कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि मप्र में भी अब बड़े पैमाने पर सत्ता व संगठन में परिवर्तन होगा, लेकिन अलाकमान ने इस मामले में अब विराम लगा दिया है। दरअसल प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव होने में महज छह माह का ही समय रह गया है। कांग्रेस कमलनाथ की अगुवाई में फिर से चुनावी जंग फतह करने का सियासी तानाबाना बुन रही है तो बीजेपी ने भी कमलनाथ को मात देने के लिए खास प्लान बना लिया है। इसके तहत मप्र में पीएम नरेन्द्र मोदी मोदी के नाम और काम, शिवराज सिंह चौहान के चेहरे, हिंदुत्व के एजेंडे के फॉर्मूले के सहारे मध्य प्रदेश में चुनाव जीतने का रोडमैप बीजेपी ने तैयार लगभग कर लिया है। इसको मैदानी स्तर पर अंजाम देने का जिम्मा मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के पास ही रहेगा। यानि की यह तय है कि अब इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को शिव व वीडी ही पार्टी को लड़ाएंगे। इस बार भी शिवराज की छवि का मेकओवर कर बीजेपी उन्हें आगे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है कि शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा जाएगा और पार्टी ने उन्हें अपनी छवि को पूरी तरह से बदलकर मतदाताओं को पहुंचने का खाका तैयार किया है। शिवराज की एमपी में मामा वाली छवि का पूरा इस्तेमाल किया जाएगा। इस लोकप्रियता के दम पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश रहेगी, क्योंकि पार्टी में फिलहाल शिवराज के जैसा कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जिसे पार्टी आगे कर चुनावी मैदान में उतर सके। इसीलिए बीजेपी शिवराज के चेहरे पर ही दांव लगाना बेहतर समझ रही है। बीजेपी का बूथ प्रबंधन मध्य प्रदेश में पार्टी गुजरात मॉडल वाला फॉर्मूला अपनाएगी। एमपी में बीजेपी ने 65 हजार बूथों पर सघन संपर्क की रणनीति तैयारी की है। इसके तहत 65 हजार बूथ कमेटियों के सदस्यों से सीधा संवाद कार्यक्रम चल रहा है। पार्टी ने हर बूथ समिति को मतदाता सूची, पिछले दो विधानसभा और दो लोक सभा चुनावों के उस बूथ पर परिणामों का विश्लेषण किया है और साथ ही,हर बूथ पर राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की सूची भी सौंपी है, ताकि उनसे सीधा संपर्क साधा जा सके। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने हर बूथ समिति को उस बूथ पर प्रभावी व्यक्तियों की पहचान करने और उनसे संपर्क करने को कहा है, जो मतदाताओं पर असर डाल सके। इसके लिए टीम वीडी लगातार मैदानी स्तर पर सक्रिय भी है। लिया चुनावी तैयारियों पर फीडबैक मप्र भाजपा कार्यसमिति की बैठक 19 मई को हो रही है इसके ठीक पहले प्रदेश संगठन को दिल्ली में मिशन 2023 के लिए सीख मिली है। राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ बीते रोज दिल्ली में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित शीर्ष नेतृत्व की बैठक हुई, जिसमें विधानसभा चुनाव की तैयारियों का फीडबैक लिया गया। सूत्रों की माने तो बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर चर्चा हुई है। जिसमें पूर्व मंत्री दीपक जोशी के भाजपा छोडऩे के कारणों और अन्य दूसरे नेताओं की नाराजगी के बारे में रिपोर्ट में जानकारी दी गई है। बताया गया है कि बीएल संतोष से मिले मंत्र को प्रदेशाध्यक्ष कार्यसमिति की बैठक के जरिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं तक पहुंचाएंगे। सूत्रों की माने तो प्रदेश के कुछ जिलों में संगठनात्मक गतिविधियों