अप्रैल से मिलेगी जानवरों को भी एम्बुलेंस सुविधा

चिकित्सक से लेकर कम्पाउण्डर तक रहेगा मौजूद.

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में नए वित्त वर्ष के पहले ही माह से पशु एम्बुलेंस सेवा शुरू करने की तैयारी है। इसकी शुरुआत पशुपालन विभाग द्वारा की जा रही है। इसके लिए एम्बुलेंस में एक डॉक्टर, एक कम्पाउण्डर, एक ड्रायवर सहित कॉल-सेंटर के लिये 1238 लोगों को रोजगार से जोड़ा है। एम्बुलेंस में सभी आवश्यक सुविधाएं रहेंगी। यह जानकारी पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेम सिंह पटेल की अध्यक्षता में हुई पशुपालन विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक दी गई। इसके साथ ही पटेल ने कहा कि धार्मिक व्यक्ति और संस्थान गो-शालाओं का संचालन बेहतर ढंग से करते हैं।
जिन ग्राम सभाओं में गो-शालाओं का व्यवस्थित संचालन नहीं हो रहा है, वहां यह जिम्मेदारी एनजीओ को दें। बताया गया कि पड़ौसी राज्य राजस्थान में लम्पी बीमारी से लगभग 70 हजार गायों की मृत्यु के बावजूद सतर्कता के चलते मध्यप्रदेश में केवल 696 मृत्यु दर्ज की गई। लम्पी बीमारी से बचाव के लिए गायों को लगाए गये 37 लाख 13 हजार से अधिक टीकों का इसमें बड़ा योगदान है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा अनुसार ब्लॉक में अलग-अलग और छोटी-छोटी गो-शालाओं की जगह एक बड़ी गो-शाला में बेसहारा गायों को रखें। इससे गायों की देखभाल अच्छी होने के साथ गोबर और गो-मूत्र अधिक होने से उनकी आत्म-निर्भरता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि 10 गो-शालाओं को जोड़ कर एक गो-वंश वन विहार बनायें।
इस दौरान पशुपालन की विभिन्न केंद्रीय और राज्य की गो-भैंस, बकरी, कुक्कुट-पालन आदि योजनाओं की अद्यतन स्थिति पर भी चर्चा की गई। बकरी-पालन में हितग्राही को शासन द्वारा 60 प्रतिशत की सबसिडी दी जाती है। केन्द्र शासन की 4 करोड़ रूपये की गो-पालन योजना में 2 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का प्रावधान है। साथ ही प्रदेश की आचार्य विद्यासागर योजना में 10 लाख रुपये तक का ऋण 5 गायों के लिये दिया जाता है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में डेयरी प्लस योजना विदिशा, रायसेन और सीहोर में लागू की गई है। इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति को 75 प्रतिशत और सामान्य को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा, भारिया, सहरिया को 90 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।
नि:शुल्क टीके उपलब्ध कराये जायेंगे
प्रदेश में उच्च नस्ल की बछियों की संख्या बढ़ाने के लिए ब्लॉक स्तर पर नि:शुल्क टीके उपलब्ध कराये जायेंगे। इससे 90 प्रतिशत बछियों का जन्म होगा और अनावश्यक रूप से नर बछड़ों की संख्या नहीं बढ़ेगी। इसके अलावा उच्च नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के भ्रूण प्रत्यारोपण से भी अच्छी गायों की संख्या बढ़ाई जा रही है। पंजीकृत गो-शालाओं में चारा-भूसा के लिये 202 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करा दी गई है। एमपीसीडीसी द्वारा प्रदेश में रोज 7 लाख सांची दूध पैकेट का वितरण होता है। लगभग 6 हजार 800 समितियों से संकलित दूध और उसके उत्पाद प्रदेश में 1100 मिल्क पार्लर, 513 मिल्क बूथ और 5400 प्राइवेट एजेंसियों से घर-घर पहुँचते हैं। उपभोक्ताओं की मांग को देखते हुए मोबाइल पार्लर की भी संख्या बढ़ाई जा रही है।