अध्यक्ष बनाया तब नहीं पता था हटाएंगे वह भी पता नहीं चलेगा

अध्यक्ष बनाया तब नहीं पता था हटाएंगे वह भी पता नहीं चलेगा.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि ,प्रदेश में अगर कोई कमीशनखोर है तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हैं। सवा साल की सरकार में ट्रांसफर उद्योग खुल गया था। शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने की अटकलों पर कहा कि जब मुझे बनाया गया था, तब भी नहीं बताया था। जब हटाना होगा, तब भी नहीं बताएंगे। जो जिम्मेदारी मिलती है, कार्यकर्ता के नाते हम उसे पूरी ईमानदारी से निभाते हैं। पद कोई मायने नहीं रखता। मैंने जब 1984 के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की भूमिका पर सवाल उठाए तो इतना घबरा गए कि मेरे पीछे लोग लगा दिए। फर्जी आरोप लगाने लगे।

आईएएस बी. चंद्रशेखर ने बदला अपना नाम
आईएएस बी. चंद्रशेखर अब समान शेखर के नाम से जाने जाएंगे। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने उनके नाम बदलने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। बीते रोज सामान्य प्रशासन विभाग ने नाम बदलने की अनुमति के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद बी. चंद्रशेखर ने ट्विटर पर भी अपना नाम बदलकर समान शेखर कर लिया है। समान शेखर की वीआरएस एप्लीकेशन भी मंजूर हो चुकी है, फिलहाल वे नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं।

भूरिया के बिगड़े बोल
पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आदिवासी विकास परिषद के कार्यक्रम में कहा कि भाजपा लोकतंत्र को खत्म करने में लगी है। प्रधानमंत्री मोदी का बस चले तो वे हिटलर और सद्दाम हुसैन बन जाएं। मोदी जहां जाते हैं, सब चैनलों पर दिखते हैं। पार्टी के किसी दूसरे नेता को आगे नहीं आने देते। यह हिटलरशाही है? भूरिया ने कहा, जैसे मोदी की दाढ़ी बढ़ रही हैं, वैसे महंगाई बढ़ती जा रही है। बीच में दाढ़ी कटवा लेते हैं, तो महंगाई कम हो जाती है। कालाबाजारियों को दाढ़ी इशारा करती है कमाओ और खाओ। इसलिए आगामी चुनाव में मोदी को उखाड़ फेंकना है। सभी आदिवासी भाई अपने-अपने जिले में संगठन को मजबूत करिए।

परीक्षा में नियमों का पालन क्यों नहीं , पूछा हाईकोर्ट ने
हाईकोर्ट ने मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से पूछा है कि एमडी व एमएस की परीक्षा संचालन में नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा है। जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा एवं जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को 5 जून को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन जबलपुर के संयुक्त सचिव डॉ. प्रतीक भदौरिया ने याचिका दायर कर बताया कि सामान्य तौर पर एमडी व एमएस का स्नातकोत्तर कोर्स 36 माह का होता है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने केवल 34 माह बाद ही परीक्षाएं आयोजित कर दी हैं, जो अनुचित है। चूंकि यह कोर्स विशेषज्ञ चिकित्सकों का है, इसलिए पाठ्यक्रम के साथ ट्रेनिंग पूरी करना अनिवार्य है।