यथा नाम तथागुण वाले राजनेता हैं शिवराज

कहते हैं जैसा नाम होता है वैसे ही गुण अगर व्यक्ति में होते


हैं तो उसे सोने पर सुहागा कहा जाता है। ऐसा ही कुछ शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जाता है। वे अपने नाम को पूरी तरह सार्थक करते नजर आते हैं। यही वजह है कि उन्हें लोग राजनेता कम और अपना पारिवारिक सदस्य या फिर करीबी रिश्तेदार के रुप में अधिक मानते हैं। इसकी वजह भी है उनके द्वारा हर वर्ग के साथ हर उम्र के लोगों की ङ्क्षचता करना। एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आने वाले शिवराज ऐसे राजनेता बन चुके हैं, जिनके द्वारा समय-समय पर ऐसी नई योजनाए लायीं जाती हैं, जो न केवल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहती हैं, बल्कि कई विरोधी दलों वाली सरकारों द्वारा अपने राज्यों में भी लागू की जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य समाज के हर वर्ग का उत्थान करना रहता है। यही नहीं विकास के मामले में भी शिवराज नई-नई ऊंचाइयों को पाने की ललक में पीछे नहीं रहते हैं। अगर उनके अब तक के कार्यकाल के कामों का उल्लेख किया जाए तो इस पर एक मोटी किताब लिख जाएगी। यही वजह है कि उनके इस कार्यकाल की बात करना अधिक मुफीद है। चौथे कार्यकाल के आज शिवराज सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं। अपने तीन साल के कार्यकाल में उपलक्ष्य में शिवराज युवाओं को तोहफा देने जा रहे हैं। इसके लिए आज युवा महापंचायत बुलाई गई है। जिसमें युवाओं को कई तरह की सौगातों की घोषणाएं की जाएंगी। इसमें सरकार का फोकस पूरी तरह से स्वरोजगार पर रहने वाला है। इसके तहत अब एक लाख युवाओं को एक वर्ष में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलाकर तैयार करने की योजना है। इतना ही नहीं उन्हें एक वर्ष में एक लाख रुपये भी दिए जाएंगे। मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करवाने के बाद अब विचार किया जा रहा है कि हिंदी माध्यम से पढ़कर आने वाले विद्यार्थियों के लिए क्यों ने कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाएं। महिलाओं का आत्मसम्मान और घर में इज्जत बढ़ाने के लिए लाडली बहना योजना शुरू की जा रही है। यही नहीं अगर इस कार्यकाल को देखें तो चौथी बार सत्ता संभालने के एक सप्ताह के भीतर फसल बीमा के 2,200 करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा करने का निर्णय लिया गया, यही नहीं हाल ही में पड़ी मौसम की मार से राहत देने के लिए 50 फीसदी फसल नुकसान को सौ प्रतिशत क्षति मानने का निर्णय लेते हुए 35 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की राहत दी जाएगी। इसी तरह से देखें तो प्रदेश में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय एक लाख 40 हजार रुपये प्रतिवर्ष हो गई है। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
इस तरह का आया बदलाव
आज 20 वर्ष बाद हमें अंतर साफ नजर आता है। वर्ष 2003 के पहले प्रदेश बदहाल था। सड़कें गड्ढों में परिवर्तित थी, बिजली आती- जाती रहती थी। आमजन के लिए शासकीय सुविधाएं पाना कठिन था। शहरों के हालात बदतर थे, ग्रामीण जन-जीवन अपने पर ही निर्भर था। शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं स्वयं बीमार थी। शिक्षाकर्मी शासकीय स्कूलों में 500 रुपये महीने में पढ़ा रहे थे। प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में था और उद्योगपति यहां निवेश करने में कतराते थे । कृषि प्रधान होने के बावजूद भी राज्य की कृषि दर न्यूनतम थी। सिंचाई के साधन नहीं थे। उद्योगों की विकास दर एक प्रतिशत से भी नीचे थी।
पेश किया रिपोर्ट कार्ड
तीन साल पूरे होने के पहले निकाली गई विकास यात्रा से सरकार को पूरा रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश किया गया। यह यात्रा पूरे प्रदेश में 5 फरवरी को संत रविदास जयंती के अवसर से प्रारम्भ होकर 7 मार्च 2023 तक निकाली गई, जिसमें लगभग 40 हजार 700 करोड़ रुपए से अधिक कामों का न केवल लोकार्पण किया गया ,बल्कि 30 हजार 700 से अधिक लागत के कामों के लिए भूमि-पूजन भी किया गया। इस दौरान लोगों की समस्याओं से संबंधित 9 लाख 92 हजार से अधिक आवेदन मिले, जिनमें से 8 लाख 70 हजार से अधिक स्वीकृत किए गए।
इन मामलों में देश में पहला स्थान
देश के कुल गेहूं निर्यात में 46 फीसदी की भागीदारी के साथ मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है। इसकी वजह है रिकॉर्ड 21 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का निर्यात किया जाना। इसी तरह से देखें तो वर्ष 2020-21 में गेहूं उपार्जन में, एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में 4 हजार करोड़ से अधिक के प्रकरण स्वीकृत करने, पीएम स्वनिधि योजना के प्रथम चरण के क्रियान्वयन, आयुष्मान कार्ड संख्या के आधार पर और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़कों की गुणवत्ता में देश में पहला स्थान मिला है।
अभूतपूर्व प्रगति की हासिल….
पिछले दो दशक में मध्य प्रदेश का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। आज विकास के सूचकांकों में प्रदेश की उपलब्धियां गर्व करने वाली है। राज्य की विकास दर 16 प्रतिशत से अधिक है। औद्योगिक विकास दर 24 प्रतिशत है। सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे पर परिणाम हम सबके सामने हैं। इस दौरान प्रदेश ने 23 प्रतिशत कृषि विकास दर अर्जित की और सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया। प्रदेश ने जन- कल्याण के क्षेत्र में न केवल नए प्रतिमानों को स्थापित किया, वरन इस क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई योजनाएं अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनी। राज्य अभूतपूर्व प्रगति की है।
संकट में खड़े रहे साथ
कोरोना काल प्रदेश के लिये एक कठिन दौर था। लॉकडाउन के कारण अचानक सब कुछ बंद हो गया। लेकिन इन आपातकालीन परिस्थितियों में भी चौहान ने कुशलता से सरकार का संचालन किया। स्वयं कोविड प्रभावित होने के बाद भी उन्होंने अस्पताल से सरकार चलाई। मुख्यमंत्री रहते हुए भी चौहान कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा है। उनका मैं हूं ना का भाव आत्म-विश्वास जगाता है। वे कार्यकर्ताओं के लिए कहते है कि पाँव में चक्कर, मुंह में शक्कर, सिर पर बर्फ और सीने में आग होना चाहिए। वे स्वयं भी इसी भाव का पालन करते है। मध्यप्रदेश उनका मंदिर है और प्रदेश की साढ़े 8 करोड़ जनता उनकी भगवान है।