विभागीय अधिकारियों के रुचि न लेने से हजारों की संख्या में शिकायतें लंबित.
भोपाल/मंगल भारत। मप्र में लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान करने के लिए सरकार ने जनसुनवाई की व्यवस्था शुरू की थी। सरकारी निर्देशानुसार हर मंगलवार को सभी विभागों में जनसुनवाई अनिवार्य है। लेकिन अब विभागों में जनसुनवाई बंद हो गई है। केवल कलेक्टर जनसुनवाई कर रहे हैं। ऐसे में परेशान लोग अब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर रहे हैं। इस कारण सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण में भी विभाग रुचि नहीं ले रहे हैं।
मप्र सीएम हेल्पलाइन लोगों की समस्या के निराकरण का सबसे बड़ा प्लेटफार्म है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की अभी तक इस पर 2,15,57,556 शिकायतें दर्ज की गई हैं। जिनमें से 2,11,13,615 का निराकरण किया जा चुका है। स्थिति यह है कि विभागों की सुस्ती और लापरवाही के कारण छोटी-छोटी बातों की शिकायत भी लोग सीएम हेल्पलाइन में कर रहे हैं। इससे शिकायतों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।
विभागों की अब रुचि नहीं
दरअसल, प्रदेश में हर हफ्ते होने वाली जनसुनवाई में विभाग अब रुचि नहीं ले रहे हैं। स्थिति यह है कि संभागीय और विभागीय मुख्यालयों में होने वाली जनसुनवाई लगभग बंद हो गई है। भोपाल स्थिति किसी भी विभाग में जन चौपाल या जनसुनवाई आयोजित नहीं होती है, जिसके चलते फरियादी परेशान हो रहे हैं। यद्यपि, लोगों ने इसके विकल्प के रूप में सीएम हेल्पलाइन को सुनवाई का माध्यम बना लिया है, लेकिन विभागीय अधिकारियों के रुचि न लेने से हजारों की संख्या में शिकायतें लंबित हैं। जनसुनवाई केवल जिलों तक सीमित होकर रह गई है। जिले में कलेक्टर जनसुनवाई कर रहे है और लोगों की शिकायतें सुनकर उनका निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ऐसे प्रकरण जिनमें विभागीय स्तर पर कार्रवाई होनी है उनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके चलते फरियादी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर रहे हैं। इसके अलावा भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के अंतर्गत सीपीग्राम (केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) पोर्टल पर शिकायतें की जा रही हैं।
सर्वाधिक शिकायतें बिजली की
अगर मार्च माह की शिकायतों का आकंलन करें तो प्रदेश में सबसे अधिक शिकायतें बिजली से संबंधित होती हैं। मार्च में सर्वाधिक शिकायतों वाले विभाग में ऊर्जा की 59,414, नगरीय विकास एवं आवास की 45,359, पंचायत एवं ग्रामीण विकास की 42,128, राजस्व की 36,375, गृह की 32,801, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी की 27,004, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की 25,756, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण की 20,154, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण की 13,153, महिला एवं बाल विकास की 8013, परिवहन की 5949, श्रम की 5546, सामान्य प्रशासन की 5528, स्कूल शिक्षा की 5002 और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण की 3330 शिकायतें हुई हैं।