सरकार व विपक्ष सुलह के रास्ते पर

प्रदेश की राजनीति के लिए अच्छी खबर है। यह खबर है सरकार व विपक्ष के बीच सुलह की। दरअसल सूबे की विधानसभा का अभी बजट सत्र चल रहा है। सत्र के शुरुआती दिनों में ही जिस तरह से सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तलवारें खींच रहीं थीं, उससे लग रहा था कि आगामी दिनों में भी सत्र हंगामेदार रह सकता है , लेकिन होली के इस पर्व पर रंग गुलाल के बीच दोनों पक्षों के बीच जिस तरह से बातचीत का दौर शुरु हुआ है ,उससे सकेंत मिल रहे हैं कि सरकार व विपक्ष सुलह के रास्ते पर चल निकले हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि प्रदेश की सियासत में पांच दिन पहले हुए सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो सकता है। कहा जा रहा है कि सत्तापक्ष व विपक्ष मिलकर संयुक्त रुप से विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी का निलंबन समाप्त करने का प्रस्ताव देंगे, जिसे माना जा सकता है, तो वहीं कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा व विजयलक्ष्मी साधौ के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी वापस ले लिया जाएगा तो वहीं विपक्ष भी संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के निलंबन की मांग से कदम पीछे खींच सकती है।
इसके संकेत नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने द्वारा दो दिन पहले ही दे दिए गए हैं। उनका कहना है कि हमारी सभी से बातचीत चल रही है। चर्चा से सब सुलझ जाएगा। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि 11-12 मार्च को सभी से बात करेंगे, क्योंकि अभी होली के चलते सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों में हैं। वहीं, नरोत्तम का कहना है कि इस बारे में बाद में बात करेंगे। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही दल ये मान रहे हैं कि लोकतंत्र में संवाद से ही हल निकलता है, इसलिए बातचीत की जाएगी। दरअसल प्रदेश का बजट सत्र 27 मार्च तक प्रस्तावित है। इस सत्र की 13 बैठकों में से अब तक 5 बैठकें हो चुकी हैं। अभी 8 बैठकें और होना हैं। इस बीच वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट को पारित कराया जाना है। 15वीं विधानसभा में मानसून सत्र भी होना है, जो दो से तीन दिन का होगा, इसलिए हालिया विवादों का शांतिपूर्ण हल निकालना जरूरी है। इस सत्र के बाद दोनों दल चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे। मानसून सत्र के बाद विधानसभा का समापन हो जाएगा।
आरोप-प्रत्यारोप
बीते गुरुवार को कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी को संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव पर बजट सत्र की शेेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस ने इसे अलोकतांत्रिक कदम बताते हुए अध्यक्ष पर सत्ता के दबाव में कार्रवाई करने का आरोप लगाया और शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इसमें कहा गया कि अध्यक्ष पर अब हमें विश्वास नहीं है क्योंकि , वे निष्पक्ष कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और खर्च के प्रश्न को लेकर बिना किसी वैध कारण के पटवारी को निलंबित कर दिया। यह बजट सत्र को शीघ्र समाप्त करने का षडयंत्र है। प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए जा रहे हैं और विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। इस पर पलटवार करते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का मामला ही नहीं बनता है ,क्योंकि निर्णय अध्यक्ष ने नहीं मेरे प्रस्ताव पर सदन ने लिया है। हम हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं , लेेकिन विपक्ष इससे भागता है। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष के सामने से चपरासी को हटाने के लिए उन्होंने हाथ झटका तो हाथ से नियम की पुस्तक नेता प्रतिपक्ष के पास जाकर गिरी। कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि सदन में गुंडागर्दी हो रही है। मंत्री पुस्तक फेंककर मार रहे हैं। इन्हें निलंबित किया जाए। जब अध्यक्ष ने इसे अनसुना कर दिया तो सदस्य आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करने लगे थे , जिसके चलते अध्यक्ष ने प्रश्नकाल स्थगित कर दिया था। इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन की सूचना भी दे दी गई। दोबारा 12 बजे बैठक प्रारंभ होने पर नारेबाजी करते हुए कांग्रेस के सदस्य आसंदी के समक्ष आ गए थे और इस बीच पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आवेश में आकर कार्य संचालन नियम की पुस्तिका फाड़कर फेंक दी थी, जो विधानसभाकर्मियों की टेबल पर जाकर गिरी। अध्यक्ष ने हंगामे के बीच प्रस्तावित कार्यवाही पूरी कराकर सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी थी।
दो दिन चल सकता है बैठकों का दौर
माना जा रहा है कि अब सत्र की कार्यवाही दोबारा शुरू होने से दो दिन पहले 11 व 12 मार्च को बैठकों का दौर जारी रह सकता है। इसमें सत्ता व विपक्षी दल के नेता शामिल रहेंगे। दरअसल 2 मार्च को संसदीय कार्यवाही के बीच अमर्यादित शब्द कहने पर पटवारी को निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस ने इसे विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की पक्षपाती कार्यवाही बताते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके अगले ही दिन संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने संसदीय नियमावली फेंकने का आरोप लगाया, जबकि सज्जन और साधौ पर इसी नियमावली को सदन में फाडऩे का आरोप है। सदन में तब जो कुछ भी हुआ, उसे बाबा साहेब और उनके बनाए संविधान का अपमान बताया गया था। इसको लेकर दोनों पक्षों के विधायक आमने सामने आ गए थे। दरअसल इस मामले में माना जा रहा है कि सरकार-विपक्ष में तकरार लंबी खिंचेगी, लेकिन विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, ऐसे में सदन की कार्यवाही निर्बाध रूप से चले, इसलिए सुलह का रास्ता निकालना जरूरी है।
जता चुके हैं खेद
इस मामले में डा.मिश्रा ने कहा कि मैंने पुस्तिका नहीं फेंकी है। नेता प्रतिपक्ष के सामने खड़े चपरासी को हटाने के लिए हाथ से इशारा किया तो पुस्तिका छूटकर गिर गई, फिर भी खेद जताता हूं। पटवारी को आचरण अमर्यादित और संसदीय परंपराओं के विपरीत था। उन्हें भी खेद जताने के लिए कहा था लेकिन वे नहीं माने। निलंबन का प्रस्ताव मैंने रखा था और निर्णय सदन ने लिया। इसमें अध्यक्ष की भूमिका नहीं है। सज्जन सिंह वर्मा ने पुस्तक फाड़ी और उसे लहराकर फेंका पर माफी नहीं मांगी। दरअसल, कांग्रेस चर्चा ही नहीं करना चाहती है, इसलिए ऐसे प्रपंच करती है। उधर, नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है और अध्यक्ष साथ दे रहे हैं। संसदीय कार्यमंत्री ने जैसा आचरण किया है, वैसा पहले किसी संसदीय कार्यमंत्री ने नहीं किया। अध्यक्ष उन्हेें पूरे सत्र के लिए निलंबित करें पर हमारी मांग को अनसुना कर दिया। अध्यक्ष एकपक्षीय कार्यवाही कर रहे हैं। भाजपा सरकार प्रजातंत्र का गला घोंट रही है।