में निष्क्रियता और कुछ पदाधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों के प्रति उदासीनता की बात भी सामने आई है। इसके लिए प्रदेशाध्यक्ष को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए है। विधायकों की अलग से होगी बैठक जानकारी के अनुसार प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में विधायकों की अलग से बैठक होगी। इसके लिए विधायकों की अलग-अलग टोली बनाई जाएगी। इसमें ऐसे विधायक जिनकी क्षेत्र में पकड़ कमजोर हुई है, उनके साथ अलग से बैठक कर स्थिति कैसे मजबूत हो, इस पर चर्चा की जाएगी। प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक के तत्काल बाद कोर ग्रुप की बैठक भी होगी। इसके चलते इस दौरे के जरिए आगे के पार्टीगत समीकरण तय होंगे। कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने के बाद अब मध्यप्रदेश पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का फोकस है। इस कारण वीडी ने दिल्ली पहुंचकर वरिष्ठ नेताओं से मिलकर आगे की सियासी रणनीति को समझा और प्रदेश संगठन में अब विधानसभा चुनाव की दृष्टि से दूसरे-तीसरे स्तर पर कई बदलाव किए जाने हैं। इसके पहले वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करके आगे की रणनीति तय की जानी है। माना जा रहा है इसी सिलसिले में वीडी ने सलाह ली है। पीएम मोदी का नाम बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम को लेकर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने का रोडमैप तैयार किया है। देश में ब्रांड मोदी की चमक अभी भी बरकरार है और बीजेपी की यही सबसे बड़ी ताकत है। इसीलिए बीजेपी पीएम मोदी के नाम, काम और चेहरे पर चुनाव लड़ती है और वोट मांगती हैं। पीएम मोदी भी चुनावी फिजा को अपने मुताबिक मोडऩा जानते हैं और हारती हुई बाजी को जीत में तब्दील करने का हुनर रखते हैं। केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए लाभार्थियों का एक नया वोटबैंक बीजेपी ने तैयार किया है तो महिलाओं के बीच भी पीएम मोदी का अपनी लोकप्रियता है। बीजेपी पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लडक़र उनकी लोकप्रियता को भुनाने की कवायद कर रही है। बीजेपी की नो रिपीट थ्योरी बीजेपी मध्य प्रदेश में भी नो रिपीट थ्योरी के फॉर्मूले को आजमाने की तैयारी में है। मोदी-शाह के इस अचूक प्लान से पार्टी गुजरात में तीन दशक से सत्ता में लगातार बनी हुई है। बीजेपी अब मध्य प्रदेश के चुनाव में भी सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए अपने कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। बीजेपी टिकट बंटवारे में सिर्फ और सिर्फ जीतने की क्षमता रखने वाले नेताओं पर ही दांव लगाएगी। सूत्रों के अनुसार, पार्टी कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को उतारा जा सकता है। मध्यप्रदेश में मौजूदा जिन विधायकों के खिलाफ उनके ही क्षेत्र में माहौल सही नहीं है या फिर जिनकी उम्र 70 प्लस हो रही है, उन विधायकों की जगह नए चेहरे को टिकट दिए सकते हैं। बीजेपी के हिंदुत्व की काट कोई भी पार्टी तलाश नहीं सकी है। बीजेपी के लिए सियासी तौर पर यह मुद्दा काफी मुफीद माना जाता है। ऐसे में बीजेपी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देगी। उज्जैन में महाकाल कॉरीडोर और तीर्थ दर्शन जैसी अन्य धार्मिक योजनाओं को उपलब्धि के तौर पर चुनाव में पेश करने का प्लान बनाया गया है

मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान समाप्ति का इंतजार.

