भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। आगामी विधानसभा चुनाव
के लिए राजनीतिक दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है। इस बार सिहावल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को अपना-गढ़ बचाने की चुनौती है। पिछली बार भाजपा को शिकस्त मिली थी। लिहाजा, इस बार वह यहां कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है। इसके लिए भाजपा ने चुनावी बिसात बिछाने की कवायद शुरू कर दी है। जबकि कांग्रेस कमलेश्वर पटेल की यह सीट सुरक्षित मानती है। भाजपा को सिहावल विधानसभा क्षेत्र में कमलेश्वर पटेल को मात देने के लिए मजबूत विकल्प की तलाश है। सूत्रों की मानें तो भाजपा भी दमखम से मैदानी तैयारी में है। बड़े नेताओं का भी इसी सीट पर फोकस है। क्षेत्र में उद्योगों का अभाव, बेरोजगारी, आपेक्षित विकास न हो पाना, अवैध खनन, शिक्षा-स्वास्थ्य सबसे बड़ा मुद्दा है।
2008 में परिसीमन के बाद सीधी जिले में सिहावल नई विधानसभा सीट बनी। यहां से पहली बार भाजपा के विधायक विश्वामित्र चुने गए थे। 2013 से कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल विधायक चुने गए। वे 2018 में भी चुनाव जीते और कमलनाथ सरकार में पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे। कमलेश्वर पटेल पूर्व मंत्री स्व. इंद्रजीत कुमार पटेल के पुत्र हैं, जो सीधी से सात बार विधायक रहे। सिहावल विधानसभा क्षेत्र के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। बिजली, पानी, सडक़ के अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा के संसाधनों के लिए लड़ाई लडऩा पड़ रही है। बिजली की समस्या को लेकर स्थानीय विधायक कमलेश्वर पटेल को खुद धरना- प्रदर्शन करना पड़ा है। बहरी से अमिलिया मार्ग स्थित सोन पुल आज भी निर्माणाधीन है। शासकीय कालेज सिहावल में प्राध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए छात्र आए दिन मांग करते हैं। गर्मी के दिनों में कई गांवों में पीने की पानी की बड़ी समस्या है। इस वजह से बहरी, अमिलिया, सिहावल सहित हिनौती बाजार की रौनक गायब है।
समस्याओं की भरमार
सिहावल विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं की भरमार है। सिहावल के राजबहोर केवट कहते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है। अस्पताल का ढांचा तो बना है, लेकिन डाक्टर पदस्थ नहीं हैं। बाजार में मिले अमिलिया के राजू गुप्ता ने कहा कि तपती धूप हो या फिर सर्दी या बरसात… बहरी में खुले आसमान के नीचे यात्री बस का इंतजार करने के लिए मजबूर हैं। बहरी बाजार के नितेश गुप्ता ने कहा कि फुटपाथ पर व्यापार करने वालों ने खुद की दुकान पर सपना पूरा करने के लिए ग्राम पंचायत में पांच वर्ष पहले एक-एक लाख रुपये जमा किए मगर दुकानें नहीं मिलीं। पूर्व मंत्री और विधायक कमलेश्वर पटेल का दावा है कि बिजली, पानी और सडक़ को लेकर लगातार काम किया गया है। जिसमें सफलता भी मिली भी है। सरकारी निद्रा को तोडऩे के लिए बिजली समस्या को लेकर पदयात्रा और धरना-प्रदर्शन भी करना पड़ा है। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों में नल जल पर भी काम हो रहा है। बल्हा पोखडौर गांव में मिले वेद प्रकाश मिश्रा और अनिल तिवारी ने कहा कि युवाओं में नशाखोरी बढ़ती जा रही है और सकारी विभागों में भ्रष्टाचार । क्या करें, कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। इनका आरोप है कि दफ्तरों में बगैर रिश्वत के काम नहीं होता। गांव-गांव में दवाइयां नशे के रूप में उपयोग हो रही हैं। स्मैक का नशा भी युवाओं को जकड़ रहा है जिससे दुर्घटनाएं और अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। अमिलिया के जितेंद्र सिंह ने कहा कि क्षेत्र में काम-धंधे की बहुत ही बुरी हालत है। बेरोजगार युवक काम तलाश में पलायन कर रहे हैं।
विकास के अपने-अपने दावे
विधायक कमलेश्वर पटेल का कहना है कि सरकार की निष्क्रियता के कारण क्षेत्र में विकास प्रभावित हो रहा है। विधायक निधि का उपयोग कर विकास कार्य कराया गया है। पिछले वित्त वर्ष में स्वेच्छा अनुदान सहित करीब ढाई करोड़ रुपये सार्वजनिक बिजली, पानी, सडक़, हैंडपंप, पुल-पुलिया और नई सडक़ के लिए खर्च किया गया है। सोन नदी, नकझर नदी, बारपान नदी पर पुल निर्माण के अलावा घोघरा मंदिर में पर्यटन सुविधाओं का विकास, घर-घर पानी पहुंचाने के लिए पानी की टंकी, पाइप लाइन, बहरी में संयुक्त कार्यालय, बहरी, पहाड़ी, हिनौती, बमुरी और सुपेला में स्टेडियम स्वीकृत किया गया। ग्रामीण विकास योजना के तहत सीधी जिले की सभी ग्राम पंचायतों में सडक़ों का निर्माण, खाड़ी हटवा चितांग सडक़ का निर्माण कराया गया। 2018 में भाजपा के प्रत्याशी रहे शिव बहादुर सिंह कहते हैं कि विधायक ने क्षेत्र के विकास के लिए कोई नया कदम नहीं उठाया है। विधायक अपने चहेतों को विधायक निधि से उपकृत कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर कोई खास काम नहीं हुआ है। अगर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश की भाजपा सरकार सजग न हो तो जनता परेशान हो जाए। सोन नदी का पुराना पुल भारी वाहनों के आवागमन से क्षतिग्रस्त होने के कारण पिछले करीब छह माह से बंद है। फिलहाल यह पुल कार, जीप और इससे छोटे वाहनों के लिए खुला है। बगल में बन रहे नए पुल के निर्माण की हालत धीमी है कि लोग कहने लगे हैं कि अगले चुनाव तक बन जाए तो बहुत बड़ी बात होगी।
जातिगत समीकरण
क्षेत्र में ब्राह्मण, पटेल, साहू, गोंड़, बैगा, विश्वकर्मा, कोल, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। जो जीत-हार की राह तय करते हैं। भाजपा की कूटनीति व जातिगत समीकरण से कांग्रेस को पार पाना होगा। डमी व बागी प्रत्याशी भी चुनाव में उतारे जा सकते हैं। भाजपा में दावेदार कई है। ऐसे में बगावत व भितरघात का डर है। सांसद की गांवों से दूरी। सिहावल विधानसभा कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। पूर्व मंत्री इंद्रजीत सिंह के बाद बेटे कमलेश्वर पटेल यहां से वर्तमान विधायक हैं। पार्टी में उनके कद व परफॉर्मेंस को देखते हुए उनका टिकट सुरक्षित माना जा रहा है।