मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनावी साल में लंबे समय से
मंत्रियों द्वारा की जा रही तबादलों पर से रोक हटाने की मांग पर इसी माह अमल किया जा सकता है। इसके लिए शासन स्तर पर एक बार फिर से तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में नई तबादला नीति का प्रारूप पेश किया जा सकता है। इसके साथ ही कैबिनेट में तबादला नीति पर स्वीकृति की मुहर लगते ही तबादलों पर लगी रोक एक पखवाड़े के लिए हटा दी जाएगी। बताया जा रहा है कि मंत्रियों से मिले सुझावों के आधार पर पूर्व में तैयार की गई नई नीति में कुछ बदलाव किए गए हैं। दरअसल प्रदेश में इस साल के शुरू से ही तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने की मांग लगातार की जा रही है , लेकिन मुख्यमंत्री को डर हैं की कहीं तबादलों को लेकर चुनावी साल में नकारात्मक माहौल न बन जाए। पिछली कैबिनेट में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से तबादलों पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया था, जिससे कि ऐसे शासकीय सेवक जिनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर तबादला किया जाना जरूरी है, उनके पदस्थापना आदेश जारी किए जा सकें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों के आग्रह पर विचार करने का भरोसा जरूर दिलाया था, लेकिन रोक हटाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं किया था। बताया जा रहा है कि अब मुख्यमंत्री ने इस मामले में सहमति दे दी है। उसके बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग भी सक्रिय हो गया है। पहले चुनावी वर्ष में तबादलों को लेकर मंत्रियों के बंगलों पर लगने वाली भीड़ और उससे मंत्रियों की होने वाली बदनामी की आशंका को देखते हुए तबादलों पर लगी रोक को बरकरार रखने की सहमति बन गई थी। विधानसभा चुनाव में अब महज छह माह का ही समय बचा है, इसके पहले प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को इधर से उधर करने का प्लान बन गया है। राज्य सरकार ने अब इसी माह के अगले पखवाड़े से सरकारी कर्मियों के तबादलों को करने की तैयारी की जा रही है। तबादलों पर से प्रतिबंध करीब एक पखवाड़े के लिए हटाया जाएगा। इस बार माना जा रहा है कि 35 से 40 हजार अधिकारी-कर्मचारी इधर से उधर होंगे। पिछले साल 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तब तबादले हुए थे। जबकि 2021 में 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच एक माह के लिए तबादलों पर से बैन हटाया गया था।
मंत्री लगातार कर रहे मांग
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में हुई अनौपचारिक बैठक में एक दर्जन मंत्रियों द्वारा कम समय के लिए ही सही तबादलों से प्रतिबंध हटाए जाने की मांग और सुझाव दिए गए थे। मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था। पिछली बार कैबिनेट बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा में भी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष जरूरी तबादलों के लिए प्रतिबंध हटाने की मांग की थी चर्चा की शुरुआत करते हुए मंत्री अरविंद भदौरिया और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मुख्यमंत्री से कहा था कि चुनावी साल में जो जरूरी है वे तबादले किए जाने चाहिए। चर्चा में लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, कृषि मंत्री कमल पटेल, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग सहित एक दर्जन मंत्रियों ने एक सुर में तबादलों से कुछ समय के लिए प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। मंत्रियों का कहना था कि प्रभारी मंत्रियों को जिलों में और विभागीय मंत्रियों के विभागों में विचारधारा से जुड़े परिवारों की जरूरत के आधार पर तबादले किए जाने चाहिए। मंत्रियों का कहना था कि भले ही कम समय के लिए प्रतिबंध हटाया जाए , लेकिन प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए । मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
विभागीय और प्रभारी मंत्रियों का दबदबा
