वचन पत्र में 10 लाख कर्मचारियों को साधने की कोशिश…
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर वर्ग को साधने में जुट हुई है। इसी कड़ी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का फोकस प्रदेश के कर्मचारियों पर है। कांग्रेस की कोशिश है कि प्रदेश के करीब 10 लाख कर्मचारियों को अपने पाले में लाया जाए। इसके लिए कांग्रेस आंदोलनरत कर्मचारी संगठनों के साथ खड़ी नजर आ रही है। वहीं इनके लिए वचन पत्र भी तैयार कर रही है। वचन पत्र में कर्मचारियों की मांगें पूरी करने के वादे किए जा रहे हैं।
दरअसल, कमलनाथ मप्र के कर्मचारियों को साधने में जुटे हैं। इसके लिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले कई बड़े आयोजन करने की तैयारी में है, जबकि कमलनाथ ने विधानसभा कर्मचारियों के मुद्दों को कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल करने के निर्देश भी दे दिए हैं। इसके लिए वचन पत्र समिति के अध्यक्ष के साथ कर्मचारी संगठनों की एक बड़ी बैठक भी होगी, जिसमें कर्मचारी अपने सभी मुद्दों को रखेंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा मुद्दों को वचन पत्र में शामिल करवाया जा सके। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने वचन पत्र में कर्मचारियों के मुद्दों को शामिल किया था। जबकि खुद कमलनाथ ने कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकें की थी, जिसका फायदा चुनाव के नतीजों में भी दिखा था। ऐसे में कांग्रेस 2023 में भी वहीं रणनीति पर चलने की तैयारी में हैं।
सरकार बनते ही शुरू करेंगे पदोन्नति
कांग्रेस ने दावा किया है कि प्रदेश में उनकी सरकार बनते ही सभी वर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों की तत्काल पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श कर नया पदोन्नति नियम बनाया जाएगा। इसमें ऐसे प्रविधान रखे जाएंगे, जो सभी वर्गों को मान्य हों। कर्मचारी आयोग को नया स्वरूप दिया जाएगा और कर्मचारियों के कल्याण से जुड़ी मांगों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही होगी। इसे वचन पत्र में शामिल किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में पदोन्नति नियम 2002 को उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा निरस्त किए जाने के बाद से पदोन्नतियां बंद हैं। हजारों अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नत हुए बिना ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसको लेकर कर्मचारी समय-समय पर नाराजगी भी जता चुके हैं। इसे देखते हुए शिवराज सरकार ने नए पदोन्नति नियम बनाने के लिए गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में समिति भी गठित की है। इसने सभी कर्मचारी संगठनों से चर्चा करने के बाद नए नियमों का प्रारूप भी तैयार कर लिया है, पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। हालांकि, विकल्प के तौर पर उच्च पदों का प्रभार देने की व्यवस्था लागू की गई है। गृह और जेल विभाग में पदोन्नति के लिए पात्र हो चुके अधिकारियों- कर्मचारियों को उच्च पदों का प्रभार दिया गया है। सहकारिता विभाग ने भी सेवा भर्ती नियमों में संशोधन करके इसे लागू करने की तैयारी कर ली है। राजस्व विभाग ने नायब तहसीलदार, तहसीलदार को भी उच्च पद का प्रभार देने के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करवा ली है लेकिन कर्मचारी स्थायी समाधान चाहते हैं। कांग्रेस कर्मचारियों से जुड़े सभी मुद्दों को भुनाना चाहती है, इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा कर चुके हैं। इसके अलावा सभी वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति भी तत्काल प्रारंभ की जाएगी। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से नए पदोन्नति नियम तैयार कराए जाएंगे।
कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण रहेगी प्राथमिकता
वचन पत्र समिति के सदस्य और पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि कर्मचारियों का हित शुरुआत से हमारी प्राथमिकता में रहा है। कर्मचारी आयोग का गठन कमलनाथ सरकार ने ही किया था। इसे नया स्वरूप दिया जाएगा। पुरानी पेंशन की बहाली के साथ सात वर्ष से बंद कर्मचारियों की पदोन्नति फिर प्रारंभ की जाएगी। इसके लिए सरकार बनते ही वरिष्ठ अधिवक्ताओं से नए नियम बनाकर लागू किए जाएंगे। बता दें कि प्रदेश में स्थायी और अस्थायी 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं, जो अपने कई मुद्दों को लेकर मुखर रहते हैं, इसको लेकर कई मुद्दों को लेकर आस्थाई कर्मचारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस इन कर्मचारियों के साथ बैठक कर कर्मचारियों की हितैषी बनने की कोशिश करेगी और 2023 के लिए तैयार हो रहे कांग्रेस के वचन पत्र के लिए भी इनसे सुझाव लिया जाएगा। यही वजह है कि कांग्रेस इस वर्ग पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। उधर, सरकार भी कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान में जुट गई है। मुख्यमंत्री कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से अगले माह संवाद करेंगे। इसके लिए सभी संगठनों से दो-दो प्रतिनिधियों के नाम मांगे जा चुके हैं। वहीं, कर्मचारी आयोग ने कुछ संवर्गों की वेतन विसंगति को दूर करने संबंधी रिपोर्ट भी सरकार को दे दी है। अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में संशोधन हो चुका है, तो पेंशन नियम में संशोधन का प्रारूप तैयार है, जिसे मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद लागू कर दिया जाएगा।