कांग्रेस ने विंध्य-महाकौशल की… 68 सीटों पर झोंकी ताकत

दिग्गज नेताओं को प्रभार देकर मैदान में उतारा.

अब जबकि विधानसभा चुनाव के लिए कुछ महिने ही शेष रह गए हैं, ऐसे में कांग्रेस ने सूबे के दो प्रमुख अंचल विंध्य और महाकौशल में पूरी ताकत झोंक दी है। इसकी वजह है बीते आम विधानसभा चुनाव के परिणाम। तब महाकौशल ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी, जबकि इसके उलट विंध्य अंचल में खराब प्रदर्शन की वजह से ही कांग्रेस पूर्ण बहुमत से दूर रह गई थी। इन दोनों ही अंचलों में कुल मिलाकर 68 सीटें आती हैं। इनमें से कांग्रेस के पास कुल मिलाकर 30 सीटें हैं। इन सीटों में सर्वाधिक 24 सीटों का आंकड़ा महाकौशल अंचल का शामिल हैं। विंध्य अंचल में तो पार्टी का कितना खराब प्रदर्शन रहा था ,इससे ही समझा जा सकता है कि अंचल की तीस सीटों में से कांग्रेस को महज छह सीटें ही मिल सकी थीं। फिलहाल यही वजह है कि इस बार प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने पार्टी के बड़े नेताओं को इन दोनों ही अंचलों की अलग-अलग सीटों की जिम्मेदारी प्रदान कर दी है। यह नेता जहां अपने प्रभार वाले जिलों में संगठनात्मक कसावट लाने का काम करेंगे तो वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को भी अभी से चुनाव के लिए सक्रिय करने का भी काम करेंगे। इसके अलावा पार्टी ने इन्हें कुछ लक्ष्य भी दिए हैं। मसलन, जिन सीटों पर पार्टी 4 से 5 बार से लगातार चुनाव हार रही है वहां, पहले प्रत्याशी तय करने की रणनीति के अलावा ऐसी सीटों को भी चिन्हित किया गया है, जहां पर 2018 के चुनाव में पार्टी को 5 हजार से कम मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था, उन सीटों पर अतिरिक्त रूप से ध्ण्यान दिया जा रहा है। वैसे तो प्रदेश में ऐसी कई सीटें हैं लेकिन,अकेले विंध्य में ही 30 में से 8 सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी को 5 हजार से कम मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था। इन 8 सीटों में सतना की 3, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और उमरिया की 1-1 हैं। इसी तरह से महाकौशल इलाके में कई सीटें इसी तरह की हैं। इन सीटों को अब अपने पाले में लाने की रणनीति कांग्रेस द्वारा तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इन सीटों में पार्टी अपना चुनाव कैंपेन अन्य सीटों के मुकाबले पहले शुरू कर देगी। दिग्विजय सिंह विंध्य की कुछ सीटों पर सेक्टर और मंडलम की बैठकों के बाद कार्यकर्ताओं का फीडबैक कमलनाथ को दे चुके हैं। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने बीते दिनों विंध्य का दौरा किया था। दौरे के क्रम में दिग्विजय सिंह रीवा और सतना जिले की हारी हुई विधानसभा सीटों पर पहुंचे थे। दिग्विजय को इन सीटों की जमीनी हकीकत और कार्यकर्ताओं का फीडबैक लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस माह दिग्विजय सिंह हार वाली अन्य सीटों पर भी पहुंचेंगे।
किसे कहां का दिया गया प्रभार
डॉ. गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष को शहबाल, अनूपपुर , उमरिया एवं जबलपुर, सुरेश पचौरी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का रीवा, सीधी, सिंगरौली एवं कटनी, जीतू पटवारी को सतना, पन्ना, दमोह एवं रायसेन का जबकि ,तरुण भनोत को डिंडौरी, बालाघाट, सिवनी, मंडला, नरसिंहपुर और सज्जन सिंह वर्मा को छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, नर्मदापुरम का प्रभार दिया गया है।
बनाया पांच बिंदुओं का कार्यक्रम
फाइव पॉइंट प्लान के मुताबिक कांग्रेस बीजेपी का गढ़ बन चुकी सीटों पर सक्रिय और लोकप्रिय चेहरों का चयन पहले कर रही है, ताकि चुनाव से पहले उम्मीदवारों को इलाकों में पहुंचने का पर्याप्त समय मिल सके। इन सीटों का पर्यवेक्षक भी पर्याप्त समय देनेवाले प्रदेश पदाधिकारियों को बनाया गया है। इसी वजह से रीवा और सतना में पूरे समय दिग्विजय सिंह के साथ पर्यवेक्षक रहे। कांग्रेस को मजबूत स्थिति में लाने के लिए जातीय समीकरणों को भी टटोला गया है। इस पांच बिंदुओं के तहत कांग्रेस स्थानीय मुद्दों की पहचान कर घोषणा पत्र तैयार करेगी। वर्तमान विधायक के खिलाफ नाराजगी का मूल्यांकन कर माहौल बनाना, हारी हुई सीटों पर जातीय समीकरण के हिसाब से उम्मीदवार चयन में प्राथमिकता देना , कांग्रेस सवा साल के कार्यकाल को भुनाने पर फोकस करना और महंगाई- बेरोजगारी सहित सत्ता विरोधी लहरों पर जन आंदोलन खड़ा करना शामिल है।
3 नेताओं को विंध्य के 7 जिलों की जिम्मेदारी
मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने संगठन की दृष्टि से प्रदेश को 16 भागों में बांट कर पार्टी नेताओं को जिलों का दायित्व सौंपा है। इन 16 नेताओं को 3 से 4 जिलों का संगठनात्मक प्रभार दिया गया है। इसी कड़ी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष, पूर्व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष समेत 3 नेताओं को विंध्य के 7 जिलों का संगठनात्मक दायित्व सौंपा गया है। जबकि विंध्य से आने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल व पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को अन्य जिलों का संगठनात्मक दायित्व दिया गया है।