प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने की तैयारी में है। इसमें आईएएस के साथ ही बड़े पैमाने पर आईपीएस अफसरों की भी नए सिरे से पदस्थापनाएं की जाएंगी। इसके लिए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के दूसरे चरण की समाप्ती का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच राप्रसे के अफसरों की आईएएस के लिए डीपीसी भी हो जाएगी और रापुसे के अफसरों के आईपीएस बनने के लिए हो चुकी डीपीसी के बाद नोटिफिकेसन भी जारी हो जाएगा। दरअसल इन पदोन्नत होने वाले अफसरों की भी नए सिरे से पदस्थापनाएं करनी ही है, साथ ही कुछ प्रमुख सचिवों, सचिवों समेत एक दर्जन कलेक्टरों की भी नए सिरे से पदस्थापनाएं प्रस्तावित हैं। दरअसल इन दिनों प्रदेश में मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान का दूसरा चरण चल रहा है। इस अभियान के समाप्त होने के बाद मैदानी स्तर पर पदस्थ आईएएस और आईपीएस अफसरों का फरफॉरमेंस का आंकलन भी किया जाएगा। इस अभियान में अच्छा काम नहीं करने वाले अफसरों को भी बदला जाएगा। इस फेरबदल को चुनाव से पहले अंतिम सर्जरी के रुप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अफसरों की नए सिरे से पदस्थापना किए जाने को लेकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रमुख सचिव जीएडी (कार्मिक) दीप्ति गौड़ मुकर्जी के बीच दो तीन बार मंथन किया जा चुका है। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के दूसरे चरण में 67 प्रकार की सेवाओं संबंधी प्राप्त आवेदनों और सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण को कलेक्टर की परफॉरमेंस से जोड़ा जाएगा। इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले कलेक्टरों को जिले से हटा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री बार-बार कलेक्टरों समेत अन्य अफसरों को जन सेवा अभियान में प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लेने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। इसके अलावा ऐसे कलेक्टर जो एक ही जिले में तीन साल से ज्यादा समय से पदस्थ हैं, उन्हें भी हटाया जाना है। इनमें से कुछ को मंत्रालय में पदस्थ किया जा सकता है और अच्छा काम करने वाले कलेक्टरों को एक जिले से हटाकर दूसरे जिलों में भी पदस्थ किया जा सकता है।
बैंस ही रहेंगे सीएस
मप्र के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है। नए सीएस को लेकर कोई हलचल नहीं होने से यह तय माना जा रहा है कि उन्हें एक बार फिर से सेवा वृद्धि मिलेगी और वे ही चुनाव होने तक प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया बने रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अब तक सीएस इकबाल सिंह बैंस का सेवा वृद्धि का प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। हालांकि प्रदेश में छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्य सचिव बैंस को दूसरी बार सेवा वृद्धि मिलना तय माना जा रहा है। इससे पूर्व बैंस को 30 नवंबर, 2022 को रिटायरमेंट के दिन ही छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया था, जिसकी अवधि 31 मई को समाप्त होगी।
33 अफसर बनेंगे आईएएस
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के लिए कल19 मई को विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होगी। यह डीपीसी दो सालों की एक साथ हो रही है। राप्रसे से आईएएस के लिए वर्ष 2021 और 2022 के पदों के लिए डीपीसी होना है। डीपीसी में पदोन्नति के लिए जिन अफसरों के नामों पर विचार किया जाएगा, उनमें विवेक सिंह, पंकज शर्मा, सुनील दुबे, राजेश जैन, जयेंद्र विजयवत, प्रमोद शुक्ला, गजेंद्र सिंह नागेश, प्रताप नारायण यादव, सरोधन। सिंह, अनुराग सक्सेना, मल्लिका निगम सोलंकी, मंजूषा राय, संघमित्रा गौतम, संजना जैन, सुचिस्मिता सक्सेना, कीर्ति नागवंशी, कमल नागर, डीके नागेंद्र, मनोज सरयाम, डीपी वर्मा, जीएस धुर्वे, अहिरवार, कमलेश भार्गव, अभय सिंह ओरिया, संदीप केरकेट्टा, अंजलि जोसफ, रेखा राठौर, नवीत धुर्वे, सोजान सिंह रावत, वंदना शर्मा, अर्चना सोलंकी, नंदा भलावी, अनिल दामोदर, सविता झारिया, सारिका भूरिया, कमल सोलंकी, जितेंद्र सिंह चौहान सहित 57 अफसर शामिल हैं। आईएएस अवार्ड के बाद इनकी भी नई पदस्थापना करनी होगी।
तबादलों से प्रतिबंध को लेकर असमंजय
बीते माह से ही प्रदेश में अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादलों से प्रतिबंध हटाने के कयासों को दौर चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक कर्मचारियों की नई ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर ली गई है, जिसे कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए भेजा जाना है। हालांकि अब तक सरकार तबादलों से प्रतिबंध हटाने को लेकर कोई फैसला नहीं कर सकी है। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जब भी सरकार तबादलों से प्रतिबंध हटाती हैं, तो थोकबंद तबादले होते हैं और मंत्रियों पर लेन-देन के आरोप लगते हैं। इससे सरकार की छवि खराब होती है। सरकार नहीं चाहती कि चुनाव से पहले तबादलों में भ्रष्टाचार को लेकर उस पर सवाल उठें, इसलिए तबादलों से प्रतिबंध हटाने को लेकर सरकार स्तर पर विचार जारी है।