कौन बचा रहा कलेक्टर को.
2012 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों बुंदेलखंड क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर हैं। साहब पर भ्रष्टाचार की तलवार लटकी हुई है। आरोप है कि साहब जब महाकौशल क्षेत्र के एक नक्सल प्रभावित जिले के कलेक्टर थे, तो उन्होंने कस्टम मिलिंग व चावल के अवैध कारोबारियों, कान्हा स्थित रिसोर्ट संचालकों, रेत ठेकेदारों, कंस्ट्रक्शन कंपनी से रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट लिए थे। इसे लेकर एक पूर्व विधायक ने शिकायत की थी। राज्य सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा उन्हीं कलेक्टर को ही सौंप दी थी। तत्कालीन कलेक्टर ने खुद पर लगे आरोपों की स्वयं जांच कर क्लीन चिट प्रदान कर दी थी। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने साहब पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के संबंध में सरकार को जांच के लिए अंतिम अवसर दिया है। इस मामले में एक साल पहले उच्च स्तरीय कमेटी से जांच करवाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, जांच नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि साहब को आखिर कौन बचा रहा है।
खाटला पंचायत पर राजनीति
अपने सिंघम अवतार के लिए जिलों में चर्चा रहने वाले एक आईपीएस अफसर अपनी खाटला पंचायत के कारण इन दिनों चर्चा में हैं। दरअसल, उनकी इस पंचायत पर राजनीति शुरू हो गई है। गौरतलब है कि साहब वर्तमान में मालवा क्षेत्र के एक जिले में एसपी हैं। जिले में अपराध रोकने के लिए खाटला पंचायत कर ग्रामीणों को अपराध रोकने और अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस की मदद करने का संकल्प दिला रहे हैं। खाटला बैठक का मतलब है कि खाट पर बैठकर आपस में बातचीत करना। यह बात विपक्ष को रास नहीं आ रही है। अत: प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने साहब की खाटला पंचायत का विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है की कुछ अधिकारी भारतीय पुलिस और प्रशासनिक सेवा के स्थान पर सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं।
क्या लगेगी लॉटरी?
चुनावी साल में प्रदेश के कई नौकरशाह चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें कुछ रिटायर होने के बाद तैयारी में जुटे हैं तो कुछ रिटायरमेंट लेकर चुनाव लडऩे की मंशा पाले हुए हैं। इन्हीं में एक नाम 1986 बैच के एक आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा का भी शामिल हो गया है। पारिवारिक विवादों के कारण चर्चा में रहे साहब कुछ समय तक सस्पेंड भी रहे, लेकिन बाद में उन्हें कोर्ट के निर्देश पर बहाल कर दिया गया। इस दौरान साहब ने अपने लिए चुनावी जमीन खोजने का काम किया और सूत्रों का कहना है कि उन्होंने ग्वालियर-चंबल के दो जिलों को चयनित किया है। अब लगता है कि साहब को किसी राजनीतिक पार्टी से टिकट का आश्वासन मिल गया है। इसलिए साहब ने सरकार से वीआरएस मांगा है। अब देखना यह है कि साहब की लॉटरी लगती है की नहीं।
साहब ने करा दी फजीहत
सरकार के मुखिया के जिले में पदस्थ 2012 बैच के एक आईएएस ने सरकार की फजीहत करा दी है। दरअसल, साहब राजधानी के पड़ोस वाले जिले में कलेक्टर हैं। साहब ने गत दिनों लाडली बहना योजना की लाभार्थी का एक वीडियो ट्वीट कर दिया। साहब ने यह सोच-समझकर किया या अनजाने में यह तो पता नहीं, लेकिन इससे सरकार की फजीहत हो गई। हालांकि, मामला तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर ने उक्त वीडियो को डिलीट कर दिया। दरअसल, साहब ने जिस वीडियो को ट्वीट किया था, उसमें महिला से पूछा जाता है कि सरकार द्वारा जो एक हजार रुपए दिए जाएंगे, उसका आप क्या करेंगी। इसके जवाब में महिला कहती है कि महंगाई के जमाने में एक हजार रुपए में क्या होता है? हमें इस योजना से कोई खुशी नहीं है, क्योंकि मैं रसोई चलाती हूं और मुझे पता है कि कितनी महंगाई है।
कलेक्टर की फ्री कोचिंग
2014 बैच के एक युवा आईएएस आशीष वशिष्ठ विंध्य क्षेत्र के अनूपपुर जिले में कलेक्टर हैं। उन्होंने जिले में एक अभिनव पहल की है, जिसकी चर्चा प्रशासनिक वीथिका में खूब हो रही है। हर अफसर कलेक्टर साहब की पहल को सराह रहा है। दरअसल, साहब ने जिले के चारों विकासखंडों में जेईई एवं नीट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से नि:शुल्क कोचिंग संचालित कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए जिला स्तर से सभी विकासखंडों मे कोर ग्रुप का गठन किया गया है। यह तय किया गया है कि प्रत्येक कोर ग्रुप अपने -अपने ब्लॉक अंतर्गत संचालित समस्त हायर सेकेंडरी विद्यालयों से प्रत्येक ब्लॉक से कोचिंग के इच्छुक अच्छी मेधा के 250 बच्चों का चयन करेंगे। इससे प्रदेश के इस पिछड़े जिले के छात्रों को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।