भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। जिस भवन से सरकारी
योजनाओं के संचालन से लेकर शासन तक चलाया जाता है, उसी भवन की अगर तीसरी आंख एक दो नहीं बल्कि छह माह से बंद हो तो समझा जा सकता है कि सुरक्षा में किस हद तक लापरवाही की जाती है। जी हां हम बात कर रहे हैं, मंत्रालय यानि की वल्लभ भवन की। यह वो भवन है जहां पर सूबे के सभी आला अफसरों से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री के कार्यालय हैं। इस मामले में नौकरशाहों की लापरवाही इससे समझी जा सकती है कि वल्लभ भवन क्रमांक-एक में कैमरे की देखरेख का जिम्मा जिस कंपनी के पास था, उसका अनुबंध बीते साल समाप्त होने के बाद से सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर अब तक टेंडर प्रक्रिया में ही उलझे हुए हैं। जबकि ऐसे गंभीर सुरक्षा के मामले में टेंडर की प्रक्रिया ठेका अवधि समाप्त होने से पहले ही पूरी कर लेनी चाहिए थी। हालांकि वल्लभ भवन एनेक्सी क्रमांक 2 एवं 3 के कैमरे चल रहे हैं। इनकी देखरेख का काम दूसरी कंपनी के पास है। मंत्रालय में सुरक्षा से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाओं का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग सम्हालता है। दरअसल मंत्रालय सुरक्षा में लगे पुलिस अफसर एवं कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। परिसर में लगे कैमरों का रख- रखाव भी इसी विभाग के पास है। मंत्रालय (पुराना भवन) में सामान्य प्रशासन विभाग से लेकर कई प्रमुख विभाग हैं। मंत्रालय का आईटी कार्यालय भी इसी भवन में है। बैंक, डाकघर एवं अन्या प्रमुख कार्यालय भी इसी भवन में हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर मंत्रालय की सुरक्षा को लेकर कतई गंभीर नहीं है। खास बात यह है कि कैमरे खराब होने की बात को सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी स्वीकार भी नहीं रहे हैं, जबकि सुरक्षा अधिकारी ने कैमरे खराब होना स्वीकार किया है। मंत्रालय में चोरी एवं मारपीट की घटनाओं की जांच रिपोर्ट में भी कैमरे खराब होने का मामला पहले भी सामने आ चुका है।
मंत्रालय में हो चुकी चोरी
मंत्रालय की तीसरी मंजिल से योजना एवं सांख्यिकी विभाग के अनुभाग अधिकारी रविन्द्र कुरारिया का मोबाइल भी चोरी हो चुका है। इसकी शिकायत उन्होंने भोपाल पुलिस एवं मंत्रालय सुरक्षा अधिकारी से की। मोबाइल का कोई पता नहीं चला है। इसी तरह मंत्रालय में कर्मचारियों को धमकाने एवं मारपीट का मामला भी सामने आ चुका है। घटना की जांच के लिए जब सीसीटीवी फुटेज मांगे गए तो सुरक्षा अधिकारी ने कैमरे खराब होने की वजह से फुटेज देने से इंकार कर दिया था।