तबादलों के प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक, राज्य संवर्ग के अंतर्गत विभागाध्यक्ष तथा उपक्रमों में पदस्थ प्रथम श्रेणी के अफसरों का तबादला समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद होगा। विभागों में पदस्थ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी अधिकारियों के ट्रांसफर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव जारी करेंगे। जिला संवर्ग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का ट्रांसफर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद होगा। इनके आदेश विभागीय जिला अधिकारी जारी करेंगे। यदि विभाग अपनी आवश्यकताओं के संबंध में अलग से तबादला नीति बनाना चाहेंगे तो उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेनी होगी। फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग और गृह विभाग में तबादलों के लिए पुलिस स्थापना बोर्ड बना हुआ है। यहां तबादलों की ऑन लाइन व्यवस्था होगी।
कितने तबादले संभावित
खाद्य एवं नापतौल विभाग में नापतौल निरीक्षक, खाद्य विभाग में खाद्य निरीक्षक, उप पंजीयकों के संवर्ग में 40 से ज्यादा ट्रांसफर नहीं होंगे। तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक संचालक, उप संचालक और एसएलआर संवर्ग में तबादलों की संख्या 100 से 200 से बीच ही होगी। आदिमजाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग में 6000 से 10 हजार अफसरों के कर्मचारियों के ट्रांसफर होंगे। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में डाक्टर, कंपाउडंर, नर्सिंग एवं अन्य स्टाफ के तबादले 4 से 5हजार के बीच हो सकेंगे। राजस्व विभाग में पटवारियों समेत अन्य कर्मचारियों के 3 से 4 हजार के बीच ट्रांसफर किए जा सकेंगे। वन विभाग में 4 से लेकर 5 हजार के बीच कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे। इनमें रेंजर से लेकर निचले स्तर तक के अफसर होंगे। उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसरों और सहायक प्राध्यापकों और अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफरों की संख्या 3 से 4 हजार होगी। अन्य विभागों में कुल 10 हजार ट्रांसफर हो सकते हैं।
मांगा जा चुका है प्रतिनिुयक्ति वालों का ब्यौरा
हाल ही में पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की संविदा इंजिनियर हेमा मीणा के यहां पड़े छापे के बाद खुलासा हुआ है कि उन्हें पूरी तरह से संरक्षण देने वाले जनार्दन ङ्क्षसह एक दशक से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैंं। इसके बाद से सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से ऐसे अफसरों की जानकारी तलब की है, जबकि विभागों को अन्य कर्मचरियों की सूची तैयार कर उन्हें वापस बुलाने के निर्देश दिए गए हैं। नियमानुसार किसी भी कर्मचारी की प्रतिनियुक्ति की अवधि तीन साल की होती है। अति आवश्यक होने पर उसमें एक साल की वृद्धि की जा सकती है, लेकिन प्रदेश मे ऐसे सकैड़ों अफसर व कर्मचारी हैं, जो एक बार प्रतिनियुक्ति पर गए तो पलट कर मूल विभाग की और देख तक नहीं रहे हैं। इसमें इंजिनियर जनार्दन का नाम भी शामिल है। लोक निर्माण विभाग ने 16 जनवरी 2007 को जनार्दन की सेवाएं पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन को सौंपी थीं। इसके बाद 19 जनवरी 2016 को जनार्दन और अन्य अधिकारियों की सेवाएं विभाग में वापस लिए जाने का आदेश जारी किया गया था , लेकिन जनार्दन ने इस पर अमल ही नहीं किया , लेकिन फिर भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद विभाग ने 13 दिसंबर 20219 को जनार्दन सिंह की पोस्टिंग चीफ इंजीनियर (ब्रिज) सेक्शन भोपाल में करने का आदेश जारी कर उन्हें पुलिस हाउसिंग से कार्य मुक्त करने को कहा लेकिन, जनार्दन ने आदेश मामने की जगह हाईकोर्ट की शरण ले ली। इस मामले के खुलासे के बाद राज्य शिक्षा केंद्र भी हरकत में आ गया है। केन्द्र द्वारा जब प्रतिनियुक्ति पर जमे अफसरों और कर्मचारियों की सूची तैयार करवाई गई तो उसमें कई अफसर व कर्मचारी ऐसे पाए गए हैं , जो बीते एक दशक से प्रतिनियुक्ति पर जमे हुए हैं।