानी के सभी मौजूदा शराब ठेकेदारों ने आपत्तियां और नाराजगी दर्ज कराई है। उनका कहना है कि नए वित्तीय वर्ष में अहाते बंद किए जा रहे हैं, जबकि उनकी कमाई का एक बड़ा स्त्रोत यही अहाते हैं। दरअसल सहायक आबकारी आयुक्त राकेश कुर्मी ने हाल ही में जिले के शराब ठेकदारों की बैठक बुलाई थी। इसका मकसद उन्हें नई आबकारी नीति के बारे में जानकारी देना था। शाम 4 से 6 बजे तक चली बैठक में ठेकेदारों ने एकजुट होकर कहा कि जब अहाते नहीं, तो शराब दुकान लेने का क्या औचित्य है।