मप्र के चार विधायकों की… सदस्यता पर भी लटकी तलवार

अदालती सजा के बाद भी बरकरार है विधायकी.

मध्य प्रदेश में विधानसभा के दो सदस्यों प्रहलाद लोधी व अजब सिंह कुशवाह को अदालत से मिली दो साल की सजा के बाद आज भी उनकी विधायकी बरकरार है। वहीं, राहुल लोधी पर चुनाव आचार संहिता व जानकारी छिपाने के मामलों में तलवार लटकी है। फर्जी जाति प्रमाण के अदालत के फैसले के बाद जजपाल सिंह जज्जी भी ऊपरी अदालत के स्टे आदेश पर विधानसभा के अभी भी सदस्य हैं। जानिये इनके मामलों में क्या हुआ है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के चार विधायकों पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे राहुल लोधी, प्रहलाद लोधी व अजब सिंह कुशवाह की विधायकी पर तलवार लटकी है। हालांकि राहुल लोधी का मामला अलग तरीके का है। अशोक नगर से विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र फर्जी करार दिए जाने के बाद अदालत ने उनकी विधायकी शून्य कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्टे देकर राहत दे रखी है। वहीं, उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी के मामले में कांग्रेस प्रत्याशी चंदारानी गौर द्वारा निर्वाचन नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था और इसमें अदालत ने उन्हें विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था। अभी उनका मामला ऊपरी अदालत में अपील के कारण लंबित है। अब इन मामलों की तुलना लोगों द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता जाने औश्र उप्र के कुछ मामलों से की जा रही है। फिलहाल इन मामलों को लेकर जनता के बीच नई बहस छिड़ गई है। यह बात अलग है कि प्रदेश में इन विधायकों को मामले को लेकर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक कुछ भी नहीं बोल रहा है।

प्रहलाद की सदस्यता समाप्त होने पर भाजपा ने घटिया हरकत कहा था

प्रहलाद लोधी को अपराधिक प्रकरण में अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी, जिसमें तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने तत्काल उनकी सदस्यता निरस्त कर दी थी। मगर उस समय भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को कमलनाथ सरकार की घटिया हरकत बताई थी। विधानसभा अध्यक्ष के लिए कहा था कि उनकी कार्रवाई निष्पक्ष नहीं पक्ष है। उनके एक्शन को असंवैधानिक करार दिया था।
अजब सिंह को हाईकोर्ट से स्टे
वहीं, कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह पर सरकारी जमीन बेचने के आरोप में दिसंबर 2022 को दो साल की सजा हुई थी। मगर विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में तत्काल विधायकी खत्म करने का फैसला नहीं लिया और कुशवाहा ऊपरी अदालत से स्टे ले आए। इससे आज भी उनकी विधायकी सलामत है।