पिछड़ा वर्ग मतदाताओं पर है पकड़ मजबूत.
इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के ग्वालियर -चंबल अंचल में बेहद दिलचस्प चुनावी मुकाबला दिखाई देगा। इसकी वजह है श्रीमंत और कमलनाथ के बीच इस अंचल को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर चलना। इसी क्रम में कमलनाथ ने इस अंचल के बड़े पिछड़ा वर्ग का चेहरा यादवेन्द्र यादव को भाजपा से कांग्रेस में शामिल कराकर हाल ही में बड़ा झटका दिया है। उनके परिवार का बड़ा राजनैतिक प्रभाव माना जाता है। यही नहीं उनका परिवार श्रीमंत परिवार का भी विरोधी रहा है। श्रीमंत के कांग्रेस में रहने के समय यादव का परिवार न केवल चुनावी जीत हासिल करता रहा है बल्कि, अंचल में श्रीमंत के विरोध में झंडावरदार भी बना रहा है। यही वजह है कि अब कांग्रेस ने उन्हें श्रीमंत को चुनौती देने का जिम्मा देना लगभग तय कर लिया है। दरअसल अशोकनगर जिले के मुंगावली से उनके पिता राव देशराज यादव तीन बार विधायक रह चुके हैं। अंचल का गुना और अशोकनगर जिला श्रीमंत का प्रभाव क्षेत्र है। बीते चुनाव में यहां की तीन विस क्षेत्र मुंगावली, बमोरी और अशोकनगर से कांग्रेस ने जीत हासिल की , लेकिन बाद वे तीनों ही विधायक श्रीमंत के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे और वे अब भाजपा के टिकट पर जीत कर विधायक बने हैं। यही वजह है कि अब कमलनाथ ने श्रीमंत को घेरने के लिए उनके साथ पार्टी छोड़कर जाने वाले विधायकों के क्षेत्र में चुनावी बिसात बिछानी शुरु कर दी है। दरअसल श्रीमंत द्वारा अपने समर्थक विधायकों के साथ दलबदल करने की वजह से ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी। यही वजह है कि अब कांग्रेस की नजर इन तीनों ही सीटों पर श्रीमंत समर्थक विधायकों को हर हाल में शिकस्त देकर श्रीमंत को बड़ा झटका देना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस ऐसे चेहरों को अपने साथ लाने के प्रयासो में लगी हुई है , जो राजनीतिक या सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। इसी कड़ी में यादवेंद्र यादव को कांग्रेस में लाया गया है। दरअसल यादव परिवार का इस अंचल के तीन जिलों अशोकनगर, गुना और शिवपुरी क्षेत्र में सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव है। उनके परिवार के तीन सदस्य जिला पंचायत सदस्य हैं। मां बाई साहब यादव अशोकनगर जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उनकी पत्नी और एक भाई जिला पंचायत सदस्य हैं। इस परिवार के प्रभाव की वजह से ही शिव सरकार ने यादवेंद्र के भाई अजय यादव को पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
श्रीमंत विरोधी रहा है परिवार
यादवेंद्र के पिता राव देशराज की श्रीमंत से कभी पटरी नहीं बैठी। देशराज, श्रीमंत का खुलकर विरोध करते रहे। 2016 में उनका निधन हो गया था। वर्ष 2020 में श्रीमंत के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही यादव परिवार के सदस्यों को कांग्रेस अपनी तरफ जोड़ने के प्रयास में लगी थी। उनके पिता अशोकनगर के अमरोद गांव के निवासी थे। वे अविभाजित गुना जिले के दो बार भाजपा जिलाध्यक्ष रहे। तीन बार उन्हें मुंगावली से भाजपा के टिकट पर विधायक चुना गया। 1990 में पहली और 1998 में दूसरी बार वह विधायक चुने गए थे। 2008 में वे तीसरी बार विधायक चुने गए थे। दो बार उन्हें लोकसभा का चुनाव भी लड़ने का मौका मिला। देशराज सिंह यादव की पत्नी भाई साहब यादव जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी बहू रीना यादव जिला पंचायत की सदस्य रह चुकी हैं। बेटे अजय सिंह यादव कृषि उपज मंडी अशोकनगर के अध्यक्ष रह चुके हैं।
श्रीमंत पर हुए हमलावर
कांग्रेस में शामिल होने के बाद यादव द्वारा श्रीमंत पर हमला करना शुरू कर दिया गया है। उनका कहना है कि मेरे पिता ने भाजपा को खड़ा करने में बहुत मदद की। हमारे परिवार ने भाजपा की सेवा की, लेकिन श्रीमंत के भाजपा में आते ही अशोकनगर जिले में पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होने लगी। अशोकनगर में एसटी/एससी की जमीनों पर कब्जा कर ली गई। भ्रष्टाचार बढ़ गया है। अब भाजपा की विचारधारा नहीं बची है। सभी अपना पेट भरने में लगे हुए है। अशोक नगर में डेढ़ से दो किमी की कॉलोनी काटी जा रही है। हमारे लोगों पर झूठे केस लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। यादवेंद्र यादव को कांग्रेस में लाने में मुख्य भूमिका चंदेरी से कांग्रेस विधायक गोपाल सिंह चौहान ने निभाई। हालांकि दोनों के परिवार के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही है। अब दोनों दुश्मनी भूलकर साथ आ गए। बता दें मुंगावली गुना संसदीय क्षेत्र में आता है। पिछले लोकसभा चुनाव में गुना में बीजेपी के केपी यादव ने श्रीमंत को हराया था।
पुराना भाजपाई परिवार
यादवेंद्र के छोटे भाई अजय प्रताप सिंह यादव इस समय निगम उपाध्यक्ष एवं राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त हैं। जबकि, इनकी मां बाई साहब यादव पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। यादवेंद्र सिंह के पिता राव देशराज सिंह भाजपा के टिकट पर छह बार विस का चुनाव पड़ चुके हैं। यादवेंद्र सिंह जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे हैं एवं पार्टी में संगठन में उपाध्यक्ष पद पर रहे हैं। राव परिवार की मुंगावली क्षेत्र में खासी पकड़ मानी जाती है। उनकी मां भी एक बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। इसके अलावा संगठन एवं दूसरे पदों पर भी इस परिवार के लोगों का दबदबा लंबे समय से जिले में रहा है।