धर्मसंकट…नाथ की योजना कांग्रेस की गले की घंटी बनी

भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। जिस घोषणा के सहारे


कांग्रेस ने बीते विधानसभा चुनाव में चुनावी वैतरणी पार की थी , वही घोषणा इस बार पार्टी के लिए गले की घंटी बन गई है। इसकी वजह है 2018 के बाद किसानों द्वारा लिया गया कर्ज। पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि इस कर्ज को भी माफी योजना में शामिल किया जाए या नहीं। अब विधानसभा चुनावों में महज कुछ महिनों का ही समय रह गया है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा अपने वचन पत्र के लिए मुद्दों पर विचार विमर्श का दौर चल रहा है। इसके लिए समिति का गठन कमलनाथ द्वारा बीते ही साल कर दिया गया था। अब बीते दो माह से कमलनाथ अपने दौरे के समय कोई न कोई बचन सार्वजनिक रुप से देते हुए उसकी घोषणा कर रहे हैं। यही वजह है कि अब एक बार फिर से कांग्रेस की कर्ज माफी का मामला फिर से गर्माने लगा है।
गौरतलब है कि इस मामले में कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद से ही कांग्रेस व भाजपा में आरोप प्रत्यारोप का दौर तो लगातार चल ही रहा है। इस बीच एक बार फिर से कांग्रेस इस मामले को अपने वचन पत्र में प्रमुखता से शामिल करने जा रही है। बीते विधानसभा के आम चुनाव में भी कांग्रेस ने इस मामले को प्रमुखता से शामिल किया था , जिसके फलस्वरुप किसानों ने भाजपा की जगह कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था, जिसकी वजह से कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी का मौका मिल सका था। उस समय किसानों से कमलनाथ ने वर्ष 2018 तक का कर्ज माफ करने की बात कही थी। कमलनाथ सरकार वचन पत्र के वादे के अनुसार सभी किसानों का कर्ज माफ कर पाती, इससे पहले सरकार गिर गई और कर्ज माफी की प्रक्रिया बीच में ही रुक गई। इसकी वजह से दूसरे और तीसरे चरण के 10 लाख से ज्यादा किसान ऐसे बच गए, जिनका कर्ज माफ नहीं हो पाया सका था। इसके अलावा 2018 से 2023 के बीच पांच साल में कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या एक बार फिर से बढ़ गई है, जिनका कर्ज माफ करने के लिए अतिरिक्त भारी भरकम राशि की जरूरत पड़ेगी। यही वजह है कि कांग्रेस वर्ष 2018 तक के बचे हुए किसानों का कर्ज माफ करने को लेकर तो अंतिम निर्णय ले चुकी है, लेकिन 2018 से 2023 के बीच में कर्ज लेने वाले किसानों का कर्ज माफ किया जाए या नहीं, इसको लेकर उच्च स्तर पर मंथन का दौर जारी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अधिकतर वरिष्ठ नेता 2018 के बाद कर्ज लेने वाले किसानों का भी कर्ज माफ करने के पक्ष में हैं। दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 के वचन पत्र में किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। सरकार बनने के बाद कर्ज माफी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। कांग्रेस सरकार ने दो चरणों में 26 लाख 95 हजार किसानों का 11 हजार 600 करोड़ का कर्ज माफ किया था। यह जानकारी कृषि मंत्री कमल पटेल ने विधानसभा में दी थी। कर्ज माफी का दूसरा चरण चल रहा था कि मार्च, 2020 में कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई। दूसरे चरण में 7 लाख किसानों का कर्ज माफ होना था, यह चरण पूरा नहीं हो पाया। साथ ही तीसरा चरण जो एक जून, 2020 से शुरू होना था, उसमें 6 लाख किसानों का कर्ज माफ होना था। तीसरे चरण में किसानों के एक से दो लाख रुपए तक का चालू खातों का ऋण माफ किया जाना था। सरकार यह कदम उठा पाती इसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी।
डिफाल्टरों के ब्याज का भुगतान करेगी सरकार
जानकारी के अनुसार सरकार उन किसानों के ब्याज का भुगतान स्वयं करेगी जिन्हें, बैंक ने डिफाल्टर घोषित कर दिया है। इससे ऐसे ऋणी किसानों को सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि वे जल्दी ऋण मुक्त होकर दोबारा बैंक से कर्ज ले सकेंगे। जैसा कि किसानों को खेती-किसानी के कई कामों के लिए बैंक से ऋण लेना पड़ता है। कई बार प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसल को नुकसान हो जाता है। इसके कारण वे ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में बैंक उन किसानों को डिफाल्टर घोषित कर देता है जिससे वे आगे नया लोन नहीं ले पाते हैं। इन किसानों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से बैंक द्वारा डिफाल्टर किए गए किसानों के ऋण पर ब्याज की रकम चुकाने की घोषणा की गई है। इससे लाखों किसानों को लाभ होगा। चुनावी साल में किसानों को उम्मीद है कि भाजपा सरकार फसल ऋण माफी कर देगी, क्योंकि सीएम शिवराज सिंह किसानों के हित में ब्याज माफी की घोषणा कर चुके हैं।
10 हजार करोड़ का बढ़ेगा खर्च
विधानसभा चुनाव के बाद यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो उसे 2018 से पहले के बचे हुए किसानों की कर्ज माफी के लिए करीब 15 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यदि कांग्रेस वचन पत्र में 2018 के बाद कर्ज लेने वाले किसानों की कर्ज माफी का वादा करती है, तो उसे इसके लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपए की जरूरत और होगी। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पांच साल की अवधि में करीब 10 लाख से ज्यादा किसानों ने कर्ज लिया है।
सरकार की ब्याज माफी योजना
मप्र सरकार की ओर से ब्याज माफी योजना शुरू की जा रही है। इसके तहत समय पर कर्ज नहीं चुकाने के कारण बैंक से डिफाल्टर हुए 14 लाख 57 हजार किसानों को सरकार ब्याज माफी का लाभ प्रदान करेगी। योजना में 30 मार्च 2018 के पहले के कर्जदार किसानों को इसमें शामिल किया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसके लिए प्रदेश सरकार ने तय किया है वह प्रदेश के सभी जिलों में समाधान योजना शुरू करेगी। इसमें अगर किसान शामिल होते हैं और लिए गए ऋण का मूलधन जमा करते हैं तो अब तक का पूरा का पूरा ब्याज माफ किया जाएगा। उसे केवल मूलधन ही जमा करना होगा।