तो सूबे की आधा सैकड़ा सीटों पर भाजपा की जीत तय

महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से है अधिक
भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में अगले सात माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत एक बार फिर से ही तय करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाडली बहना योजना कई सीटों की जीत में मास्ट्रर स्ट्रोक लगाने वाली योजना बनकर सामने आ रही है।
इसकी वजह है सूबे की करीब आधा सैकड़ा सीटें ऐसी हैं जिनमें महिला वोटर्स की संख्या या तो अधिक है या फिर उनकी वजह से ही हार जीत तय होती है। इनमें भी एक दर्जन सीटें तो ऐसी हैं जिन पर महिला मतदाताओं का आंकड़ा पुरुषों से अधिक है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें ज्यादातर सीटें आदिवासी अंचलों की हैं जहां विधानसभा 2018 के चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। झाबुआ, आलीराजपुर, बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिले में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। यही वजह है कि भाजपा इन जिलों में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना इन क्षेत्रों के लिए गेम चेंजर मानी जा रही है। सत्ता-संगठन का मानना है कि प्रदेश की आधी आबादी के साथ ट्राइबल अंचल को साधने में यह योजना बेहद कारगर साबित होगी। भाजपा की रणनीति यह है कि मिशन 2023 में आधी आबादी अर्थात महिला वोटर्स का रुझान उसकी तरफ मुड़ गया तो सत्ता में लौटने से कोई नहीं रोक सकता । यह बात इस पर निर्भर करती है कि इस योजना का क्रियान्वयन कितना और कैसे होता है।
बढ़ गई महिला मतदाताओं की संख्या: प्रदेश में इस बार 41 जिलों में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों के मुकाबले बढ़ी है। महिला वोटर्स की संख्या बढऩे के कारण इस बार जेंडर रेशियो 926 से बढ़कर 931 पर पहुंच गया ह,. वहीं 18 विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। डिंडोरी, विदिशा, देवास, मंडला, बैहर, परसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, बरघाट, पानसेल, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, सरदारपुर थांदला, पेटलावद, कुक्षी, सैलाना में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
कांग्रेस को है बहुमत
खास बात यह है कि सूबे की जिन सीटों पर महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं ,उनमें से 29 सीटों पर कांग्रेस को बीते चुनाव में जीत मिली थी। इनमें भी सर्वाधिक सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं। यही वजह है कि भाजपा व सरकार के रणनीतिकारों का मनना है कि इस योजना से भाजपा को बीते चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिल सकेगी। प्रदेश में जिन विधानसभा सीटों पर महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभाती हैें उनमें शाहपुर, बिछिया, निवास, बैहर, बरघाट, जुन्नारदेव, बड़वानी, आलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, पेटलावद, सरदारपुर, कुक्षी, थांदला, सैलाना, मनावर, बड़वारा और डिंडोरी विधानसभा सीट शामिल है।
लगातार बढ़ रहा महिलाओं का मत प्रतिशत
मध्य प्रदेश में कुल महिला मतदाताओं की संख्या 2,60,23,733 है. 41 जिलों में पुरुष वोटर्स के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है।प्रदेश में चुनाव में महिलाएं बढ़-चढ़कर मतदान करती हैं। यही वजह है कि बीते सालों के मुकाबले महिलाओं के वोट प्रतिशत में भी लगातार इजाफा हुआ है। साल 2018 के चुनाव में 2013 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा महिलाओं के वोट पड़े थे। साल 2013 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 73.95 प्रतिशत महिलाओं का 70.11 प्रतिशत था।
इन सीटों पर मामूली अंतर
बड़े छोटे शहरी क्षेत्रों में इंदौर, छतरपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, सागर, जबलपुर उत्तर, नरसिंहपुर, नरसिंहगढ़, वारासिवनी, सिंगरौली, सीहोरा, मंडला, लखनादौन, चाचौड़ा और गुना जैसी विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर पुरुष व महिला मतदाताओं में मामूली अंतर है। इनमें से कई जगहों पर तो महिला मतदातओं की संख्या पुरुषों के लगभग बराबर है। इसके बाद भी इनमें से अधिकांश सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। अगर प्रदेश में मतदाताओं को देखें तो 5 करोड़ 39 लाख 87 हजार वोटर्स में से महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार है। ट्राइबल की 47 में से 2018 में भाजपा के हिस्से में मात्र 16 सीटें ही आई थीं जबकि 2013 में उसने 31 सीटें जीतीं थी।