पुलिस के आला अफसरों तक ने नहीं की शिकायत पर कार्रवाई.
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में नियम विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ इंजिनियर जनार्दन सिंह के खिलाफ पहले से दो मामलों में जांच चल रही थी, इसके बाद भी कारपोरेशन से लेकर लोकनिर्माण विभाग उन पर मेहरबान बना रहा है। यही नहीं हाल ही में उनके अधीनस्थ संविदा इंजीनियर पर छापे के बाद जनार्दन की संलिप्तता सामने आने के बाद भी अब तक उनके खिलाफ लोकायुक्त कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है और न ही सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पा रही है जिन अफसरों की जनार्दन पर मेहरबानी बनी हुई थीे। हद तो यह है कि जनार्दन के खिलाफ विभाग के ही एक ठेकेदार द्वारा एसपी से लेकर डीजीपी तक से की गई शिकायतों पर कार्रवाई तक नहीं की गई।
हेमा मीणा को करोड़पति बनवाने में मप्र पुलिस हाउसिंग बोर्ड के निलंबित प्रभारी परियोजना यंत्री सागर संभाग जनार्दन सिंह के खिलाफ दो मामलों की जांच लोकायुक्त टीम द्वारा पहले से ही की जा रही है। हैरानी की बात है कि यह सब जांच भ्रष्टाचार, गड़बड़ी से जुड़ी हुई थीं, उसके बाद भी हाउसिंग बोर्ड के बड़े अधिकारियों ने उन्हें बड़े पद की जिम्मेदारी दे कर उपकृत कर रखा थ। वहीं जांच के दौरान लोकायुक्त को कुछ अहम सबूत भी मिले है। जिसमें जर्नादन सिंह का बिलखिरिया स्थित फार्म हाउस पर आना जाना था। यहां से मिले सीसीटीवी फुटेज में इसकी पुष्टि भी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक हेमा द्वारा बैंक के जरिये बड़ी राशि का ट्रांजेक्शन कम ही किया गया है। वहीं काली कमाई को इन्फ्रास्ट्रक्चर और जमीनों में इन्वेस्ट किया गया। छापे के दौरान भी फार्म हाउस से महज 70 हजार रुपए और हेमा मीणा के पैतृक निवास रायसेन जिले के चपना गांव के घर से 2.50 लाख रुपए नकद मिले थे। इस मामले में प्रभारी परियोजना इंजीनियर जनार्दन सिंह का बड़ा हाथ रहा। हेमा को जहां बर्खास्त किया जा चुका है तो, वहीं जनार्दन सिंह निलंबित चल रहे हैं। लोकायुक्त की जांच में यह बात सामने आई कि हेमा मीणा नगदी रखने की जगह काली कमाई से जमीन खरीद लेती थी।
लोक निर्माण विभाग द्वारा कराए गए एसेसमेंट में उनके बिलखिरिया फार्म हाउस की कीमत करीब 3.50 करोड़ रुपए निकली है। जबकि यहां मिले सामान की कीमत 1.50 करोड़ से अधिक है। वहीं शुरुआती जांच में उनके बैंक खातों में महज 50 हजार रुपए मिलने की बात सामने आई है। हालांकि बैंकों से आधी-अधूरी जानकारी मिली है। जिसमें हेमा का एक भी लॉकर नहीं मिला है। इसलिए लोकायुक्त की जांच अब पूरी तरह जमीन व प्रॉपर्टी पर आकर टिक गई है। सूत्रों की मानें तो हेमा मीणा की भोपाल से 90 किमी दूर विदिशा के देवराजपुर रायसेन के सेमरा, कांछी कानाखेड़ा और बिलोरी में खुद हेमा के नाम से करोड़ों की जमीनें हैं। इसमें जनार्दन की मां-बहन और बहनोई भी साझेदार हैं। हेमा को करोड़पति बनाने में जनार्दन सिंह का बड़ा योगदान रहा। उसी की कृपा से वे बुंदेलखंड की बड़ी परियोजनाओं की प्रभारी रहीं और करोड़ों के बारे-न्यारे किए। लोकायुक्त ने जांच के दौरान लोक निर्माण विभाग से जमीन व फार्म हाउस की एसेसमेंट करवाया है, जिसमें फार्म हाउस की कीमत , करीब 3.50 करोड़ आंकी गई है। लोकायुक्त को जांच-पड़ताल में यह भी पता चला है कि हेमा के पास जैसे ही कोई मोटी रकम आती थी, वह उसे इन्वेस्ट करने के लिए जमीनों की तलाश शुरू कर देती थी। महज कुछ समय में ही वह जमीन खरीदकर पैसे को ठिकाने लगा देती थी। इसलिए उसने ज्यादातर जमीनें ग्रामीण क्षेत्रों में खरीदी हैं, ताकि किसी को इसकी भनक न लग सके।
जनार्दन के खिलाफ यह थीं शिकायतें
पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में पेटी कांट्रेक्टर शंभु ओर हेमा लिव इन में थे। उसने ही जनार्दन से हेमा की नौकरी की बात कर मिलवाया था। बाद में शंभू और हेमा के बीच ब्रेकअप हो गया। शंभू इसके लिए जनार्दन को जिम्मेदार ठहराता है। उसने ही लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू में हेमा और जनार्दन की शिकायत की थी। इसी तरह से भोपाल के अमर पंडित ने हेमा के डॉग फार्म, विदिशा स्थित वेयरहाउस और फार्म हाउस का निर्माण किया। आरोप है कि जनार्दन ही निर्माण के पूरे अपडेट्स लेता था। तीन साइट्स पर करीब 58 लाख खर्च आया। भुगतान के नाम पर जनार्दन ने सिर्फ 4.90 लाख का पेमेंटकर उससे जबरन नो ड्यूज साइन करा लिया था। पुलिस से इसकी शिकायत की गई थी , लेकिन कोई कार्रवाई तक नहीं की गई।
बड़ी परियोजना का जिम्मा
हेमा मीणा ज्यादातर समय सागर संभाग की प्रभारी रही हैंं, इस वजह से इस क्षेत्र में कराई गई बड़ी परियोजनाओं की जानकारी लोकायुक्त ने कारपोरेशन सेे मांगी है। हालांकि अभी तक कुछ परियोजनाओं की ही जानकारी मिली है। जिसमें यह बात सामने आई है कि करीब एक दर्जन बड़ी परियोजनाओं में उसका सीधा हस्तक्षेप था। इन्हीं परियोजनाओं से ही उसके द्वारा जमकर कमाई की गई है।