मप्र में शिव लगाएंगे एक और मास्टर स्ट्रोक!

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में अब चंद माह बाद ही


विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी वजह से सत्तारुढ़ दल भाजपा हो या कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में खजाने की माली हालत की ङ्क्षचता छोड़ दोनों दलों द्वारा आए दिन कोई न कोई नई घोषणा की जा रही र्है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता इस मामले में पीछेे नही रहने चाहते हैं। शिव सरकार द्वारा लाडली बहना योजना में एक हजार रुपए देने की घोषणा पर अमल होते ही सरकार प्रदेश की आधी आबादी यानी की महिलाओं को खुश करने के लिए जल्द ही पांच सौ रुपए में गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। माना जा रहा है कि इसकी घोषणा किसी बड़े कार्यक्रम की जाएगी। इस चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना के बाद शिवराज सिंह चौहान का यह दूसरा मास्टर स्ट्रोक लगने वाला है। यह सिलेंडर प्रदेश की उन महिलाओं को दिया जाएगा, जिन्हें लाड़ली बहना योजना का लाभ दिया जा रहा है। इसके माध्यम से सरकार की योजना प्रदेश के एक करोड़ परिवारों को साधने की है। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को एक साल में पांच सिलेंडर मिलेंगेे।
सूत्रों का कहना है कि इस योजना के लिए मुख्यमंत्री द्वारा अफसरों के साथ दो -तीन दौर की बातचीत भी हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी साल फरवरी में लाड़ली बहना योजना को शुरू किया था। इस योजना के तहत महिलाओं को सरकार एक हजार रुपए देने जा रही है। इसके तहत करीब एक करोड़ महिलाओं के खाते में बतौर शगुन एक-एक रुपया डाला भी जा चुका है। अब एक हजार रुपए प्रदेश की एक करोड़ 25 लाख के करीब महिलाओं के खाते में कल यानी की दस जून को एक क्लिक से डालने की तैयारी है। इस योजना से सरकारी खजाने पर हर साल करीब 15 हजार करोड़ रुपए का भार आएगा। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ द्वारा न केवल कांग्रेस सरकार बनने पर पांच सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा बहुत पहले की जा चुकी है, बल्कि इसके लिए पार्टी स्तर पर फार्म भी भरवाए जा रहे हैं। यही नहीं कांग्रेस द्वारा इसका व्यापक रुप से प्रचार -प्रसार भी किया जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा को भी इसको लेकर यह नई योजना लानी पड़ रही है।
भाजपा मान रही गेम चेंजर
चुनावी साल में लाड़ली बहना और गैस सिलेंडर पांच सौ रुपए में देने की योजना भाजपा के लिए गेम चेंजर बन सकती है। यह बात अलग है कि कांग्रेस इस मामले में पहले घोषणा कर बाजी मार चुकी है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार इस योजना को पहले ही लांच कर चुकी है। वही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी जनता से वादा कर रही है कि उसकी सरकार आई तो प्रदेश में गरीब परिवारों को पांच सौ रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाएगा। इसे राजनीतिक रूप से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की घोषणा की काट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2008 में लाड़ली लक्ष्मी योजना लेकर आए थे। इस योजना ने 2009 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था।
मध्यम वर्ग दे सकता है झटका
प्रदेश में शिव सरकार द्वारा लगातार गरीबों के नाम पर एक के बाद एक योजनाएं शुरु की जा रही हैं, लेकिन मध्यम वर्ग की पूछ परख तक नहीं की जा रही है। इस वजह से इस वर्ग में सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। इस वजह से माना जा रहा है कि यह वर्ग भाजपा की शिव सरकार को चुनाव में बड़ा झटका दे सकता है। मंहगाई से लेकर अन्य मामलों में जबकि यह वर्ग सर्वाधिक प्रभावित होता है। यही नहीं यह वो वर्ग है जो सरकार को तमाम तरह के करों का भुगतान करने में पूरी तरह से ईमानदार होता है। इसके बाद भी सरकार उसके द्वारा भुगतान किए गए करों से इस वर्ग को लाभ देने की जगह दूसरे वर्गों के लिए खजाना खोलने में परहेज नहीं करती है। अगर सरकार सही रुप से जांच करा ले तो प्रदेश में गरीबों की मौजूदा संख्या में 75 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
दो हजार करोड़ का आएगा भार
पांच सौ रुपए में गैस सिलेन्डर मुहैया कराने की योजना पर अमल होने से प्रदेश के खजाने पर हर साल करीब दो हजार करोड़ रुपए का भार आना संभावित है। यह सिलेन्डर देने की योजना गरीबी की रेखा से नीचे जीवन जीने वाले यानि बीपीएल परिवारों के लिए खासतौर पर बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान योजना में व्यय की जाने वाली राशि की व्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस समेत एसीएस वित्त और प्रमुख सचिव खाद्य समेत अन्य अधिकारियो से चर्चा कर चुके हैं। शुरूआती चर्चा मे इस योजना के दायरे में करीब 75 लाख परिवार आ रहे है। इसकी वजह से इसका दायरा बढ़ाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो राशि जुटाने के लिए विभागों से गैर जरूरी खर्चों में कमी करने को कहा गया है। फिलहाल योजना के लिए राशि कहां से जुटाई जा सकती है। इस पर मंथन का दौर जारी है। चुनाव के समय सरकार स्थापना व्यय में कोई कटौती नहीं करना चाहती।। ऐसे में विभागों के उन खर्चों की समीक्षा की जा रही है, जिनके बिना काम चल सकता है।