अब श्रीमंत भी बने मुआवजे के लिए पक्षकार.
ग्वालियर शहर में तीन दशक पहले बने एजी ऑफिस पुल की जमीन के बदले 7 करोड़ रुपए मुआवजा मांगने की कानूनी लड़ाई में अब श्रीमंत भी पक्षकार होंगे। शासन की आपत्तियां खारिज करते हुए न्यायालय ने बीते रोज कमलाराजे चेरिटेबल ट्रस्ट का आवेदन स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने श्रीमंत और उनके परिजनों सहित छह ट्रस्टियों को 12 मई तक पक्षकार बनाने का आदेश दिया। बाकी लोगों में श्रीमंत की मां व ट्रस्ट की चेयरमैन माधवीराजे सिंधिया, पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया, बेटा महानआर्यमन सिंधिया, मृणालिनी सिंह और के भास्करन शामिल हैं। ट्रस्ट ने न्यायालय में आवेदन देकर इन्हें पक्षकार बनाने की मांग की थी। शासन ने इसका विरोध किया था, लेकिन न्यायालय ने दलीलें नहीं मानी।
विधायक को मांगनी पड़ी माफी
चुनावी साल में संगठन की नसीहत के बाद भी भाजपा के माननीय अपनी ढपली अपना राग अलापने से पीछे नही रह रहे हैं। ऐसा ही एक मामला इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें कोलारस से बीजेपी विधायक वीरेंद्र रघुवंशी और रन्नौद मंडल अध्यक्ष अवध बोहरे के बीच बातचीत का ऑडियो है, जिसमें वह भाजयुमो के जिलाध्यक्ष नवनीत सेन के बारे में जातिसूचक शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। आडियो सामने आने के बाद सेन समाज ने विधायक का पुतला फूंक दिया। वहीं शिवपुरी में भी विरोध-प्रदर्शन की तैयारी है। इसके बाद विधायक को इस मामले में माफी मांगनी पड़ गई है। विधायक ने वीडियो जारी कर कहा कि मेरे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष नवनीत सेन बीते डेढ़ साल से पार्टी और मेरे खिलाफ इलाके में काम कर रहे हैं। इसे मैं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संज्ञान में पहले ही ला चुका हूं। मेरे वायरल ऑडियो में जो बात निकली है वह नवनीत सेन के लिए है। मैं आप सभी सेन समाज से माफी मांगना चाहता हूं।
जयवर्धन सिंह चलाएंगे ऑपरेशन भाजपा
मध्य प्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ऑपरेशन भाजपा चलाने जा रही है। इसकी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के मंत्री पुत्र जयवर्धन सिंह को दी गई है। यह जिम्मा उन्हें तब सौंपा गया है, जबकि भाजपा नाराज और असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं से परेशान है। ऐसे में कांग्रेस अब नई भाजपा को टक्कर देने के लिए उस क्षेत्र की पुरानी भाजपा को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। इसमें अधिकतर ग्वालियर-चंबल की सीटें हैं और यह श्रीमंत का गढ़ है। दरअसल श्रीमंत के इलाके में कांग्रेस को भाजपा में जाने के बाद उन सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस 2023 के चुनाव में भाजपा के नाराज नेताओं को टिकट दे सकती है। जिनका क्षेत्र में जनाधार है।
फिर चर्चा में जीतू पटवारी
राऊ से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी एक बार फिर चर्चा में हैं। इसकी वजह है बैंक ऑफ बड़ौदा की नौलखा शाखा से वेयरहाउस के लिए सवा आठ करोड़ के संयुक्त लोन में उन्होंने अपना नाम महेश उर्फ जितेंद्र पटवारी लिखाया जाना। 2018 के चुनाव में दाखिल नामांकन पत्र में नाम जितेंद्र ही दर्ज है। हालांकि नामांकन में इस लोन का भी जिक्र किया था। जिसे अब तक चुकाया नहीं गया है। इसकी वजह से अब कोर्ट ने वेयरहाउस और लोन के लिए बंधक संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए हैं। लोन लक्ष्य वेयर हाउस एवं पार्टनर्स के नाम पर है। पार्टनर्स में महेश उर्फ जितेंद्र पिता रमेश चंद्र पटवारी, भारत पटवारी, रजनीश पटवारी एवं कुलभूषण पटवारी के नाम हैं। लोन में ये ही लोग जमानतदार भी हैं। पटवारी का कहना है कि मेरे घर का नाम महेश है। परिवार की संयुक्त मालिकाना हक वाली जिस जमीन पर यह वेयरहाउस बना हुआ है, उसमें मेरा घर का नाम महेश दर्ज था। इसलिए वहां महेश उर्फ जितेंद्र लिखा। बाद में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया कर चुका हूं।