भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। एक तरफ जहां सैकड़ों
स्कूलों में शिक्षकों की बेहद कमी बनी हुई है, जबकि सैकड़ों शिक्षक ऐसे भी थे, जो बगैर पढ़ाई कराए ही लंबे समय से वेतन हड़प रहे थे। ऐसे 231 शिक्षकों की प्रदेशभर में पहचान कर उन्हें अब उन ग्रामीण इलाकों में भेज दिया गया है, जहां पर शिक्षकों की बेहद कमी बनी हुई थी। इसकी वजह है इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की नाराजगी। दरअसल उन्हें इस तरह के शिक्षकों के बारे में कहीं से जानकारी मिली थी , जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। इनमें से कई शिक्षकों की कार्यशैली ऐसी थी, कि उनके मन मुताबिक पदस्थापना के बाद संबधित स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि होना तो दूर, जो बच्चे स्कूल आते भी थे, वे भी गायब हो गए। इसकी वजह से कई स्कूलों में तो एक भी बच्चा तक नहीं रह गया था, जिसकी वजह से ऐसे स्कूलों में पदस्थ शिक्षक बगैर पढ़ाए ही वेतन ले रहे थे। गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग में करीब ढाई लाख शिक्षक हैं। इनमें से कई शिक्षक अटैचमेंट कराकर दूसरे विभागों में तो कुछ अपने ही विभाग में पढ़ाई की जगह बाबूगिरी कर रहे है। राजधानी सहित प्रदेश भर में कुछ स्कूल ऐसे है, जिसमें शिक्षक पढ़ाई पर ध्यान ही नहीं देते है। सबसे ज्यादा बेकार स्थिति प्रायमरी स्कूलों में रहती है। स्कूलों की दशा सुधारने के लिए मंत्री इंदर सिंह परमार ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए। इसमें प्रदेश भर में पता लगाया गया कि किन-किन प्रायमरी स्कूलों में बीते सालों में बच्चों की संख्या कम हो गई है। जब मंत्री के पास स्कूलों की जानकारी पहुंची, तो चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। इसमें 231 स्कूल ऐसे थे, जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं था । इन स्कूलों की पूरी जानकारी देखी, तो सामने आया कि इन स्कूलों में बीते सालों में बच्चों की संख्या अच्छी-खासी थी। इन शिक्षकों की पदस्थापना के बाद से ही बच्चों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई। बच्चों की संख्या बढ़ाने या स्कूल छोड़ रहे बच्चों को प्रवेश के लिए इन शिक्षकों ने बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया । इसके बाद हालात यह बन गए कि बीते एक साल से इन स्कूलों में एक भी विद्यार्थी ही नहीं रह गया। इसके बाद भी बिना पढ़ाए यह शिक्षक मुफ्त की सैलेरी ले कर मौज कर रहे थे। इसके बाद मंत्री के निर्देश पर 231 शिक्षकों को उस जिले से हटाकर दूसरे जिलों के ग्रामीण स्कूलों में पदस्थापना के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
छिंदवाड़ा में सर्वाधिक 27 शिक्षकों के तबादले
राजधानी समेत प्रदेश भर में जीरों बच्चे वाले स्कूलों के 231 शिक्षकों की ग्रामीण इलाकों में पदस्थापना की गई है। इसमें सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा के 27 शिक्षक है। जबकि राजधानी में एक शिक्षक लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा को ग्रामीण इलाके में भेजा गया है। इसी तरह से राजधानी के शासकीय प्राथमिक शाला दामखेड़ा की प्राथमिक शिक्षिका हेमू प्रजापति को फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर सेवा से बर्खास्त किया गया है। जांच में पाया गया था कि शिक्षिका मूल रूप से ग्वालियर की रहने वाली है। उसने दतिया जिले का फर्जी मूल निवासी व फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनाकर नौकरी हासिल की थी। जांच के बाद सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए गए है।